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प्रेरक : आधा वेतन खर्च कर पर्यावरण सुरक्षा में जुटीं गीतांजलि

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Published : Sep 9, 2020, 10:55 PM IST

विकास की अंधी दौड़ में हम जाने-अनजाने अपने परिवेश को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं, पर देश में कई ऐसे लोग भी हैं, जो अपने प्रयासों से इस वसुंधरा को हरा-भरा बनाए रखने की कोशिश में जुटे हुए हैं.

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शिक्षक का पर्यावरण मिशन

अंगुल (ओडिशा) : आजकल अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और बढ़ते प्रदूषण के कारण पर्यावरण को काफी नुकसान हो रही है. बहुत कम लोग होते हैं, जो वसुंधरा को हरा-भरा बनाए रखने के लिए सराहनीय काम करते हैं और लोगों को भी पर्यावरण के लिए जागरूक करते हैं. ऐसे में ओडिशा के अंगुल जिले की एक शिक्षक ने पर्यावरण को बचाने का प्रयास करते हुए एक मिसाल पेश की है.

शिक्षक गीतांजलि सामल का जुनून काबिल-ए-तारिफ है. गीतांजलि शहर में अकेली ही घूम-घूम कर कई जगहों पर पौधरोपण का काम कर रही हैं. 2012 से उन्होंने केंद्रपाड़ा और अंगुल जिलों में हजारों पेड़ लगाए हैं और वातावरण को हरा-भरा बनाया. वह भविष्य में अपने मिशन को जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्प हैं. इसके लिए उन्होंने किसी से भी एक रुपये का दान नहीं लिया है. उन्होंने आज जो भी किया है, वह अपनी मेहनत और अपने खर्चे से किया है.

आठ साल से कर रहीं पौधरोपण
बता दें दिन चढ़ते ही गीतांजलि अपनी स्कूटी लेकर घर से कुछ पौधे लेकर निकल पड़ती हैं. चाहें वह शहर के अंदर हो या बाहर, जहां भी उन्हें खुली जगह मिलती है, वह वहां पौधे लगा देती हैं. वह गड्ढा खोदने के लिए श्रम शुल्क का भुगतान करती हैं. पौधा लगाने से लेकर पौधे को पानी देने तक उनकी देखभाल करती हैं और मवेशियों द्वारा नुकसान से बचाने के लिए इसके चारों ओर एक मेक-शिफ्ट बाड़ लगाती हैं. वह पिछले आठ साल से इस तरह से पेड़ लगा रही हैं. इतना ही नहीं गीतांजलि कई स्कूलों में पौधे भी बांट चुकी हैं

शिक्षक का पर्यावरण मिशन

दस हजार से ज्यादा पौधरोपण
गीतांजलि का जन्म अंगुल जिले के बनारपाल ब्लॉक के अंतर्गत बुद्धपांका गांव में हुआ था. उन्होंने वनस्पति विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त की है. उनके पति किशोर कुमार राउत एक बैंक में कर्मचारी हैं. वह वर्तमान में केंद्रपाड़ा स्थित मधु सागर विद्यापीठ में विज्ञान शिक्षक के रूप में तैनात हैं. वहां भी उन्होंने कई स्थानों पर और स्कूल परिसर में पौधे लगाए हैं. इस महिला टीचर ने वहां दस हजार से ज्यादा पेड़ भी लगाए थे. गीतांजलि द्वारा किया जा रहा पौधरोपण अभियान अब भी जारी है.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ : कृषि वैज्ञानिकों ने 17 एकड़ बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ

वेतन के लाखों रुपये से किया पौधरोपण
कोरोना के कारण लगाए गए प्रतिबंधों और स्कूल बंद होने के बाद से गीतांजलि अंगुल में ही अपने मूल स्थान पर लौट आईं, जहां उन्होंने पौधे लगाने के अपने मिशन को जारी रखा है. पिछले छह महीनों के दौरान उन्होंने अंगुल के विभिन्न स्थानों पर दस हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं. अब तक वह पौधरोपण पर अपनी आय से आठ लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुकी हैं. हर महीने वह इस पर अपने वेतन से पंद्रह हजार से बीस हजार रुपये तक खर्च कर देती हैं. कई पर्यावरणविदों और बुद्धिजीवियों ने गीतांजलि के वृक्षारोपण अभियान का स्वागत किया है और उनके मिशनरी उत्साह के लिए उनका आभार व्यक्त किया है.

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वसुंधरा को हरा-भरा बना रही हैं गीतांजलि.

संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये खर्च
राज्य सरकार का वन और पर्यावरण विभाग वनों और पर्यावरण के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन उसके बाद भी वन विभाग द्वारा लगाए गए पेड़ कहीं दिखाई नहीं देते, वहीं इस महिला शिक्षक गीतांजलि द्वारा लगाए गए पेड़ एक सुंदर जंगल का आकार ले रहे हैं.

