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'चीन के साथ युद्ध जरूरी है, पर सरकार के पास साहस नहीं'

भारत और चीन के बीच बिगड़ते रिश्तों पर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति पर खूब प्रहार किया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी में 'साहस' नहीं है. इसलिए वह खुलकर इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलते हैं. स्वामी ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में बताया कि जब तक चीन पर धौंस नहीं जमाएंगे, तब तक यह नहीं सुधरेगा. स्वामी ने कहा कि एक समय था, जब इंदिरा गांधी और उसके बाद राजीव गांधी ने चीन को उसकी 'औकात' बात दी थी. इस मुद्दे पर स्वामी ने और क्या कुछ कहा, पढ़ें पूरी खबर. उनसे बातचीत की है ईटीवी भारत नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी ने.

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Published : Oct 20, 2022, 6:38 PM IST

नई दिल्ली : भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जब तक चीन के साथ युद्ध नहीं होगा, और जब तक उसकी पिटाई नहीं होगी, तब तक स्थिति में बदलाव नहीं होगा. ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में स्वामी ने कहा कि भारत के पास चीन को हराने की पूरी क्षमता है, सिर्फ राजनैतिक साहस दिखाने की जरूरत है, लेकिन वर्तमान सरकार के पास साहस नहीं है.

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के साथ विशेष बातचीत

सवाल : भारत-चीन संबंधों में सीमा से जुड़ी समस्याएं कैसे सुलझेंगी ?

स्वामी : चीन से लड़ कर अपनी जमीन हमें वापस लेनी होगी. राजनैतिक इच्छा शक्ति दिखानी होगी, जो नहीं है. 1996 में नरसिम्हा राव ने चीन के साथ एक संधि की कि जो जहां है वैसे ही रहे. युद्ध के बजाय हम बातचीत करें. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को दोनों ने मान लिया था. उन्होंने उसे पार कर दीपसांग को अपने हाथ में ले लिया. गलवान में हमारी सेना ने ऊपर चढ़ कर उनको भगा दिया था. बहुत लोगों को मारा भी था, अब उसको भी ले लिया. ये सब किसी भी अखबार में नहीं आया. प्रधानमंत्री ने कह दिया कोई आया नहीं, कोई गया नहीं. चीन ने कहा हमारी जो जमीन है, वो हम ले रहे हैं. लद्दाख के लोग कह रहे हैं कि जो हमारी जमीन थी, हमने उसे खाली कर दिया. समस्या मोदी की है कि वो समझता है कि वो सब कुछ जानता है, जबकि वो अनपढ़ है इन मामलों में. इकॉनमिक्स में क्या उल्टा-सुल्टा बोलता है कि भारत की इकॉनमी 5 ट्रिलियन की हो जाएगी.

इस इंटरव्यू का पहला हिस्सा यहां देखें ...

भारत और चीन के संबंध या तो तब अच्छे थे, जब चंद्रशेखर की सरकार थी और मैं उसमें मिनिस्टर था, या फिर जब राजीव गाधी प्रधानमंत्री थे, क्योंकि वो चीन को जवाब देते थे. सुंग डू रुंग वैली में पीएलए आ गई थी, उस समय राजीव ने फौज को वहां भेज कर उन्हें भगा दिया वहां से. मैंने राजीव गांधी से कहा कि आपने इसका प्रचार क्यों नहीं किया. उन्होंने कहा उनकी पिटाई कर दी, इतना काफी है, प्रचार करेंगे तो रिश्ते बिगड़ जाएंगे. इसी तरह 1967 में इंदिरा गांधी ने भी सिक्किम में भी हमारी फौजें भेजीं और घुस आए चीनी सैनिक भगा दिए गए.

ये भी पढ़ें : स्वामी बोले, 'राजीव गांधी वचन के सच्चे थे, पर मोदी से मैं धोखा खा गया'

ये भी पढ़ें : मोदी सरकार को स्वामी की सलाह, 'अमेरिका से मदद लेनी है तो रास्ता मैं बताऊंगा'

सवाल : भारत-चीन संबंधों की बात करें, तो भारत सरकार को इस वक्त क्या करना चाहिए

स्वामी : चीनियो को उखाड़ के फेंक देना चाहिए. हिमालय के इस पार जैसे ही आएं, उन्हें पीट देना चाहिए.

सवाल : तो ऐसा हो क्यों नहीं रहा ?

स्वामी : क्योंकि हम डरपोक हैं. या फिर कोई ऐसी बात है, जिससे पोल खुल जाने से डरते हैं. हमारे राजनेता तो बहुत कमजोर लोग हैं.

सवाल : बीजेपी जब विपक्ष में थी तो अक्सर कहती थी कि सरकार में राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी है. आज जब वो इच्छा शक्ति दिखाने का वक्त आया है, तो आप का कहना है कि वो मोदी सरकार में भी नहीं है ?

