नई दिल्ली: लोगों की न्याय व्यवस्था के लिए लड़ाई लड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले वकीलों के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता विधेयक में हो रहे संशोधन को लेकर वकीलों में नाराजगी है. वकील पुरजोर तरीके से इसका विरोध कर रहे हैं. वकीलों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा विधेयक में किए जा रहे संशोधन को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.
रोहिणी कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव सत्यनारायण शर्मा ने इस संबंध में कहा कि केंद्र सरकार ने अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक-2025 का मसौदा जारी किया है. उन्होंने कहा कि ये संशोधन अधिवक्ताओं पर जबरन थोपने का प्रयास किया जा रहा है. पूर्व सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार इस विधेयक में जो संशोधन करने जा रही है, उससे यह साफ है कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से वकीलों की फ्रीडम ऑफ स्पीच को खत्म करने का प्रयास कर रही है.
पूर्व सचिव ने कहा कि धारा 19 (1) A के अंतर्गत जो बोलने की स्वतंत्रता दी गई है, उस पर सरकार द्वारा अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है. इस कानून के तहत वकीलों की आवाज को दबाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वकील जब किसी मामले की जिरह करता है तो कई बार उसे आक्रामक रुख दिखाना पड़ता है, लेकिन इस कानून के बाद वकीलों में डर पैदा हो जाएगा.
सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि धारा 35-A को शामिल करना, इसमें न्यायालय के काम से बहिष्कार करने पर रोक लगाने का प्रावधान है. कोर्ट के काम से बहिष्कार या न्यायालय के कामकाज या कोर्ट परिसर में बाधा डालने के सभी आह्वान धारा 35ए(1) के अनुसार निषिद्ध हैं. प्रावधान का कोई भी उल्लंघन कदाचार माना जाएगा. हालांकि, मसौदे पर लोगों की राय मांगी गई है, और सभी वकीलों द्वारा इस पर अपनी बात को रखने का प्रयास किया जा रहा है.
बता दें कि अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक-2025 का मसौदा कानून मंत्रालय ने जारी किया है. इसमें एडवोकेट एक्ट-1961 में कई संशोधन प्रस्तावित हैं. इसके तहत धारा 35-A को शामिल किया जा रहा है. इसमें न्यायालय के काम से बहिष्कार करने पर रोक लगाने का प्रावधान है. अब इस विधेयक को लेकर अधिवक्ताओं में नाराजगी का माहौल देखने को मिल रहा है, और वह इस कानून के खिलाफ हर स्तर पर अपनी आवाज को उठाने को तैयार है.
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