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शहर में जगह-जगह किया वृक्षारोपण.

अंगुल (ओडिशा) : आजकल अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और बढ़ते प्रदूषण के कारण पर्यावरण को काफी नुकसान हो रही है. बहुत कम लोग होते हैं, जो वसुंधरा को हरा-भरा बनाए रखने के लिए सराहनीय काम करते हैं और लोगों को भी पर्यावरण के लिए जागरूक करते हैं. ऐसे में ओडिशा के अंगुल जिले की एक शिक्षक ने पर्यावरण को बचाने का प्रयास करते हुए एक मिसाल पेश की है.

शिक्षक गीतांजलि सामल का जुनून काबिल-ए-तारिफ है. गीतांजलि शहर में अकेली ही घूम-घूम कर कई जगहों पर पौधरोपण का काम कर रही हैं. 2012 से उन्होंने केंद्रपाड़ा और अंगुल जिलों में हजारों पेड़ लगाए हैं और वातावरण को हरा-भरा बनाया. वह भविष्य में अपने मिशन को जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्प हैं. इसके लिए उन्होंने किसी से भी एक रुपये का दान नहीं लिया है. उन्होंने आज जो भी किया है, वह अपनी मेहनत और अपने खर्चे से किया है.

आठ साल से कर रहीं पौधरोपण
बता दें दिन चढ़ते ही गीतांजलि अपनी स्कूटी लेकर घर से कुछ पौधे लेकर निकल पड़ती हैं. चाहें वह शहर के अंदर हो या बाहर, जहां भी उन्हें खुली जगह मिलती है, वह वहां पौधे लगा देती हैं. वह गड्ढा खोदने के लिए श्रम शुल्क का भुगतान करती हैं. पौधा लगाने से लेकर पौधे को पानी देने तक उनकी देखभाल करती हैं और मवेशियों द्वारा नुकसान से बचाने के लिए इसके चारों ओर एक मेक-शिफ्ट बाड़ लगाती हैं. वह पिछले आठ साल से इस तरह से पेड़ लगा रही हैं. इतना ही नहीं गीतांजलि कई स्कूलों में पौधे भी बांट चुकी हैं

शिक्षक का पर्यावरण मिशन

दस हजार से ज्यादा पौधरोपण
गीतांजलि का जन्म अंगुल जिले के बनारपाल ब्लॉक के अंतर्गत बुद्धपांका गांव में हुआ था. उन्होंने वनस्पति विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त की है. उनके पति किशोर कुमार राउत एक बैंक में कर्मचारी हैं. वह वर्तमान में केंद्रपाड़ा स्थित मधु सागर विद्यापीठ में विज्ञान शिक्षक के रूप में तैनात हैं. वहां भी उन्होंने कई स्थानों पर और स्कूल परिसर में पौधे लगाए हैं. इस महिला टीचर ने वहां दस हजार से ज्यादा पेड़ भी लगाए थे. गीतांजलि द्वारा किया जा रहा पौधरोपण अभियान अब भी जारी है.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ : कृषि वैज्ञानिकों ने 17 एकड़ बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ

वेतन के लाखों रुपये से किया पौधरोपण
कोरोना के कारण लगाए गए प्रतिबंधों और स्कूल बंद होने के बाद से गीतांजलि अंगुल में ही अपने मूल स्थान पर लौट आईं, जहां उन्होंने पौधे लगाने के अपने मिशन को जारी रखा है. पिछले छह महीनों के दौरान उन्होंने अंगुल के विभिन्न स्थानों पर दस हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं. अब तक वह पौधरोपण पर अपनी आय से आठ लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुकी हैं. हर महीने वह इस पर अपने वेतन से पंद्रह हजार से बीस हजार रुपये तक खर्च कर देती हैं. कई पर्यावरणविदों और बुद्धिजीवियों ने गीतांजलि के वृक्षारोपण अभियान का स्वागत किया है और उनके मिशनरी उत्साह के लिए उनका आभार व्यक्त किया है.

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वसुंधरा को हरा-भरा बना रही हैं गीतांजलि.

संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये खर्च
राज्य सरकार का वन और पर्यावरण विभाग वनों और पर्यावरण के संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन उसके बाद भी वन विभाग द्वारा लगाए गए पेड़ कहीं दिखाई नहीं देते, वहीं इस महिला शिक्षक गीतांजलि द्वारा लगाए गए पेड़ एक सुंदर जंगल का आकार ले रहे हैं.

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शहर में जगह-जगह किया वृक्षारोपण.
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