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भाई दूज : महाराजा सूरजमल ने मुस्लिम शासक से ब्राह्मण कन्या की इज्जत बचाकर निभाया था भाई का धर्म

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Published : Nov 6, 2021, 7:15 PM IST

सन् 1761 में भाई-बहन के निश्च्छल प्रेम का उदाहरण भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल (Maharaja Surajmal) ने पेश किया था. महाराजा सूरजमल ने आगरा के मुस्लिम शासक (Mohammad Shah) की कैद से ब्राह्मण कन्या को आजाद कराकर उसकी इज्जत बचाई थी. भाई दूज (Bhai Dooj) के अवसर पर पढ़िए भाई-बहन के अनूठे रिश्ते की कहानी...

महाराजा सूरजमल
महाराजा सूरजमल

भरतपुर : भारतीय संस्कृति में भाई दूज का पर्व भाई और बहन के अटूट निश्छल प्रेम का प्रतीक माना जाता है. इस पर्व पर भाई-बहन एक दूजे के सुख सौभाग्य की कामना करते हैं. आज से 260 वर्ष पूर्व सन् 1761 में भाई-बहन के ऐसे ही निश्छल प्रेम का उदाहरण भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल (Maharaja Surajmal) ने पेश किया था. महाराजा सूरजमल ने आगरा के मुस्लिम शासक की कैद से ब्राह्मण कन्या को आजाद कराकर उसकी इज्जत बचाई थी. भाई दूज (Bhai Dooj) के अवसर पर पढ़िए भाई-बहन के अनूठे रिश्ते की कहानी.

महाराज सूरजमल

ब्राह्मण कन्या को कर लिया था कैद
इतिहासकार रामवीर वर्मा ने बताया कि वर्ष 1760 में आगरा में मोहम्मद शाह (Mohammad Shah) का शासन था. मोहम्मद शाह ने अपने सिपहसालार, रिश्तेदारों को हिन्दू धर्म की शिक्षा देने के लिए एक ब्राह्मण परिवार को साथ रखा था. एक दिन ब्राह्मण की बेटी पर मोहम्मद शाह की नजर पड़ी. मोहम्मद शाह ने ब्राह्मण से उसकी बेटी से निकाह करने की बात कही. ब्राह्मण ने अपनी बेटी से पूछने की बात कही, लेकिन मोहम्मद शाह ने ब्राह्मण की बेटी को कैद (नजरबंद) करवा लिया.

ब्राह्मण कन्या ने भेजा पत्र
ब्राह्मण कन्या को जब मोहम्मद शाह (Mohammad Shah) ने कैद कर लिया तो ब्राह्मण और उसकी बेटी थोड़े घबराए. जब मोहम्मद शाह ने ब्राह्मण की बेटी से निकाह करने की बात कही तो उसने चतुराई दिखाते हुए शाह से कहा कि उसका 4 महीने का व्रत है, उसके बाद वो हर फैसला मानेगी. एक दिन जब युवती के कमरे के पास सफाई करने वाली महिला आई तो ब्राह्मण युवती ने पेन और कागज मंगाया. युवती ने महाराजा सूरजमल (Maharaja Surajmal) को भाई का सम्बोधन कर पत्र लिखा. पत्र में महाराजा सूरजमल से मोहम्मद शाह की ओर से जबरदस्ती निकाह करने की बात बताकर अपनी इज्जत बचाने की गुजारिश की.

पढ़ें- कोरापुट के शहीद क्रांतिकारियों के वंशज को आज भी सम्मान मिलने का इंतजार

हमला कर युवती को मुक्त कराया
इतिहासकार रामवीर वर्मा ने बताया कि पत्र मिलते ही महाराजा सूरजमल (Maharaja Surajmal) ने अपने सेनापति से पूरी घटना के बारे में चर्चा की. इसके बाद वर्ष 1761 में महाराजा सूरजमल ने आगरा पर हमला किया और आगरा को जीतकर ब्राह्मण कन्या को मुक्त कराया.

