ETV Bharat / bharat

मुंबई हमला : देश के लिए प्राणों की आहुति देने वालों को याद कर रहा राष्ट्र - attack in mumbai

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 26/11 आतंकवादी हमले की 12 वीं वर्षगांठ पर देश के लिए न्योछावर होने वालों को श्रद्धांजलि दी. गृह मंत्री अमित शाह ने भी उन सभी देशवासियों को याद किया, जिन्होंने इस हमले में अपनी जान गंवा दी थी.

26/11 मुंबई हमले की बरसी पर शहीदों को याद कर रहा देश
26/11 मुंबई हमले की बरसी पर शहीदों को याद कर रहा देश
author img

By

Published : Nov 26, 2020, 1:58 PM IST

मुंबई: आज पूरा देश 26/11 आतंकवादी हमले की बरसी पर पीड़ितों, सुरक्षाकर्मियों और उन शहीदों को याद कर रहा है, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया. इस क्रम में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुंबई पुलिस आयुक्तालय कार्यालय परिसर से 26/11 आतंकवादी हमले की 12 वीं वर्षगांठ पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले देशभक्तों को श्रद्धांजलि दी.

etv bharat
मुंबई पुलिस आयुक्तालय कार्यालय परिसर पर शहीदों को श्रद्धांजलि

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि मुंबई 26/11 आतंकी हमलों में जान गंवाने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. इन हमलों में आतंकियों का डटकर सामना करने वाले वीर सुरक्षाकर्मियों को कोटि-कोटि नमन. यह राष्ट्र आपकी वीरता और बलिदान के प्रति सदैव कृतज्ञ रहेगा.

etv bharat
अमित शाह ने दी श्रद्धांजलि

इसके साथ ही आतंकवादी हमले के पीड़ितों के परिवार ने मुंबई पुलिस आयुक्तालय कार्यालय के परिसर में 26/11 स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

आपको बता दें कि 26 नवंबर, 2008 की वह शाम थी, जिसने भारत के इतिहास में अब तक के सबसे भयावह आतंकी हमलों में से एक को देखा, जिसमें मुंबई के कई लैंडमार्क स्थानों पर आतंकियों ने हमला किया. हमलों में कम से कम 166 निर्दोष लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हुए थे. हमले ने अपना असर न सिर्फ उन लोगों के जीवन पर छोड़ा, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया, बल्कि लाखों भारतीयों के मन पर भी गहरा असर छोड़ा, जिन्होंने नरसंहार देखा.

26/11: कब, कैसे?
एक दशक से भी अधिक समय पहले हुए आतंकी हमले के बाद, पाकिस्तान अभी भी हमले के पीछे के मास्टरमाइंड हाफिज मुहम्मद सईद और उसके गुर्गों को सजा नहीं दे पाया है.

पाकिस्तान ने कहा है कि भारत ने पाकिस्तानी अदालतों को दोषियों को दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दिए हैं.

पाकिस्तान द्वारा भारतीय डोजियर और साक्ष्य से इनकार मामले के कारण मामला अभी भी अधर में लटका हुआ है. उन तथ्यों पर गौर करना महत्वपूर्ण है जो निर्विवाद हैं और पहले से ही सामने आ चुके हैं.

पहला और सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जिन 10 आतंकवादियों ने 26/11 हमले को अंजाम दिया था, उनमें से एकमात्र जीवित व्यक्ति अजमल कसाब पाकिस्तानी नागरिक था. कसाब, जिसे 2012 में भारत में फांसी दी गई थी, का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फरीदकोट इलाके में हुआ था. उसकी शुरूआती स्कूली शिक्षा फैसलाबाद में हुई थी जिसके बाद उसने 2005 में अपना घर छोड़ दिया और अपने एक दोस्त के साथ छोटी-मोटी डकैतियों में शामिल रहा.

यह भी पढ़ें : 26/11 हमला : ना'पाक' आतंकी हरकत से छलनी हुई थी मायानगरी

उसी दौरान कसाब जमात-उद-दावा (जेयूडी) के प्रतिनिधियों के संपर्क में आया जो प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का राजनीतिक विंग था, जिसने उसे भर्ती किया और उसे सिंध प्रांत के थाटा में आंतकवादी प्रशिक्षण शिविरों में भेजा.

पाकिस्तानी जांचकर्ताओं की जांच में इस विवरण का सत्यापन किया गया, जिन्होंने मुंबई हमलों के मामले की जांच की.

प्रशिक्षण के दौरान, कसाब को समुद्री मार्ग के माध्यम से भारत में प्रवेश करने और आतंकवादी हमले में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को टारगेट करने की योजना के बारे में बताया गया था.

