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ओडिशा : 75 साल की महिला ने जीती कोरोना से जंग, बनी मिशाल

ओडिशा की रहने वाली 75 साल की महिला ने गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के बाद भी कोरोना से जंग जीतकर वापसी की है. मलकानगिरी की महालक्ष्मी पांडा अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी हैं.

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Published : Sep 3, 2020, 6:20 PM IST

Mahalakshmi panda
महालक्ष्मी पांडा

मलकानगिरी : देश में कोरोना वायरस के कारण अब तक 67,376 मौतें हो चुकी हैं. यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. ओडिशा के रहने वाली 75 साल की एक महिला ने इस महामारी को मात दी है. मलकानगिरी जिले के समबाया गुडा के रहने वाले सुशांत पांडा की मां महालक्ष्मी पांडा हाई फ्लो नैसल कैनुला मशीन से इलाज कराने के बाद ठीकर होकर घर लौटी हैं.

महालक्ष्मी के लिए इस महामारी से जंग लड़ना बेहद मुश्किल था क्योंकि वह पहले से ही पैरालिसिस के साथ अन्य बीमारियों से पीड़ित थीं. जिसके कारण वह अपने बिस्तर से नहीं उठ पाती थीं. उन्हें अचनाक से तेज बुखार आने पर उनका परीक्षण किया गया, जिसमें उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. उन्हें 21 अगस्त को स्थानीय कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उस वक्त उनका रक्तचाप भी अधिक था. धीरे-धीरे उनकी हालत बिगड़ने लगी. डॉक्टरों और परिवार ने उनके बचने की आशा खो दी थी.

संक्रमण के कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी. इसके बाद भी महालक्ष्मी ने हार नहीं मानी. अंत में अस्पताल के डॉक्टरों ने एचएफएनसी मशीन से उनका इलाज किया. जिसके बाद महालक्ष्मी की हालत में सुधार होना शुरू हो गया और कुछ ही दिनों में वह पूरी तरह से ठीक हो गईं.

पढ़ें - कोरोना LIVE : 77 फीसदी मरीज ठीक हुए, एक्टिव मामले 8.15 लाख से अधिक

महालक्ष्मी अब पूरी तरह से ठीक होकर अपने घर लौट चुकी हैं. इससे पहले न तो वह किसी को पहचान पा रही थीं और न ही अपने बिस्तर से उठ पा रही थीं, लेकिन अब वह उठकर अपने बिस्तर पर बैठ सकती हैं और दूसरों से बात भी कर पाती हैं. महालक्ष्मी ने इस महामारी का जिस तरह से डट कर सामना किया वह काबिले तारीफ है.

मलकानगिरी : देश में कोरोना वायरस के कारण अब तक 67,376 मौतें हो चुकी हैं. यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. ओडिशा के रहने वाली 75 साल की एक महिला ने इस महामारी को मात दी है. मलकानगिरी जिले के समबाया गुडा के रहने वाले सुशांत पांडा की मां महालक्ष्मी पांडा हाई फ्लो नैसल कैनुला मशीन से इलाज कराने के बाद ठीकर होकर घर लौटी हैं.

महालक्ष्मी के लिए इस महामारी से जंग लड़ना बेहद मुश्किल था क्योंकि वह पहले से ही पैरालिसिस के साथ अन्य बीमारियों से पीड़ित थीं. जिसके कारण वह अपने बिस्तर से नहीं उठ पाती थीं. उन्हें अचनाक से तेज बुखार आने पर उनका परीक्षण किया गया, जिसमें उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. उन्हें 21 अगस्त को स्थानीय कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उस वक्त उनका रक्तचाप भी अधिक था. धीरे-धीरे उनकी हालत बिगड़ने लगी. डॉक्टरों और परिवार ने उनके बचने की आशा खो दी थी.

संक्रमण के कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी. इसके बाद भी महालक्ष्मी ने हार नहीं मानी. अंत में अस्पताल के डॉक्टरों ने एचएफएनसी मशीन से उनका इलाज किया. जिसके बाद महालक्ष्मी की हालत में सुधार होना शुरू हो गया और कुछ ही दिनों में वह पूरी तरह से ठीक हो गईं.

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महालक्ष्मी अब पूरी तरह से ठीक होकर अपने घर लौट चुकी हैं. इससे पहले न तो वह किसी को पहचान पा रही थीं और न ही अपने बिस्तर से उठ पा रही थीं, लेकिन अब वह उठकर अपने बिस्तर पर बैठ सकती हैं और दूसरों से बात भी कर पाती हैं. महालक्ष्मी ने इस महामारी का जिस तरह से डट कर सामना किया वह काबिले तारीफ है.

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