राखी बंधवाई और दीपदान किया
महाराजा सूरजमल ब्राह्मण कन्या को मुक्त कराकर भरतपुर लाए और उससे रखी बंधवाकर भाई-बहन का रिश्ता कायम किया. इसके बाद गोवर्धन में मानसी गंगा पर दीपावली का उत्सव मनाया. भरतपुर और बंध बारैठा के महलों पर दीपक जलाकर खुशी मनाई.

भरतपुर : भारतीय संस्कृति में भाई दूज का पर्व भाई और बहन के अटूट निश्छल प्रेम का प्रतीक माना जाता है. इस पर्व पर भाई-बहन एक दूजे के सुख सौभाग्य की कामना करते हैं. आज से 260 वर्ष पूर्व सन् 1761 में भाई-बहन के ऐसे ही निश्छल प्रेम का उदाहरण भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल (Maharaja Surajmal) ने पेश किया था. महाराजा सूरजमल ने आगरा के मुस्लिम शासक की कैद से ब्राह्मण कन्या को आजाद कराकर उसकी इज्जत बचाई थी. भाई दूज (Bhai Dooj) के अवसर पर पढ़िए भाई-बहन के अनूठे रिश्ते की कहानी.

महाराज सूरजमल

ब्राह्मण कन्या को कर लिया था कैद
इतिहासकार रामवीर वर्मा ने बताया कि वर्ष 1760 में आगरा में मोहम्मद शाह (Mohammad Shah) का शासन था. मोहम्मद शाह ने अपने सिपहसालार, रिश्तेदारों को हिन्दू धर्म की शिक्षा देने के लिए एक ब्राह्मण परिवार को साथ रखा था. एक दिन ब्राह्मण की बेटी पर मोहम्मद शाह की नजर पड़ी. मोहम्मद शाह ने ब्राह्मण से उसकी बेटी से निकाह करने की बात कही. ब्राह्मण ने अपनी बेटी से पूछने की बात कही, लेकिन मोहम्मद शाह ने ब्राह्मण की बेटी को कैद (नजरबंद) करवा लिया.

ब्राह्मण कन्या ने भेजा पत्र
ब्राह्मण कन्या को जब मोहम्मद शाह (Mohammad Shah) ने कैद कर लिया तो ब्राह्मण और उसकी बेटी थोड़े घबराए. जब मोहम्मद शाह ने ब्राह्मण की बेटी से निकाह करने की बात कही तो उसने चतुराई दिखाते हुए शाह से कहा कि उसका 4 महीने का व्रत है, उसके बाद वो हर फैसला मानेगी. एक दिन जब युवती के कमरे के पास सफाई करने वाली महिला आई तो ब्राह्मण युवती ने पेन और कागज मंगाया. युवती ने महाराजा सूरजमल (Maharaja Surajmal) को भाई का सम्बोधन कर पत्र लिखा. पत्र में महाराजा सूरजमल से मोहम्मद शाह की ओर से जबरदस्ती निकाह करने की बात बताकर अपनी इज्जत बचाने की गुजारिश की.

पढ़ें- कोरापुट के शहीद क्रांतिकारियों के वंशज को आज भी सम्मान मिलने का इंतजार

हमला कर युवती को मुक्त कराया
इतिहासकार रामवीर वर्मा ने बताया कि पत्र मिलते ही महाराजा सूरजमल (Maharaja Surajmal) ने अपने सेनापति से पूरी घटना के बारे में चर्चा की. इसके बाद वर्ष 1761 में महाराजा सूरजमल ने आगरा पर हमला किया और आगरा को जीतकर ब्राह्मण कन्या को मुक्त कराया.

राखी बंधवाई और दीपदान किया
महाराजा सूरजमल ब्राह्मण कन्या को मुक्त कराकर भरतपुर लाए और उससे रखी बंधवाकर भाई-बहन का रिश्ता कायम किया. इसके बाद गोवर्धन में मानसी गंगा पर दीपावली का उत्सव मनाया. भरतपुर और बंध बारैठा के महलों पर दीपक जलाकर खुशी मनाई.

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