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'एक थप्पड़ में औंधे मुंह गिर पड़ा था जैश सरगना अजहर मसूद'

नई दिल्ली: भारत में आतंकी हमलों का साजिशकर्ता और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर, आज भले ही भारत की गिरफ्त में नही है. लेकिन एक वक्त ऐसा था जब अजहर ने सेना के एक थप्पड़ में सब कुछ उगल दिया था. 1994 में जब मसूद अजहर से पूछताछ की जा रही थी तो वह एक जवान के थप्पड़ से हिल गया था.

मौलाना मसूद अजहर
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Published : Feb 19, 2019, 12:13 AM IST

1994 में अजहर की गिरफ्तारी और उससे पूछताछ करने वाले पुलिस के एक पूर्व अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भारत में हुए कुछ भीषण हमलों के सरगना मौलाना मसूद अजहर से पूछताछ करना आसान था.

अविनाश मोहनाने 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने उस वक्त एजेंसी में कश्मीर डेस्क का नेतृत्व किया था. उन्होंने बताया कि सेना के एक जवान के एक थप्पड़ से ही वह हिल गया था जिसके बाद उसने अपनी गतिविधियों का ब्यौरा उगल दिया था. मोहनाने सिक्किम के पूर्व पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं.

1994 में हुआ था गिरफ्तार
अजहर पुर्तगाल के पासपोर्ट पर बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसा था और फिर वह कश्मीर पहुंचा. उसे दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में फरवरी 1994 में गिरफ्तार किया गया था.

एक थप्पड़ में सब बोलना शुरू
अधिकारी ने बताया कि हिरासत में खुफिया एजेंसियों को अजहर से पूछताछ करने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी. उसने सेना के एक अधिकारी के एक थप्पड़ के बाद ही बोलना शुरू कर दिया और पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी समूहों के कामकाज के बारे में उसने विस्तार से जानकारी दी.

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कई बार की गई अजहर से पूछताछ
अविनाश मोहनाने ने बताया, ‘उससे पूछताछ करना आसान था और सेना के एक अधिकारी के एक थप्पड़ से ही वह बुरी तरह हिल गया था.’ इंटेलिजेंस ब्यूरो में दो दशक के कार्यकाल में उन्होंने अजहर से कई बार पूछताछ की थी.

विमान हाइजेक कर रिहा कराया गया था अजहर को
इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 के यात्रियों के अपहरण के बदले तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा 1999 में रिहा किए जाने के बाद अजहर ने जैश ए मोहम्मद का गठन किया और भारत में कई भीषण हमलों का षड्यंत्र रचा. जिन हमलों की उसने साजिश रची उसमें संसद पर हमला, पठानकोट वायुसेना के अड्डे पर हमला, जम्मू और उड़ी में सेना के शिविरों पर हमले और पुलवामा में चार दिन पहले सीआरपीएफ के काफिले पर किया गया हमला शामिल है जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे.

पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों की दी थी जानकारी
मोहनाने ने बताया कि हिरासत में अजहर ने पाकिस्तान में आतंकवादियों की भर्ती प्रक्रिया और आतंकवादी समूहों के कामकाज के बारे में जानकारी दी. यह वह समय था जब खुफिया एजेंसियां, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की तरफ से छेड़े गए छद्म युद्ध को समझने का प्रयास कर रही थीं.

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बिना बल प्रयोग के दे रहा था जानकारी
उन्होंने बताया, ‘कई मौके आए जब मैंने उससे कोट बलवाल जेल में मुलाकात की और कई घंटे तक उससे पूछताछ की. हमें उस पर बल प्रयोग नहीं करना पड़ा क्योंकि वह खुद ही सारी सूचनाएं बताता चला गया.’

हरकत उल अंसार का सरगना था अजहर
उन्होंने कहा कि उसने अफगानी आतंकवादियों के कश्मीर घाटी में भेजे जाने की जानकारी दी. साथ ही हरकत उल मुजाहिद्दीन (एचयूएम) और हरकत उल जेहाद ए इस्लामी (हूजी) के हरकत उल अंसार में विलय की भी जानकारी दी. वह हरकत उल अंसार का सरगना था.

कश्मीर से पहले गया था सहारनपुर
मोहनाने ने बताया कि बांग्लादेश से 1994 में भारत पहुंचने के बाद अजहर कश्मीर जाने से पहले सहारनपुर गया था जहां उसने साझा नीति बनाने के लिए एचयूएम और हूजी के अलग-अलग धड़ों के साथ बैठक की थी.