स्वामी : आज इनकी इच्छाशक्ति तो यही है कि अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों को खत्म करो. मोदी ने कहा चीन सीमा पर कोई आया नहीं, कोई गया नहीं. इससे बुरा और क्या हो सकता है. हर बार झूठ बोलना कि एलएसी पर बात हुई. अरे एलएसी तो पार कर चीन इधर आ गया. चीन कहता है हम जो लकीर खींचेंगे, वही एलएसी है. हमारी जनता के साथ बहुत धोखा हुआ है. इसलिए हमें सीधे युद्ध करना चाहिए. हम जीत जाएंगे. हथियार चाहिए, तो अमेरिका दे देगा सारे हथियार. अमेरिका की फौज नहीं चाहिए हमें, क्योंकि वो भी थके हुए हैं.

ये भी पढ़ें : मोदी सरकार को स्वामी की सलाह, 'अमेरिका से मदद लेनी है तो रास्ता मैं बताऊंगा'

सवाल : आप इस परिस्थिति में क्या पहल कर सकते हैं ?

स्वामी : मैं पहल नहीं, युद्ध करूंगा. चीन को चेतावनी दूंगा कि खाली करो, वहां जाओ जहां तुम 1993 के पहले थे, या फिर आक्रमण होगा.

सवाल : आपको लगता है कि इतनी सामर्थ्य है हमारी ?

स्वामी : बिलकुल, असल में हम हीन भावना में डूबे हुए हैं, इसका मैं क्या कर सकता हूं. मैं तो इस बारे में सब जानता हूं, चीन को जानता हूं, वो टेरैन जानता हूं, मैं डिफेंस के बारे में पढ़ता हूं, डिफेंस पर किताबें लिखता हूं.

सवाल : आपने शुरुआत में कभी मोदी से इस के बारे में बात की थी ?

स्वामी : हां कहा था. मोदी ने मुझसे कहा कि ब्रिक्स बैंक बन रहा है, आप उसके अध्यक्ष बन जाओ. मैंने कहा उसके लिए तो मुझे चीन में रहना होगा. मोदी ने कहा तुम्हें तो चीन बहुत पसंद है. मैंने कहा मुझे उनका खाना पसंद है, लेकिन रहना भारत में ही पसंद है. हार्वर्ड में मेरे पढ़ाए कई छात्र अब चीन में बड़े-बड़े पदों पर हैं. शी जिन पिंग का सलाहकार मेरा पढ़ाया स्टूडेंट था, जो अब चिंग वा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है. खैर मैंने ब्रिक्स बैंक का चेयरमैन का पद ठुकरा दिया. अमित शाह ने कहा कि आप को 50 करोड़ रुपए प्रति वर्ष वेतन मिलेगा. मैंने कहा पैसा लेकर मैं क्या करुंगा. इलाहाबाद में बीजेपी की नेशनल एग्ज़ीक्यूटिव में मैंने मोदी से मुलाकात कर कहा कि चीन भारत पर आक्रमण करने वाला है. उन्होंने सुन लिया, कुछ बोला नहीं. उनकी मजबूरी थी.

सवाल : क्या मजबूरी थी ?

स्वामी : वो ढ़ूंढ़ने के लायक विषय है. शोध का विषय है. मुझे पता भी होगा, तो मैं बताउंगा नहीं. है मजबूरी, वर्ना कौन कहेगा कि कोई आया नहीं, कोई गया नहीं ? सबको पता है कि चीनी सेना आई थी इधर. आज कल तो सेना के लोग भी बोलने लगे हैं. आप लोग छापते नहीं हो, क्या किया जाए. मीडिया भी डरी हुई है.

सवाल : हम ईटीवी के लोग हैं, हमें तो कोई बोलेगा, तो हम तो तुरंत छापेंगे.

स्वामी : ठीक है, मैं बोलता हूं किसी को, वो आपसे बात करेगा. मैं बोलता हूं कि चीन को सबसे पहले हमें एक बार सार्वजनिक रूप से पीटना है. उनकी सोच है कि जैसे जवाहर लाल नेहरू डर गया था, वैसे ही हम भी डर जाएंगे.

सवाल : आपके मुताबिक अक्साई चिन भी लड़ कर ले सकते हैं हम ?

स्वामी : हमने तो प्रस्ताव पास किया 1994 में कि एक-एक इंच वापस ले लेंगे. भारत एक बार इनको पीट दे, तो वो खुद अक्साई चिन छोड़ देंगे. चीन अक्साई चिन को मेंटेन नहीं कर सकता. वहां रहने वाले बौद्ध चीन के साथ नहीं है. चीन के खिलाफ अमेरिका भारत को हथियार देगा.

