नई दिल्ली : माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) के रूप में मनाया जाता है. इस खास पर्व में विद्या और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. मां सरस्वती को समर्पित बसंत पंचमी इस बार पांच फरवरी को मनाई जा रही है. इस दिन को बागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थीं, जिसके कारण इस उत्सव को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, नई विद्या आरंभ करना, नया काम शुरू करना, अन्नप्राशन संस्कार, गृह प्रवेश या अन्य कोई शुभ काम करना अच्छा माना जाता है.
हर साल की तरह इस साल भी बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) पर लाखों जोड़े विवाह के बंधन में बंधेंगे. कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन अबूझ विवाह के लिए सर्वश्रेष्ठ संयोग और मुहूर्त होता है. यानी जिन जोड़ों के विवाह का कोई मुहूर्त नहीं निकल पाता वे बेझिझक बसंत पंचमी के दिन विवाह कर सकते हैं.
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पांच फरवरी को प्रातः 3:47 बजे से अगले दिन छह फरवरी को प्रातः 3:46 बजे तक रहेगी. इस अवसर पर सुबह 7:11 बजे से शाम 5:42 बजे तक सिद्ध योग रहेगा. शाम 5:43 बजे से अगले दिन तक साध्य योग रहेगा. इसके अलावा रवि योग का संयोग भी बना रहेगा. ये संयोग दिन को शुभ बना रहे हैं.
बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) के दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, कोई नई विद्या आरंभ करना, गृह प्रवेश, अन्नप्राशन संस्कार, नया काम शुरू करना या अन्य कोई भी शुभ काम करना शुभ माना जाता है. खुशी की बात तो ये है कि इस साल इस दिन पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं. इस दिन पर शुभ योग में माता सरस्वती की वंदना करने और मंत्रों का जाप करने से मां सरस्वती की कृपा मिलती है. पौराणिक शास्त्रों और कथाओं में बताया गया है कि बसंत पंचमी के दिन शिक्षा और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का उद्भव हुआ था. इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है.
बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) के दिन दोषरहित परम श्रेष्ठ योग के साथ-साथ रवि योग भी लगता है, जो किसी शुभ काम में बनने वाले विपरीत हालातों का नाश करके शुभ काम को परिपूर्ण करता है. इतना ही नहीं इस दिन अमृत सिद्धि योग भी होता है और पूरे दिन जो भी काम किया जाए, वो शुभ सम्पन्न होते हैं. कहा जाता है कि इस दिन शादी ही नहीं कोई भी शुभ काम बिना झिझक और बिना मुहूर्त निकाले किया जा सकता है.
धार्मिक ग्रंथों में बसंत पंचमी
ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) के दिन प्रेम के देवता काम और उनकी पत्नी रति, अपने दोस्त बसंत के साथ प्रेम पैदा करने के लिए धरती पर आते हैं. ब्रह्मांड में काम और ज्ञान के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए इस दिन देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं. वैसे, देवी सरस्वती के रूप के बारे में एक कहानी यह भी है कि ब्रह्माजी की मूक रचना बिना आवाज की वजह उदास हो गई थीं. ऐसे में बसंत पंचमी के दिन ब्रह्माजी ने देवी वागेश्वरी के दर्शन किए और देवी ने अपनी वीणा के स्वर से मौन लोक में स्वर रचे.
बन रहे अत्यंत शुभ योग
इस वर्ष बसंत पंचमी के दिन बहुत से शुभ योग बन रहे हैं और विद्यार्थियों, साधकों, भक्तों और ज्ञान चाहने वालों के लिए यह दिन बहुत ही शुभ है. इस दिन सिद्ध नामक शुभ योग है जो देवी सरस्वती के उपासकों को सिद्धि और मनोवांछित फल देता है.
सरस्वती पूजा के दिन रवि योग
इसके साथ ही बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) के दिन रवि नामक योग भी बन रहा है, जो सभी अशुभ योगों के प्रभाव को दूर करने वाला माना जाता है. इन सबके साथ ही सरस्वती पूजा के दिन एक और अच्छी बात यह होगी कि बसंत पंचमी के एक दिन पहले बुद्धि कारक बुध ग्रह अपने मार्ग में होगा. इसके साथ ही शुभ बुद्धादित्य योग भी प्रभाव में रहेगा.
शुभ योग में होगा लाभ
इन शुभ योगों में विद्यार्थी यदि पूरे मन से मां सरस्वती की पूजा करें तो उन्हें मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है. उनकी बुद्धि और ज्ञान का विकास होगा. इस शुभ योग में संतान की शिक्षा शुरू करना, गुरुमंत्र, बरसे प्राप्त करना, नए रिश्ते की शुरुआत करना भी शुभ रहेगा.
विद्यारंभ के लिए सबसे अच्छा दिन
पौराणिक मान्यता के अनुसार, छात्रों के साथ लेखन कार्य करने के लिए बसंत पंचमी का दिन विशेष होता है. इस दिन विद्या की देवी सरस्वती का दिन होने के कारण मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है. विद्यारंभ समारोह किया जाता है. गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि वह ऋतुओं का बसंत हैं. छह ऋतुओं में बसंत ऋतुराज के रूप में पूजनीय है. इस अवसर पर प्रकृति एक नया रूप धारण करती है.
मुहूर्त के बिना कर सकते हैं शादी
बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) का दिन दोषमुक्त दिन माना जाता है. इसी वजह से इसे सेल्फ साइडिंग और अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है. इसी वजह से इस दिन बड़ी संख्या में शादियां होती हैं. विवाह के अलावा मुंडन समारोह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं. इस दिन को बागेश्वरी जयंती और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है.
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बसंत पंचमी के नियम
बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) के दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. माना जाता है कि जब सरस्वती अवतरित हुई थीं उस वक्त ब्रह्मांड में लाल, पीली और नीली आभा हुई थी. सबसे पहले पीली आभा दिखी थी, इसलिए मां सरस्वती का प्रिय रंग पीला है, लेकिन इस दिन भूलकर भी काले, लाल या फिर रंग-बिरंगे वस्त्र न पहनें. बसंत पंचमी के दिन मांस-मंदिरा से दूरी बनाकर रखें. इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें. इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इसलिए किसी को भी अपशब्द न कहें और न ही किसी का अपमान करें. इसलिए मन में जरा सा भी बुरे विचार न लाएं. शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए. इसलिए इस दिन स्नान करके मां सरस्वती की पूजा करके ही कुछ ग्रहण करें. बसंत पंचमी के दिन से बसंत ऋतु भी शुरू हो जाती है. इसलिए इस दिन पेड़-पौधों की कटाई-छंटाई भी नहीं करनी चाहिए.