पुर्तगाल के फर्जी पासपोर्ट से आया था भारत
पुलिस अधिकारी ने बताया कि अजहर ने उनसे कहा था, ‘मैं पुर्तगाल के फर्जी पासपोर्ट पर यहां आया ताकि सुनिश्चित कर सकूं कि एचयूएम और हूजी घाटी में एक साथ आएं. नियंत्रण रेखा पार कर पाना संभव नहीं था.’

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पत्रकार के रूप में की कई देशों की यात्राएं
उन्होंने कहा कि कराची से प्रकाशित टैबलॉयड ‘सदा ए मुजाहिद’ में पत्रकार के तौर पर जैश प्रमुख ने पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों के साथ 1993 में कुछ देशों की यात्रा की थी जहां उसने ‘कश्मीर हित’ के लिए समर्थन मांगा था.

ज्यादा दिन तक नहीं रख पाएगी पुलिस, करता था दावा
मोहनाने ने बताया कि अजहर हमेशा दावा करता था कि पुलिस उसे ज्यादा दिन तक हिरासत में नहीं रख पाएगी क्योंकि वह पाकिस्तान और आईएसआई के लिए महत्वपूर्ण है.

ISI निकलवाएगी बाहर
पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘आप मेरी लोकप्रियता को कमतर करके देख रहे हैं. आईएसआई सुनिश्चित करेगी कि मैं पाकिस्तान लौटूं.’

1994 में विदेशी नागरिकों का अपहरण
फरवरी 1994 में उसकी गिरफ्तारी के 10 महीने बाद दिल्ली से कुछ विदेशी नागरिकों का अपहरण हो गया और अपहर्ताओं ने उसे रिहा करने की मांग की.

उमर शेख को भी करना पड़ा था रिहा
उमर शेख की गिरफ्तारी के कारण यह योजना विफल हो गई जिसे 1999 में विमान अपहरण के बदले रिहा किया गया था. शेख वॉल स्ट्रीट जर्नल के संवाददाता डैनियल पर्ल की पाकिस्तान में क्रूरतापूर्ण तरीके से सिर काटने के मामले में शामिल रहा था.

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1995 में फिर हुई थी रिहाई की मांग
उसे रिहा कराने का दूसरा प्रयास हरकत उल अंसार से जुड़े संगठन अल फरान ने किया था जिसने जुलाई 1995 में कश्मीर में अपहृत पांच विदेशी नागिरकों के बदले उसकी रिहाई की मांग की थी.

नई पदस्थापना पर दी थी शुभकामना
अधिकारी ने बताया, ‘मैं 1997 में फिर उससे मिला जब वह उसी जेल में बंद था. मैंने उसे बताया कि मैं नई पदस्थापना पर जा रहा हूं तो उसने मुझे शुभकामना दी.’ उन्होंने कहा, ‘‘नई पदस्थापना के दौरान मैंने सुना कि 31 दिसम्बर 1999 को उसे आईसी-814 विमान के यात्रियों के बदले रिहा कर दिया गया. वह सही कहता था कि हम उसे ज्यादा समय तक हिरासत में नहीं रख पाएंगे.’

1994 में अजहर की गिरफ्तारी और उससे पूछताछ करने वाले पुलिस के एक पूर्व अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भारत में हुए कुछ भीषण हमलों के सरगना मौलाना मसूद अजहर से पूछताछ करना आसान था.

अविनाश मोहनाने 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने उस वक्त एजेंसी में कश्मीर डेस्क का नेतृत्व किया था. उन्होंने बताया कि सेना के एक जवान के एक थप्पड़ से ही वह हिल गया था जिसके बाद उसने अपनी गतिविधियों का ब्यौरा उगल दिया था. मोहनाने सिक्किम के पूर्व पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं.

1994 में हुआ था गिरफ्तार
अजहर पुर्तगाल के पासपोर्ट पर बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसा था और फिर वह कश्मीर पहुंचा. उसे दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में फरवरी 1994 में गिरफ्तार किया गया था.

एक थप्पड़ में सब बोलना शुरू
अधिकारी ने बताया कि हिरासत में खुफिया एजेंसियों को अजहर से पूछताछ करने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी. उसने सेना के एक अधिकारी के एक थप्पड़ के बाद ही बोलना शुरू कर दिया और पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी समूहों के कामकाज के बारे में उसने विस्तार से जानकारी दी.