सवाल : अमेरिका ने तो पाक को एफ-16 के रख-रखाव के लिए पैसे दे दिए हैं. तो ऐसा तो नहीं है कि चीन से भारत लड़ाई छेड़े तो उसे एक ही वक्त दो मोर्चों पर लड़ना पड़े, पाक और चीन दोनों से ?

स्वामी : अरे नहीं अमेरिका पाकिस्तान का गला पकड़ के रखेगा हमेशा.

नई दिल्ली : भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जब तक चीन के साथ युद्ध नहीं होगा, और जब तक उसकी पिटाई नहीं होगी, तब तक स्थिति में बदलाव नहीं होगा. ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में स्वामी ने कहा कि भारत के पास चीन को हराने की पूरी क्षमता है, सिर्फ राजनैतिक साहस दिखाने की जरूरत है, लेकिन वर्तमान सरकार के पास साहस नहीं है.

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के साथ विशेष बातचीत

सवाल : भारत-चीन संबंधों में सीमा से जुड़ी समस्याएं कैसे सुलझेंगी ?

स्वामी : चीन से लड़ कर अपनी जमीन हमें वापस लेनी होगी. राजनैतिक इच्छा शक्ति दिखानी होगी, जो नहीं है. 1996 में नरसिम्हा राव ने चीन के साथ एक संधि की कि जो जहां है वैसे ही रहे. युद्ध के बजाय हम बातचीत करें. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को दोनों ने मान लिया था. उन्होंने उसे पार कर दीपसांग को अपने हाथ में ले लिया. गलवान में हमारी सेना ने ऊपर चढ़ कर उनको भगा दिया था. बहुत लोगों को मारा भी था, अब उसको भी ले लिया. ये सब किसी भी अखबार में नहीं आया. प्रधानमंत्री ने कह दिया कोई आया नहीं, कोई गया नहीं. चीन ने कहा हमारी जो जमीन है, वो हम ले रहे हैं. लद्दाख के लोग कह रहे हैं कि जो हमारी जमीन थी, हमने उसे खाली कर दिया. समस्या मोदी की है कि वो समझता है कि वो सब कुछ जानता है, जबकि वो अनपढ़ है इन मामलों में. इकॉनमिक्स में क्या उल्टा-सुल्टा बोलता है कि भारत की इकॉनमी 5 ट्रिलियन की हो जाएगी.

इस इंटरव्यू का पहला हिस्सा यहां देखें ...

भारत और चीन के संबंध या तो तब अच्छे थे, जब चंद्रशेखर की सरकार थी और मैं उसमें मिनिस्टर था, या फिर जब राजीव गाधी प्रधानमंत्री थे, क्योंकि वो चीन को जवाब देते थे. सुंग डू रुंग वैली में पीएलए आ गई थी, उस समय राजीव ने फौज को वहां भेज कर उन्हें भगा दिया वहां से. मैंने राजीव गांधी से कहा कि आपने इसका प्रचार क्यों नहीं किया. उन्होंने कहा उनकी पिटाई कर दी, इतना काफी है, प्रचार करेंगे तो रिश्ते बिगड़ जाएंगे. इसी तरह 1967 में इंदिरा गांधी ने भी सिक्किम में भी हमारी फौजें भेजीं और घुस आए चीनी सैनिक भगा दिए गए.

ये भी पढ़ें : स्वामी बोले, 'राजीव गांधी वचन के सच्चे थे, पर मोदी से मैं धोखा खा गया'

ये भी पढ़ें : मोदी सरकार को स्वामी की सलाह, 'अमेरिका से मदद लेनी है तो रास्ता मैं बताऊंगा'

सवाल : भारत-चीन संबंधों की बात करें, तो भारत सरकार को इस वक्त क्या करना चाहिए

स्वामी : चीनियो को उखाड़ के फेंक देना चाहिए. हिमालय के इस पार जैसे ही आएं, उन्हें पीट देना चाहिए.

सवाल : तो ऐसा हो क्यों नहीं रहा ?

स्वामी : क्योंकि हम डरपोक हैं. या फिर कोई ऐसी बात है, जिससे पोल खुल जाने से डरते हैं. हमारे राजनेता तो बहुत कमजोर लोग हैं.

सवाल : बीजेपी जब विपक्ष में थी तो अक्सर कहती थी कि सरकार में राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी है. आज जब वो इच्छा शक्ति दिखाने का वक्त आया है, तो आप का कहना है कि वो मोदी सरकार में भी नहीं है ?

