मंगलुरु : भारत एक भाग से दूसरे भाग तक भाषा, संस्कृति, वेशभूषा और खान-पान सहित कई अन्य विशेषताओं के लिए अपनी विविधता के लिए जाना जाता है. इससे आकर्षित होकर दक्षिण फ्रांस के मिशेल बैपटिस्ट पिछले तीन साल से भारत आ रहे हैं. मिशेल कर्नाटक में मंगलुरु जिले के बेल्थांगडी तालुक के मुंडाजी में रह रहे हैं. उन्हें इस जगह और यहां के बाशिंदों से प्यार हो गया है और यही आकर्षण उन्हें यहां रहने पर मजबूर करता है.
26 वर्षीय मिशेल बैपटिस्ट भारतीय संस्कृति को पसंद करते हैं. वह सालों से यहां आ रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के बाद से वह यहीं रह रहे हैं. वह यहां कन्नड़ सीख रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें पेंटिग करना और ड्रम्स बजाना, ट्रैकिंग करना, घूमना, लोगों और पशु पक्षियों को जानना भी पहुत पसंद है.
लॉकडाउन के दौरान बैपटिस्ट ने स्थानीय पशु-पक्षियों पर अध्ययन किया. दिलचस्प तो यह है कि स्थानीय लोग मिशेल को कन्नड़ सीखने और भारतीय संस्कृतियों के बारे में अध्ययन करने में मदद कर रहे हैं.
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मिशेल बताते हैं कि उन्हें भारत बहुत पसंद है. उन्हें यहां की भाषा सीखना बहुत पसंद है. वह पिछले तीन सालों से कन्नड़ सीख रहे हैं. अब वह बहुत अच्छे से कन्नड़ बोल लेते हैं. इसके साथ ही उन्हें तुलु, हिंदी और तमिल भाषाएं भी आती हैं. पहले उन्होंने अजीत भिड़े से कन्नड़ सीखना शुरू किया, कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई. उसके बाद अजीत के भाई सचिन ने मिशेल को कन्नड़ की शिक्षा देनी शुरू की. मिशेल बताते हैं कि मंगलुरु में उनके कई अच्छे दोस्त बन गए हैं, जो उनको यहां की संस्कृति के बारे में जानने में मदद करते हैं.