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कई बार की गई अजहर से पूछताछ
अविनाश मोहनाने ने बताया, ‘उससे पूछताछ करना आसान था और सेना के एक अधिकारी के एक थप्पड़ से ही वह बुरी तरह हिल गया था.’ इंटेलिजेंस ब्यूरो में दो दशक के कार्यकाल में उन्होंने अजहर से कई बार पूछताछ की थी.

विमान हाइजेक कर रिहा कराया गया था अजहर को
इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 के यात्रियों के अपहरण के बदले तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा 1999 में रिहा किए जाने के बाद अजहर ने जैश ए मोहम्मद का गठन किया और भारत में कई भीषण हमलों का षड्यंत्र रचा. जिन हमलों की उसने साजिश रची उसमें संसद पर हमला, पठानकोट वायुसेना के अड्डे पर हमला, जम्मू और उड़ी में सेना के शिविरों पर हमले और पुलवामा में चार दिन पहले सीआरपीएफ के काफिले पर किया गया हमला शामिल है जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे.

पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों की दी थी जानकारी
मोहनाने ने बताया कि हिरासत में अजहर ने पाकिस्तान में आतंकवादियों की भर्ती प्रक्रिया और आतंकवादी समूहों के कामकाज के बारे में जानकारी दी. यह वह समय था जब खुफिया एजेंसियां, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की तरफ से छेड़े गए छद्म युद्ध को समझने का प्रयास कर रही थीं.

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बिना बल प्रयोग के दे रहा था जानकारी
उन्होंने बताया, ‘कई मौके आए जब मैंने उससे कोट बलवाल जेल में मुलाकात की और कई घंटे तक उससे पूछताछ की. हमें उस पर बल प्रयोग नहीं करना पड़ा क्योंकि वह खुद ही सारी सूचनाएं बताता चला गया.’

हरकत उल अंसार का सरगना था अजहर
उन्होंने कहा कि उसने अफगानी आतंकवादियों के कश्मीर घाटी में भेजे जाने की जानकारी दी. साथ ही हरकत उल मुजाहिद्दीन (एचयूएम) और हरकत उल जेहाद ए इस्लामी (हूजी) के हरकत उल अंसार में विलय की भी जानकारी दी. वह हरकत उल अंसार का सरगना था.

कश्मीर से पहले गया था सहारनपुर
मोहनाने ने बताया कि बांग्लादेश से 1994 में भारत पहुंचने के बाद अजहर कश्मीर जाने से पहले सहारनपुर गया था जहां उसने साझा नीति बनाने के लिए एचयूएम और हूजी के अलग-अलग धड़ों के साथ बैठक की थी.

पुर्तगाल के फर्जी पासपोर्ट से आया था भारत
पुलिस अधिकारी ने बताया कि अजहर ने उनसे कहा था, ‘मैं पुर्तगाल के फर्जी पासपोर्ट पर यहां आया ताकि सुनिश्चित कर सकूं कि एचयूएम और हूजी घाटी में एक साथ आएं. नियंत्रण रेखा पार कर पाना संभव नहीं था.’

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पत्रकार के रूप में की कई देशों की यात्राएं
उन्होंने कहा कि कराची से प्रकाशित टैबलॉयड ‘सदा ए मुजाहिद’ में पत्रकार के तौर पर जैश प्रमुख ने पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों के साथ 1993 में कुछ देशों की यात्रा की थी जहां उसने ‘कश्मीर हित’ के लिए समर्थन मांगा था.

ज्यादा दिन तक नहीं रख पाएगी पुलिस, करता था दावा
मोहनाने ने बताया कि अजहर हमेशा दावा करता था कि पुलिस उसे ज्यादा दिन तक हिरासत में नहीं रख पाएगी क्योंकि वह पाकिस्तान और आईएसआई के लिए महत्वपूर्ण है.

ISI निकलवाएगी बाहर
पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘आप मेरी लोकप्रियता को कमतर करके देख रहे हैं. आईएसआई सुनिश्चित करेगी कि मैं पाकिस्तान लौटूं.’

1994 में विदेशी नागरिकों का अपहरण
फरवरी 1994 में उसकी गिरफ्तारी के 10 महीने बाद दिल्ली से कुछ विदेशी नागरिकों का अपहरण हो गया और अपहर्ताओं ने उसे रिहा करने की मांग की.

