नई दिल्ली : आर्टिकल 370 हटने के बाद 36 केंद्रीय मंत्री पहली बार जम्मू कश्मीर का दौरा करेंगे. गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, 18 से 24 जनवरी के बीच ये 36 केंद्रीय मंत्री जम्मू में 51 स्थानों के अलावा कश्मीर के आठ स्थानों पर जाएंगे.
नाम जाहिर न करने की शर्त पर केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'मंत्रियों का मुख्य काम सरकार द्वारा की गई विकास पहल को साझा करना होगा. यह लोग जम्मू-कश्मीर के लोगों तक पहुंचेंगे और सरकार की परियोजनाओं और अन्य पहल के बारे में उन्हें बताएंगे.'
इन लोगों में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, रेल मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी, संस्कृति मंत्री महेंद्र नाथ पांडे समेत पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के नाम भी शामिल हैं.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने विगत पांच अगस्त, 2019 को अचानक जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का एलान कर दिया था. इसके अलावा लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है.
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केंद्र के फैसले के बाद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 से जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले विशेष दर्जा भी खत्म हो गया है. इन बदलावों के बाद 36 केंद्रीय मंत्रियों की ये पहली जम्मू-कश्मीर यात्रा होगी.
अमित शाह ने 370 हटाने की सिफारिश और राज्य पुनर्गठन बिल पेश किया था
5 अगस्त को राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की सिफारिश और राज्य के पुनर्गठन का बिल पेश कर दिया.
शाह के इस ऐलान के साथ ही पहले से ही तैयार बैठी सरकार ने कश्मीर घाटी के राजनीतिक नेताओं को नजरबंद किया गया, इंटरनेट सहित अन्य संचार सेवाएं रोक दी गईं और पूरे राज्य में धारा 144 लागू कर दी गई.
उस दौरान कई अलगाववादी नेताओं को नजरबंद किया गया.
राज्य पुनर्गठन बिल के मुताबिक जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था, जिसमें एक लद्दाख का अलग और जम्मू-कश्मीर एक अलग राज्य बनाया गया.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों को ही दर्जा केंद्र शासित प्रदेश का दिया गया. इस प्रस्ताव को लेकर विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया था. हालांकि राज्यसभा में इसके पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 61. बहुजन समाज पार्टी ने सरकार के समर्थन में वोट किया था.