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बेअंत सिंह हत्याकांड: दोषी बेअंत सिंह राजोआना की याचिका पर एक नवंबर को सुनवाई

वर्ष 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या मामले (Beant Singh assassination) में दोषी ठहराये गए बलवंत सिंह राजोआना (balwant singh rajoana) ने अपनी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का अनुरोध किया है. राजोआना की दया याचिका एक दशक से अधिक समय से सरकार के पास लंबित है.

balwant singh rajoana
बेअंत सिंह हत्याकांड
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Published : Oct 11, 2022, 8:01 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हुई हत्या के मामले (Beant Singh assassination) में दोषी ठहराये गए बलवंत सिंह राजोआना (balwant singh rajoana) की याचिका पर एक नवंबर को तीन न्यायाधीशों की एक पीठ सुनवाई करेगी. याचिका में, राजोआना ने अपनी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का अनुरोध किया है. उसकी दया याचिका एक दशक से अधिक समय से सरकार के पास लंबित है.

राजोआना के वकील मुकुल रोहतगी ने प्रधान नयायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि उनका मुवक्किल 26 वर्षों से जेल में है. उन्होंने कहा कि शीर्ष न्यायालय के फैसलों के आधार पर उनके पास यह एक ठोस आधार है कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन की स्वतंत्रता के संरक्षण का अधिकार) का हनन हुआ है.

शीर्ष न्यायालय ने राजोआना की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने पर केंद्र के फैसला करने में नाकाम रहने को लेकर 28 सितंबर को नाखुशी जताई थी. मंगलवार की सुनवाई के दौरान रोहतगी ने पीठ के समक्ष जोर देते हुए कहा कि राजोआना सजा में इस तरह का परिवर्तन किये जाने का हकदार है. पीठ में न्यायमूर्ति एसआर भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी भी शामिल हैं. पीठ ने इस बात का जिक्र किया कि केंद्र ने पूर्व में उच्चतम न्यायालय में एक सह-आरोपी द्वारा दायर अपील के लंबित रहने का हवाला दिया था. न्यायालय ने कहा कि वह दोनों विषयों- सह-आरोपी की लंबित अपील और राजोआना की याचिका, को एक ही दिन सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर सकता है.

हालांकि, रोहतगी ने पीठ से राजोआना की याचिका पर अलग से सुनवाई करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, 'मैं (राजोआना) इसे महज इस कारण एकसाथ जोड़ना नहीं चाहता कि मैंने 26 साल जेल में बिताए हैं. मैं अपने मामले में यह दलील पेश करना चाहता हूं कि मैं अपनी सजा को उम्र कैद में तब्दील कराये जाने का हकदार हूं.' रोहतगी ने कहा कि राजोआना जनवरी 1996 से जेल में है और उसकी दया याचिका मार्च 2012 में दायर की गई थी. उन्होंने कहा कि उनका मुवक्किल 2007 से मौत की सजा का सामना कर रहा है.

यह भी पढ़ें- आय के संबंध में सकारात्मक साक्ष्य होने पर न्यूनतम वेतन अधिसूचना पर भरोसा नहीं रखा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा कि राजोआना की याचिका एक नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी. अदालत ने कहा, 'अंतिम निस्तारण के लिए इसे एक नवंबर 2022 के दिन सूचीबद्ध किया जाए.' पीठ ने कहा कि इस बीच प्राधिकारों को उपयुक्त कार्रवाई करने की छूट है. बता दें, पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना को पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर 31 अगस्त 1995 को हुए विस्फोट में संलिप्त रहने को लेकर दोषी ठहराया गया था. इस घटना में बेअंत सिंह और 16 अन्य की मौत हो गई थी. एक विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई 2007 में मौत की सजा सुनाई थी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हुई हत्या के मामले (Beant Singh assassination) में दोषी ठहराये गए बलवंत सिंह राजोआना (balwant singh rajoana) की याचिका पर एक नवंबर को तीन न्यायाधीशों की एक पीठ सुनवाई करेगी. याचिका में, राजोआना ने अपनी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का अनुरोध किया है. उसकी दया याचिका एक दशक से अधिक समय से सरकार के पास लंबित है.

राजोआना के वकील मुकुल रोहतगी ने प्रधान नयायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि उनका मुवक्किल 26 वर्षों से जेल में है. उन्होंने कहा कि शीर्ष न्यायालय के फैसलों के आधार पर उनके पास यह एक ठोस आधार है कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन की स्वतंत्रता के संरक्षण का अधिकार) का हनन हुआ है.

शीर्ष न्यायालय ने राजोआना की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने पर केंद्र के फैसला करने में नाकाम रहने को लेकर 28 सितंबर को नाखुशी जताई थी. मंगलवार की सुनवाई के दौरान रोहतगी ने पीठ के समक्ष जोर देते हुए कहा कि राजोआना सजा में इस तरह का परिवर्तन किये जाने का हकदार है. पीठ में न्यायमूर्ति एसआर भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी भी शामिल हैं. पीठ ने इस बात का जिक्र किया कि केंद्र ने पूर्व में उच्चतम न्यायालय में एक सह-आरोपी द्वारा दायर अपील के लंबित रहने का हवाला दिया था. न्यायालय ने कहा कि वह दोनों विषयों- सह-आरोपी की लंबित अपील और राजोआना की याचिका, को एक ही दिन सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर सकता है.

हालांकि, रोहतगी ने पीठ से राजोआना की याचिका पर अलग से सुनवाई करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, 'मैं (राजोआना) इसे महज इस कारण एकसाथ जोड़ना नहीं चाहता कि मैंने 26 साल जेल में बिताए हैं. मैं अपने मामले में यह दलील पेश करना चाहता हूं कि मैं अपनी सजा को उम्र कैद में तब्दील कराये जाने का हकदार हूं.' रोहतगी ने कहा कि राजोआना जनवरी 1996 से जेल में है और उसकी दया याचिका मार्च 2012 में दायर की गई थी. उन्होंने कहा कि उनका मुवक्किल 2007 से मौत की सजा का सामना कर रहा है.

यह भी पढ़ें- आय के संबंध में सकारात्मक साक्ष्य होने पर न्यूनतम वेतन अधिसूचना पर भरोसा नहीं रखा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा कि राजोआना की याचिका एक नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी. अदालत ने कहा, 'अंतिम निस्तारण के लिए इसे एक नवंबर 2022 के दिन सूचीबद्ध किया जाए.' पीठ ने कहा कि इस बीच प्राधिकारों को उपयुक्त कार्रवाई करने की छूट है. बता दें, पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना को पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर 31 अगस्त 1995 को हुए विस्फोट में संलिप्त रहने को लेकर दोषी ठहराया गया था. इस घटना में बेअंत सिंह और 16 अन्य की मौत हो गई थी. एक विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई 2007 में मौत की सजा सुनाई थी.

(पीटीआई-भाषा)

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