उमर शेख को भी करना पड़ा था रिहा
उमर शेख की गिरफ्तारी के कारण यह योजना विफल हो गई जिसे 1999 में विमान अपहरण के बदले रिहा किया गया था. शेख वॉल स्ट्रीट जर्नल के संवाददाता डैनियल पर्ल की पाकिस्तान में क्रूरतापूर्ण तरीके से सिर काटने के मामले में शामिल रहा था.

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1995 में फिर हुई थी रिहाई की मांग
उसे रिहा कराने का दूसरा प्रयास हरकत उल अंसार से जुड़े संगठन अल फरान ने किया था जिसने जुलाई 1995 में कश्मीर में अपहृत पांच विदेशी नागिरकों के बदले उसकी रिहाई की मांग की थी.

नई पदस्थापना पर दी थी शुभकामना
अधिकारी ने बताया, ‘मैं 1997 में फिर उससे मिला जब वह उसी जेल में बंद था. मैंने उसे बताया कि मैं नई पदस्थापना पर जा रहा हूं तो उसने मुझे शुभकामना दी.’ उन्होंने कहा, ‘‘नई पदस्थापना के दौरान मैंने सुना कि 31 दिसम्बर 1999 को उसे आईसी-814 विमान के यात्रियों के बदले रिहा कर दिया गया. वह सही कहता था कि हम उसे ज्यादा समय तक हिरासत में नहीं रख पाएंगे.’

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'एक थप्पड़ में औंधे मुंह गिर पड़ा था जैश सरगना अजहर मसूद'

a mohananey shares experience with masood of jaish



नई दिल्ली: भारत में आतंकी हमलों का साजिशकर्ता और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर, आज भले ही भारत की गिरफ्त में नही है. लेकिन एक वक्त ऐसा था जब अजहर ने सेना के एक थप्पड़ में सब कुछ उगल दिया था. 1994 में जब मसूद अजहर से पूछताछ की जा रही थी तो वह एक जवान के थप्पड़ से हिल गया था.



1994 में अजहर की गिरफ्तारी और उससे पूछताछ करने वाले पुलिस के एक पूर्व अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भारत में हुए कुछ भीषण हमलों के सरगना मौलाना मसूद अजहर से पूछताछ करना आसान था. 



अविनाश मोहनाने 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने उस वक्त एजेंसी में कश्मीर डेस्क का नेतृत्व किया था. उन्होंने बताया कि सेना के एक जवान के एक थप्पड़ से ही वह हिल गया था जिसके बाद उसने अपनी गतिविधियों का ब्यौरा उगल दिया था. मोहनाने सिक्किम के पूर्व पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं.



1994 में हुआ था गिरफ्तार

अजहर पुर्तगाल के पासपोर्ट पर बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसा था और फिर वह कश्मीर पहुंचा. उसे दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में फरवरी 1994 में गिरफ्तार किया गया था.



एक थप्पड़ में सब बोलना शुरू 

अधिकारी ने बताया कि हिरासत में खुफिया एजेंसियों को अजहर से पूछताछ करने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी. उसने सेना के एक अधिकारी के एक थप्पड़ के बाद ही बोलना शुरू कर दिया और पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी समूहों के कामकाज के बारे में उसने विस्तार से जानकारी दी.



कई बार की गई अजहर से पूछताछ

अविनाश मोहनाने ने बताया, ‘उससे पूछताछ करना आसान था और सेना के एक अधिकारी के एक थप्पड़ से ही वह बुरी तरह हिल गया था.’ इंटेलिजेंस ब्यूरो में दो दशक के कार्यकाल में उन्होंने अजहर से कई बार पूछताछ की थी.





विमान हाइजेक कर रिहा कराया गया था अजहर को

इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 के यात्रियों के अपहरण के बदले तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा 1999 में रिहा किए जाने के बाद अजहर ने जैश ए मोहम्मद का गठन किया और भारत में कई भीषण हमलों का षड्यंत्र रचा. जिन हमलों की उसने साजिश रची उसमें संसद पर हमला, पठानकोट वायुसेना के अड्डे पर हमला, जम्मू और उड़ी में सेना के शिविरों पर हमले और पुलवामा में चार दिन पहले सीआरपीएफ के काफिले पर किया गया हमला शामिल है जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे.





पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों की दी थी जानकारी 

मोहनाने ने बताया कि हिरासत में अजहर ने पाकिस्तान में आतंकवादियों की भर्ती प्रक्रिया और आतंकवादी समूहों के कामकाज के बारे में जानकारी दी. यह वह समय था जब खुफिया एजेंसियां, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की तरफ से छेड़े गए छद्म युद्ध को समझने का प्रयास कर रही थीं. 





