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कोरोना : 48% भारतीय छात्रों की विदेश में पढ़ने की योजना प्रभावित - कोविड-19

कोविड-19 वैश्विक महामारी ने विदेशों में पढ़ने की इच्छा रखने वाले 48 प्रतिशत से अधिक भारतीय छात्रों का निर्णय प्रभावित किया है. क्यूएस के विशेषज्ञों का कहना है कि विदेश में महंगी पढ़ाई में निवेश पर मिलने वाला लाभ कम होना और कोविड-19 के बाद रोजगार के अवसर कम हो जाना अहम कारण हैं. इनकी वजह से विदेश में पढ़ने की छात्रों की योजनाएं प्रभावित हुई हैं. पढे़ं खबर विस्तार से...

48 percent of Indian students drop plan to study abroad
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Published : May 13, 2020, 8:32 PM IST

नई दिल्ली : कोविड-19 वैश्विक महामारी ने विदेशों में पढ़ने की इच्छा रखने वाले 48 प्रतिशत से अधिक भारतीय छात्रों का निर्णय प्रभावित किया है. विश्वभर में उच्च शिक्षा संस्थाओं का विश्लेषण करने में विशेषज्ञता रखने वाली और इन संस्थाओं को रैंकिंग देने वाली ब्रितानी कंपनी क्वाक्वैरली साइमंड्स (क्यूएस) की रिपोर्ट में यह कहा गया है.

क्यूएस के विशेषज्ञों का कहना है कि विदेश में महंगी पढ़ाई में निवेश पर मिलने वाला लाभ कम होना और कोविड-19 के बाद रोजगार के अवसर कम हो जाना अहम कारण हैं. इनकी वजह से विदेश में पढ़ने की छात्रों की योजनाएं प्रभावित हुई हैं.

‘भारतीय छात्रों की गतिशीलता रिपोर्ट 2020, उच्च शिक्षा विकल्पों पर कोविड-19 का प्रभाव’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमारे निष्कर्ष दर्शाते हैं कि विदेश पढ़ने की इच्छा रखने वाले छात्रों में से 48.46 प्रतिशत छात्रों की इस संबंधी योजना कोरोना वायस के कारण प्रभावित हुई है. विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के अलावा अन्य विषयों के ऐसे छात्रों की बड़ी संख्या है जो भारत के बाहर उच्च-शिक्षा हासिल करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार कर रहे हैं.'

पढे़ं : मानसून के 16 मई को अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह पहुंचने की संभावना

रिपोर्ट में कहा गया है, 'हालांकि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित से जुड़े पेशेवरों की मांग बनी रहने की उम्मीद हैं, लेकिन अन्य पाठ्यक्रमों के छात्रों की स्थिति ऐसी नहीं है.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाओं को इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाने की प्रक्रिया आज नहीं तो कल अपनाना होगा, लेकिन इस बड़े बदलाव के अनुरूप खुद को ढालने में समय लग सकता है.

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस संक्रमण से दुनिया भर में 2,89,000 लोगों की मौत हो चुकी है और 42 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या 2,415 हो गई है और संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 74,281 हो गई है.

नई दिल्ली : कोविड-19 वैश्विक महामारी ने विदेशों में पढ़ने की इच्छा रखने वाले 48 प्रतिशत से अधिक भारतीय छात्रों का निर्णय प्रभावित किया है. विश्वभर में उच्च शिक्षा संस्थाओं का विश्लेषण करने में विशेषज्ञता रखने वाली और इन संस्थाओं को रैंकिंग देने वाली ब्रितानी कंपनी क्वाक्वैरली साइमंड्स (क्यूएस) की रिपोर्ट में यह कहा गया है.

क्यूएस के विशेषज्ञों का कहना है कि विदेश में महंगी पढ़ाई में निवेश पर मिलने वाला लाभ कम होना और कोविड-19 के बाद रोजगार के अवसर कम हो जाना अहम कारण हैं. इनकी वजह से विदेश में पढ़ने की छात्रों की योजनाएं प्रभावित हुई हैं.

‘भारतीय छात्रों की गतिशीलता रिपोर्ट 2020, उच्च शिक्षा विकल्पों पर कोविड-19 का प्रभाव’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमारे निष्कर्ष दर्शाते हैं कि विदेश पढ़ने की इच्छा रखने वाले छात्रों में से 48.46 प्रतिशत छात्रों की इस संबंधी योजना कोरोना वायस के कारण प्रभावित हुई है. विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के अलावा अन्य विषयों के ऐसे छात्रों की बड़ी संख्या है जो भारत के बाहर उच्च-शिक्षा हासिल करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार कर रहे हैं.'

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रिपोर्ट में कहा गया है, 'हालांकि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित से जुड़े पेशेवरों की मांग बनी रहने की उम्मीद हैं, लेकिन अन्य पाठ्यक्रमों के छात्रों की स्थिति ऐसी नहीं है.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाओं को इंटरनेट के माध्यम से पढ़ाने की प्रक्रिया आज नहीं तो कल अपनाना होगा, लेकिन इस बड़े बदलाव के अनुरूप खुद को ढालने में समय लग सकता है.

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस संक्रमण से दुनिया भर में 2,89,000 लोगों की मौत हो चुकी है और 42 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या 2,415 हो गई है और संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 74,281 हो गई है.

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