स्वामी : आज इनकी इच्छाशक्ति तो यही है कि अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों को खत्म करो. मोदी ने कहा चीन सीमा पर कोई आया नहीं, कोई गया नहीं. इससे बुरा और क्या हो सकता है. हर बार झूठ बोलना कि एलएसी पर बात हुई. अरे एलएसी तो पार कर चीन इधर आ गया. चीन कहता है हम जो लकीर खींचेंगे, वही एलएसी है. हमारी जनता के साथ बहुत धोखा हुआ है. इसलिए हमें सीधे युद्ध करना चाहिए. हम जीत जाएंगे. हथियार चाहिए, तो अमेरिका दे देगा सारे हथियार. अमेरिका की फौज नहीं चाहिए हमें, क्योंकि वो भी थके हुए हैं.

ये भी पढ़ें : मोदी सरकार को स्वामी की सलाह, 'अमेरिका से मदद लेनी है तो रास्ता मैं बताऊंगा'

सवाल : आप इस परिस्थिति में क्या पहल कर सकते हैं ?

स्वामी : मैं पहल नहीं, युद्ध करूंगा. चीन को चेतावनी दूंगा कि खाली करो, वहां जाओ जहां तुम 1993 के पहले थे, या फिर आक्रमण होगा.

सवाल : आपको लगता है कि इतनी सामर्थ्य है हमारी ?

स्वामी : बिलकुल, असल में हम हीन भावना में डूबे हुए हैं, इसका मैं क्या कर सकता हूं. मैं तो इस बारे में सब जानता हूं, चीन को जानता हूं, वो टेरैन जानता हूं, मैं डिफेंस के बारे में पढ़ता हूं, डिफेंस पर किताबें लिखता हूं.

सवाल : आपने शुरुआत में कभी मोदी से इस के बारे में बात की थी ?

स्वामी : हां कहा था. मोदी ने मुझसे कहा कि ब्रिक्स बैंक बन रहा है, आप उसके अध्यक्ष बन जाओ. मैंने कहा उसके लिए तो मुझे चीन में रहना होगा. मोदी ने कहा तुम्हें तो चीन बहुत पसंद है. मैंने कहा मुझे उनका खाना पसंद है, लेकिन रहना भारत में ही पसंद है. हार्वर्ड में मेरे पढ़ाए कई छात्र अब चीन में बड़े-बड़े पदों पर हैं. शी जिन पिंग का सलाहकार मेरा पढ़ाया स्टूडेंट था, जो अब चिंग वा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है. खैर मैंने ब्रिक्स बैंक का चेयरमैन का पद ठुकरा दिया. अमित शाह ने कहा कि आप को 50 करोड़ रुपए प्रति वर्ष वेतन मिलेगा. मैंने कहा पैसा लेकर मैं क्या करुंगा. इलाहाबाद में बीजेपी की नेशनल एग्ज़ीक्यूटिव में मैंने मोदी से मुलाकात कर कहा कि चीन भारत पर आक्रमण करने वाला है. उन्होंने सुन लिया, कुछ बोला नहीं. उनकी मजबूरी थी.

सवाल : क्या मजबूरी थी ?

स्वामी : वो ढ़ूंढ़ने के लायक विषय है. शोध का विषय है. मुझे पता भी होगा, तो मैं बताउंगा नहीं. है मजबूरी, वर्ना कौन कहेगा कि कोई आया नहीं, कोई गया नहीं ? सबको पता है कि चीनी सेना आई थी इधर. आज कल तो सेना के लोग भी बोलने लगे हैं. आप लोग छापते नहीं हो, क्या किया जाए. मीडिया भी डरी हुई है.

सवाल : हम ईटीवी के लोग हैं, हमें तो कोई बोलेगा, तो हम तो तुरंत छापेंगे.

स्वामी : ठीक है, मैं बोलता हूं किसी को, वो आपसे बात करेगा. मैं बोलता हूं कि चीन को सबसे पहले हमें एक बार सार्वजनिक रूप से पीटना है. उनकी सोच है कि जैसे जवाहर लाल नेहरू डर गया था, वैसे ही हम भी डर जाएंगे.

सवाल : आपके मुताबिक अक्साई चिन भी लड़ कर ले सकते हैं हम ?

स्वामी : हमने तो प्रस्ताव पास किया 1994 में कि एक-एक इंच वापस ले लेंगे. भारत एक बार इनको पीट दे, तो वो खुद अक्साई चिन छोड़ देंगे. चीन अक्साई चिन को मेंटेन नहीं कर सकता. वहां रहने वाले बौद्ध चीन के साथ नहीं है. चीन के खिलाफ अमेरिका भारत को हथियार देगा.

सवाल : अमेरिका ने तो पाक को एफ-16 के रख-रखाव के लिए पैसे दे दिए हैं. तो ऐसा तो नहीं है कि चीन से भारत लड़ाई छेड़े तो उसे एक ही वक्त दो मोर्चों पर लड़ना पड़े, पाक और चीन दोनों से ?

स्वामी : अरे नहीं अमेरिका पाकिस्तान का गला पकड़ के रखेगा हमेशा.

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