बिना बल प्रयोग के दे रहा था जानकारी

उन्होंने बताया, ‘कई मौके आए जब मैंने उससे कोट बलवाल जेल में मुलाकात की और कई घंटे तक उससे पूछताछ की. हमें उस पर बल प्रयोग नहीं करना पड़ा क्योंकि वह खुद ही सारी सूचनाएं बताता चला गया.’





हरकत उल अंसार का सरगना था अजहर

उन्होंने कहा कि उसने अफगानी आतंकवादियों के कश्मीर घाटी में भेजे जाने की जानकारी दी. साथ ही हरकत उल मुजाहिद्दीन (एचयूएम) और हरकत उल जेहाद ए इस्लामी (हूजी) के हरकत उल अंसार में विलय की भी जानकारी दी. वह हरकत उल अंसार का सरगना था.





कश्मीर से पहले गया था सहारनपुर

मोहनाने ने बताया कि बांग्लादेश से 1994 में भारत पहुंचने के बाद अजहर कश्मीर जाने से पहले सहारनपुर गया था जहां उसने साझा नीति बनाने के लिए एचयूएम और हूजी के अलग-अलग धड़ों के साथ बैठक की थी.





पुर्तगाल के फर्जी पासपोर्ट से आया था भारत

पुलिस अधिकारी ने बताया कि अजहर ने उनसे कहा था, ‘मैं पुर्तगाल के फर्जी पासपोर्ट पर यहां आया ताकि सुनिश्चित कर सकूं कि एचयूएम और हूजी घाटी में एक साथ आएं. नियंत्रण रेखा पार कर पाना संभव नहीं था.’



पत्रकार के रूप में की कई देशों की यात्राएं

उन्होंने कहा कि कराची से प्रकाशित टैबलॉयड ‘सदा ए मुजाहिद’ में पत्रकार के तौर पर जैश प्रमुख ने पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों के साथ 1993 में कुछ देशों की यात्रा की थी जहां उसने ‘कश्मीर हित’ के लिए समर्थन मांगा था.





ज्यादा दिन तक नहीं रख पाएगी पुलिस, करता था दावा

मोहनाने ने बताया कि अजहर हमेशा दावा करता था कि पुलिस उसे ज्यादा दिन तक हिरासत में नहीं रख पाएगी क्योंकि वह पाकिस्तान और आईएसआई के लिए महत्वपूर्ण है. 



ISI निकलवाएगी बाहर

पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘आप मेरी लोकप्रियता को कमतर करके देख रहे हैं. आईएसआई सुनिश्चित करेगी कि मैं पाकिस्तान लौटूं.’





1994 में विदेशी नागरिकों का अपहरण

फरवरी 1994 में उसकी गिरफ्तारी के 10 महीने बाद दिल्ली से कुछ विदेशी नागरिकों का अपहरण हो गया और अपहर्ताओं ने उसे रिहा करने की मांग की.





उमर शेख को भी करना पड़ा था रिहा

उमर शेख की गिरफ्तारी के कारण यह योजना विफल हो गई जिसे 1999 में विमान अपहरण के बदले रिहा किया गया था. शेख वॉल स्ट्रीट जर्नल के संवाददाता डैनियल पर्ल की पाकिस्तान में क्रूरतापूर्ण तरीके से सिर काटने के मामले में शामिल रहा था.





1995 में फिर हुई थी रिहाई की मांग

उसे रिहा कराने का दूसरा प्रयास हरकत उल अंसार से जुड़े संगठन अल फरान ने किया था जिसने जुलाई 1995 में कश्मीर में अपहृत पांच विदेशी नागिरकों के बदले उसकी रिहाई की मांग की थी.



नई पदस्थापना पर दी थी शुभकामना

अधिकारी ने बताया, ‘मैं 1997 में फिर उससे मिला जब वह उसी जेल में बंद था. मैंने उसे बताया कि मैं नई पदस्थापना पर जा रहा हूं तो उसने मुझे शुभकामना दी.’ उन्होंने कहा, ‘‘नई पदस्थापना के दौरान मैंने सुना कि 31 दिसम्बर 1999 को उसे आईसी-814 विमान के यात्रियों के बदले रिहा कर दिया गया. वह सही कहता था कि हम उसे ज्यादा समय तक हिरासत में नहीं रख पाएंगे.’


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