ETV Bharat / bharat

संसद के नए भवन पर प्रधानमंत्री से भिड़े 69 पूर्व नौकरशाह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई भी काम करें विरोध जमकर होता है. 370, सीएए, कृषि कानून के बाद अब नया संसद भवन बनाने पर भी विरोध हो रहा है. पढ़ें रिपोर्ट.

narendra modi
नरेंद्र मोदी
author img

By

Published : Dec 22, 2020, 10:38 PM IST

नई दिल्ली : पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर चिंता व्यक्त करते हुए आरोप लगाया है कि शुरुआत से ही गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाया जा रहा है. कांस्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के बैनर तले 69 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने दावा किया है कि सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सामाजिक प्राथमिकताओं के स्थान पर बेकार और अनावश्यक परियोजना को प्रधानता दे रही है.

अर्थव्यवस्था में गिरावट

इस पत्र पर पूर्व आईएएस अधिकारी जवाहर सरकार, जावेद उस्मानी, एनसी सक्सेना, अरूणा रॉय, हर्ष मंदर और राहुल खुल्लर तथा पूर्व आईपीएस अधिकारी एएस दुलत, अमिताभ माथुर और जुलियो रिबेरो के दस्तखत हैं. इन सभी ने कहा है कि संसद का नया भवन बनाने की कोई खास वजह नहीं है. यह बेहद चिंता की बात है कि जब देश में अर्थव्यवस्था गिरावट का सामना कर रही है, लाखों लोगों बदहाल हैं, सरकार ने धूमधाम से इस पर निवेश करने का विकल्प चुना है.

आपने कानून के शासन का अनादर किया

राष्ट्रीय राजधानी में सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत संसद के नए परिसर, केंद्रीय मंत्रालयों के लिए सरकारी इमारतों, उपराष्ट्रपति के लिए नए इनक्लेव, प्रधानमंत्री के कार्यालय और आवास समेत अन्य निर्माण किए जाने हैं. परियोजना का काम कर रहे केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने अनुमानित लागत को 11,794 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 13,450 करोड़ रुपये कर दिया है. पत्र में आरोप लगाया गया है कि हम अपनी चिंताओं से अवगत कराने के लिए आपको यह पत्र आज इसलिए लिख रहे हैं क्योंकि सरकार और इसके प्रमुख के तौर पर आपने केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास परियोजना के मामले में कानून के शासन का अनादर किया. शुरुआत से ही इस परियोजना में गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाया गया, जो शायद ही इससे पहले कभी दिखा हो.

राष्ट्रपति को आधारशिला रखनी चाहिए थी

पत्र में आरोप लगाया कि खासकर चिंता की बात है कि जिस तरीके से योजना के लिए पर्यावरण मंजूरी हासिल की गई, उसमें सेंट्रल विस्टा के हरित स्थानों और विरासत भवनों को महात्वाकांक्षा से प्रेरित लक्ष्यों की उपलब्धि में अनावश्यक अड़चन माना गया है. पूर्व नौकरशाहों ने हैरानी जताते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री कार्यपालिका के प्रमुख होते हैं, विधायिका के नहीं. उस भवन में जिसमें संसद के दोनों सदन होंगे, नियमों के मुताबिक राष्ट्रपति को इसकी आधारशिला रखनी चाहिए थी. मोदी ने 10 दिसंबर को संसद के नए भवन का शिलान्यास किया था. पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने मामला अदालत में होने के बावजूद संसद के नए भवन के निर्माण की दिशा में अनुचित तरीके से आगे बढ़ने के आरोप लगाए हैं.

नई दिल्ली : पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर चिंता व्यक्त करते हुए आरोप लगाया है कि शुरुआत से ही गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाया जा रहा है. कांस्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के बैनर तले 69 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने दावा किया है कि सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सामाजिक प्राथमिकताओं के स्थान पर बेकार और अनावश्यक परियोजना को प्रधानता दे रही है.

अर्थव्यवस्था में गिरावट

इस पत्र पर पूर्व आईएएस अधिकारी जवाहर सरकार, जावेद उस्मानी, एनसी सक्सेना, अरूणा रॉय, हर्ष मंदर और राहुल खुल्लर तथा पूर्व आईपीएस अधिकारी एएस दुलत, अमिताभ माथुर और जुलियो रिबेरो के दस्तखत हैं. इन सभी ने कहा है कि संसद का नया भवन बनाने की कोई खास वजह नहीं है. यह बेहद चिंता की बात है कि जब देश में अर्थव्यवस्था गिरावट का सामना कर रही है, लाखों लोगों बदहाल हैं, सरकार ने धूमधाम से इस पर निवेश करने का विकल्प चुना है.

आपने कानून के शासन का अनादर किया

राष्ट्रीय राजधानी में सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत संसद के नए परिसर, केंद्रीय मंत्रालयों के लिए सरकारी इमारतों, उपराष्ट्रपति के लिए नए इनक्लेव, प्रधानमंत्री के कार्यालय और आवास समेत अन्य निर्माण किए जाने हैं. परियोजना का काम कर रहे केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने अनुमानित लागत को 11,794 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 13,450 करोड़ रुपये कर दिया है. पत्र में आरोप लगाया गया है कि हम अपनी चिंताओं से अवगत कराने के लिए आपको यह पत्र आज इसलिए लिख रहे हैं क्योंकि सरकार और इसके प्रमुख के तौर पर आपने केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास परियोजना के मामले में कानून के शासन का अनादर किया. शुरुआत से ही इस परियोजना में गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाया गया, जो शायद ही इससे पहले कभी दिखा हो.

राष्ट्रपति को आधारशिला रखनी चाहिए थी

पत्र में आरोप लगाया कि खासकर चिंता की बात है कि जिस तरीके से योजना के लिए पर्यावरण मंजूरी हासिल की गई, उसमें सेंट्रल विस्टा के हरित स्थानों और विरासत भवनों को महात्वाकांक्षा से प्रेरित लक्ष्यों की उपलब्धि में अनावश्यक अड़चन माना गया है. पूर्व नौकरशाहों ने हैरानी जताते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री कार्यपालिका के प्रमुख होते हैं, विधायिका के नहीं. उस भवन में जिसमें संसद के दोनों सदन होंगे, नियमों के मुताबिक राष्ट्रपति को इसकी आधारशिला रखनी चाहिए थी. मोदी ने 10 दिसंबर को संसद के नए भवन का शिलान्यास किया था. पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने मामला अदालत में होने के बावजूद संसद के नए भवन के निर्माण की दिशा में अनुचित तरीके से आगे बढ़ने के आरोप लगाए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.