कसाब को थाटा में लश्कर के सदस्यों द्वारा हथियारों और गोला-बारूद के साथ कमांडो ट्रेनिंग दिया गया था. इस तथ्य को भी सत्यापित किया गया है कि मुंबई हमले में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक उपकरणों को थाटा प्रशिक्षण शिविर से बरामद किया गया था और उनका विधिवत मिलान किया गया था.

कसाब को उसकी टीम के नौ सदस्यों के साथ कराची बंदरगाह ले जाया गया, जहां से उन्होंने फिशिंग ट्रॉलर का इस्तेमाल किया, जो मुंबई की ओर रवाना हुआ. उनके द्वारा उपयोग किए गए ट्रॉलर को बाद में बंदरगाह पर वापस लाया गया था. पहचान छिपाने के लिए उसे पेंट किया गया था.

मुंबई बंदरगाह के पास आतंकवादियों द्वारा छोड़े गए डिंगी के इंजन से यह भी खुलासा हुआ कि इसे जापान से लाहौर और फिर कराची स्थित एक स्पोर्ट्स शॉप से आयात किया गया था जहां से लश्कर के आतंकवादियों ने इसे खरीदा था.

भारत का दावा है कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और कराची में ऑपरेशन रूम के रूप में इसका दावा सही साबित हुआ, जहां से ऑपरेशन का निर्देश दिया गया था, जिसे जांचकर्ताओं द्वारा पहचाना और सिक्योर किया गया था.

हमलावरों और कराची में बैठे उनके ऑपरेटरों के बीच कम्युनिकेशन वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआइपी) के माध्यम से किए गए थे, जैसा कि पाकिस्तानी जांचकर्ताओं द्वारा पुष्टि की गई थी.

हमले के पीछे कथित कमांडर और मास्टरमाइंड, जेयूडी प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद, कश्मीर में लश्कर के ऑपरेशन के डिप्टी और सुप्रीम कमांडर जकीउर रहमान लखवी को गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, बाद में पाकिस्तान की अदालत ने दोनों को 'सबूतों की कमी' का हवाला देते हुए रिहा कर दिया था.

मनी ट्रेल का भी खुलासा किया गया था और विदेश में रहने वाले कुछ फाइनेंसरों और फैसिलिटेटर्स को गिरफ्तार किया गया था.

हर गुजरते साल के साथ, पाकिस्तानी अदालतों में मुंबई हमलों का मामला भारतीय डोजियर के प्रति अनदेखी और पाकिस्तान द्वारा मामले में अधिक सबूत की मांग के साथ खिंचता ही चला रहा है.

मुंबई: आज पूरा देश 26/11 आतंकवादी हमले की बरसी पर पीड़ितों, सुरक्षाकर्मियों और उन शहीदों को याद कर रहा है, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया. इस क्रम में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुंबई पुलिस आयुक्तालय कार्यालय परिसर से 26/11 आतंकवादी हमले की 12 वीं वर्षगांठ पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले देशभक्तों को श्रद्धांजलि दी.

etv bharat
मुंबई पुलिस आयुक्तालय कार्यालय परिसर पर शहीदों को श्रद्धांजलि

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि मुंबई 26/11 आतंकी हमलों में जान गंवाने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. इन हमलों में आतंकियों का डटकर सामना करने वाले वीर सुरक्षाकर्मियों को कोटि-कोटि नमन. यह राष्ट्र आपकी वीरता और बलिदान के प्रति सदैव कृतज्ञ रहेगा.

etv bharat
अमित शाह ने दी श्रद्धांजलि

इसके साथ ही आतंकवादी हमले के पीड़ितों के परिवार ने मुंबई पुलिस आयुक्तालय कार्यालय के परिसर में 26/11 स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

आपको बता दें कि 26 नवंबर, 2008 की वह शाम थी, जिसने भारत के इतिहास में अब तक के सबसे भयावह आतंकी हमलों में से एक को देखा, जिसमें मुंबई के कई लैंडमार्क स्थानों पर आतंकियों ने हमला किया. हमलों में कम से कम 166 निर्दोष लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हुए थे. हमले ने अपना असर न सिर्फ उन लोगों के जीवन पर छोड़ा, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया, बल्कि लाखों भारतीयों के मन पर भी गहरा असर छोड़ा, जिन्होंने नरसंहार देखा.

26/11: कब, कैसे?
एक दशक से भी अधिक समय पहले हुए आतंकी हमले के बाद, पाकिस्तान अभी भी हमले के पीछे के मास्टरमाइंड हाफिज मुहम्मद सईद और उसके गुर्गों को सजा नहीं दे पाया है.

