नई दिल्ली : देश में इनकम टैक्स से जुड़े विवादों पर फैसला सुनाने वाली संस्था इनकम टैक्स अपैलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) ने कहा है भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को मिल रही छूट जारी रहेगी. ट्रिब्यूनल ने कहा कि बीसीसीआई की छूट सिर्फ इसलिए समाप्त नहीं कर सकते, क्योंकि उसकी आईपीएल से मोटी कमाई हो रही है. साथ ही कहा कि बोर्ड आयकर एक्ट 12A के अंर्तगत एक सोसाइटी रजिस्ट्रेशन का हकदार है, जब तक वह देश में क्रिकेट को प्रमोट करता रहेगा उसे छूट जारी रहेगी.
बता दें कि बीसीसीआई, तमिलनाडु सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्टर्ड सोसाइटी है और इसी वजह से उसे टैक्स में छूट मिली हुई है. उसका 1996 में आयकर की धारा 12 ए के तहत पंजीकरण हुआ था. बाद में 2018 में, सोसाइटी ने जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिश के आधार पर अपने मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में बदलाव के संदर्भ में नए पंजीकरण के लिए एक आवेदन दायर किया. इसे प्रधान आयुक्त ने खारिज कर दिया था.
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आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि आईपीएल वाणिज्यिक गतिविधियों की प्रकृति में हैं और धारा 2(15) के प्रावधान में छूट के लिए सीमा को पार करती हैं, इस वजह से उसे सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं मिलना चाहिए. इस फैसले को बीसीसीआई ने ITAT में चुनौती दी, जहां फैसला उसके पक्ष में आया है. फैसले में ITAT ने कहा कि जब तक देश में क्रिकेट को बढ़ावा देने बोर्ड का प्राथमिक लक्ष्य होगा तब तक उसे टैक्स में छूट मिलती रहेगी. फैसला सुनाने वाले ITAT के मुंबई बेंच में न्यायिक सदस्य रवीश सूद और उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार शामिल थे.
ITAT ने अपने फैसले में कहा कि भले ही आईपीएल का स्ट्रक्चर ऐसा है जिससे बोर्ड को मोटी कमाई होती है, लेकिन इससे यह तय नहीं होता है कि बोर्ड क्रिकेट को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने का काम नहीं कर रहा है. इसलिए बीसीसीआई को सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराने का अधिकार जारी रहेगा, लिहाजा उसको मिलने वाली टैक्स छूट मिलती रहेगी.