पाकिस्तान ने कहा है कि भारत ने पाकिस्तानी अदालतों को दोषियों को दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दिए हैं.

पाकिस्तान द्वारा भारतीय डोजियर और साक्ष्य से इनकार मामले के कारण मामला अभी भी अधर में लटका हुआ है. उन तथ्यों पर गौर करना महत्वपूर्ण है जो निर्विवाद हैं और पहले से ही सामने आ चुके हैं.

पहला और सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जिन 10 आतंकवादियों ने 26/11 हमले को अंजाम दिया था, उनमें से एकमात्र जीवित व्यक्ति अजमल कसाब पाकिस्तानी नागरिक था. कसाब, जिसे 2012 में भारत में फांसी दी गई थी, का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फरीदकोट इलाके में हुआ था. उसकी शुरूआती स्कूली शिक्षा फैसलाबाद में हुई थी जिसके बाद उसने 2005 में अपना घर छोड़ दिया और अपने एक दोस्त के साथ छोटी-मोटी डकैतियों में शामिल रहा.

यह भी पढ़ें : 26/11 हमला : ना'पाक' आतंकी हरकत से छलनी हुई थी मायानगरी

उसी दौरान कसाब जमात-उद-दावा (जेयूडी) के प्रतिनिधियों के संपर्क में आया जो प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का राजनीतिक विंग था, जिसने उसे भर्ती किया और उसे सिंध प्रांत के थाटा में आंतकवादी प्रशिक्षण शिविरों में भेजा.

पाकिस्तानी जांचकर्ताओं की जांच में इस विवरण का सत्यापन किया गया, जिन्होंने मुंबई हमलों के मामले की जांच की.

प्रशिक्षण के दौरान, कसाब को समुद्री मार्ग के माध्यम से भारत में प्रवेश करने और आतंकवादी हमले में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को टारगेट करने की योजना के बारे में बताया गया था.

कसाब को थाटा में लश्कर के सदस्यों द्वारा हथियारों और गोला-बारूद के साथ कमांडो ट्रेनिंग दिया गया था. इस तथ्य को भी सत्यापित किया गया है कि मुंबई हमले में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक उपकरणों को थाटा प्रशिक्षण शिविर से बरामद किया गया था और उनका विधिवत मिलान किया गया था.

कसाब को उसकी टीम के नौ सदस्यों के साथ कराची बंदरगाह ले जाया गया, जहां से उन्होंने फिशिंग ट्रॉलर का इस्तेमाल किया, जो मुंबई की ओर रवाना हुआ. उनके द्वारा उपयोग किए गए ट्रॉलर को बाद में बंदरगाह पर वापस लाया गया था. पहचान छिपाने के लिए उसे पेंट किया गया था.

मुंबई बंदरगाह के पास आतंकवादियों द्वारा छोड़े गए डिंगी के इंजन से यह भी खुलासा हुआ कि इसे जापान से लाहौर और फिर कराची स्थित एक स्पोर्ट्स शॉप से आयात किया गया था जहां से लश्कर के आतंकवादियों ने इसे खरीदा था.

भारत का दावा है कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और कराची में ऑपरेशन रूम के रूप में इसका दावा सही साबित हुआ, जहां से ऑपरेशन का निर्देश दिया गया था, जिसे जांचकर्ताओं द्वारा पहचाना और सिक्योर किया गया था.

हमलावरों और कराची में बैठे उनके ऑपरेटरों के बीच कम्युनिकेशन वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआइपी) के माध्यम से किए गए थे, जैसा कि पाकिस्तानी जांचकर्ताओं द्वारा पुष्टि की गई थी.

हमले के पीछे कथित कमांडर और मास्टरमाइंड, जेयूडी प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद, कश्मीर में लश्कर के ऑपरेशन के डिप्टी और सुप्रीम कमांडर जकीउर रहमान लखवी को गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, बाद में पाकिस्तान की अदालत ने दोनों को 'सबूतों की कमी' का हवाला देते हुए रिहा कर दिया था.

मनी ट्रेल का भी खुलासा किया गया था और विदेश में रहने वाले कुछ फाइनेंसरों और फैसिलिटेटर्स को गिरफ्तार किया गया था.

हर गुजरते साल के साथ, पाकिस्तानी अदालतों में मुंबई हमलों का मामला भारतीय डोजियर के प्रति अनदेखी और पाकिस्तान द्वारा मामले में अधिक सबूत की मांग के साथ खिंचता ही चला रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.