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एनसीबी अधिकारी वानखेड़े के नाम पर बार लाइसेंस : नवाब मलिक का दावा

महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक (Maharashtra cabinet minister Nawab Malik) ने एक बार फिर एनसीबी (Narcotics Control Bureau) अधिकारी समीर वानखेड़े पर निशाना साधा. दावा किया कि वानखेड़े के पास नवी मुंबई के वाशी में एक रेस्तरां और बार है. जिसके लिए 1997 में लाइसेंस प्राप्त किया गया था, जब वह नाबालिग थे. मलिक ने इसे अवैध करार दिया.

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Published : Nov 19, 2021, 9:40 PM IST

मुंबई : मलिक ने स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (Narcotics Control Bureau) के मुंबई जोन के निदेशक के खिलाफ आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारी नौकरी (Government Job) में होने के बावजूद वानखेड़े के पास बार चलाने करने का लाइसेंस है जो सेवा नियमों के खिलाफ (against service rules) है.

हालांकि वानखेड़े ने मलिक के दावों को खारिज करते हुए कहा कि वह मंत्री के खिलाफ मानहानि का मुकदमा (defamation case against minister) दायर करेंगे. मलिक ने संवाददाताओं से कहा कि समीर के पिता राज्य के आबकारी विभाग में कार्यरत थे और उन्होंने समीर के नाम पर रेस्तरां और बार (Restaurant and bar named after Sameer) चलाने का लाइसेंस हासिल किया था.

उस समय उनकी उम्र 17 साल और 10 महीने थी. ऐसे व्यक्ति को कोई लाइसेंस जारी नहीं किया जाता जिसने 18 साल की उम्र पूरी नहीं की हो. इसके बाद भी उनके पिता ने 1997-98 में लाइसेंस लेने में कामयाबी हासिल की. ​​हर बार वानखेड़े के नाम पर लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाता है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रवक्ता ने कहा कि समीर द्वारा आउटलेट के मूल्यांकन के बारे में सरकार को दी गई जानकारी कुछ संदेहास्पद है. उन्होंने कहा कि 2017 में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में समीर वानखेड़े ने नियमों के तहत अपनी संपत्ति घोषित की थी जिसमें उन्होंने संपत्ति के रूप में बार का उल्लेख किया था.

मलिक ने कहा कि एक दशक से अधिक समय तक इसका मूल्यांकन एक करोड़ रुपये के साथ ही वार्षिक किराए के रूप में दो लाख रुपये की आय दिखायी गई. 2020 में भी समीर वानखेड़े ने दावा किया कि बार का मूल्यांकन एक करोड़ रुपये और वार्षिक किराया दो लाख रुपये है. इसका मतलब है कि इसमें कुछ संदिग्ध है.

राकांपा नेता ने वानखेड़े पर शराब लाइसेंस रखने की जानकारी केंद्र सरकार से छिपाने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि सेवा नियमों का उल्लंघन करने पर एनसीबी अधिकारी की नौकरी चली जाएगी.

उन्होंने कहा कि समीर वानखेड़े की नौकरी निश्चित रूप से जा रही है क्योंकि सरकारी नौकरी में होने के बावजूद उनका व्यवसाय चल रहा है. सरकारी नौकरी पाने के लिए उन्होंने पहले ही जाति प्रमाण पत्र और जन्म प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़ा किया है. केंद्र सरकार को उनका समर्थन बंद कर देना चाहिए.

संपर्क किए जाने पर एनसीबी अधिकारी ने मलिक के दावों को खारिज कर दिया. वानखेड़े ने कहा कि मंत्री ने गलत आरोप लगाए हैं. जिस प्रतिष्ठान का मैं मालिक हूं, वह बार नहीं बल्कि एक पारिवारिक रेस्तरां और बार है. उन्होंने जो कुछ भी कहा है, वह गलत है. उन्होंने जो फोटो साझा किया है, वह मेरे रेस्तरां का नहीं है और मैं उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने जा रहा हूं.

यह भी पढ़ें-स्‍वामी का तीखा सवाल,'क्या पीएम अब स्वीकार करेंगे, चीन ने हमारे क्षेत्र पर कब्जा किया'

उन्होंने कहा कि मेरी मां ने उस रेस्तरां को खरीदा था और मैं उसमें भागीदार था. मैं उसमें पढ़ता था और वहां प्रबंधक के रूप में भी काम करता था. सिविल सेवा में आने के बाद मेरे पिता भागीदार बन गए और मैंने इस बारे में सरकार से की गई अपनी सभी घोषणाओं में जिक्र किया है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : मलिक ने स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (Narcotics Control Bureau) के मुंबई जोन के निदेशक के खिलाफ आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारी नौकरी (Government Job) में होने के बावजूद वानखेड़े के पास बार चलाने करने का लाइसेंस है जो सेवा नियमों के खिलाफ (against service rules) है.

हालांकि वानखेड़े ने मलिक के दावों को खारिज करते हुए कहा कि वह मंत्री के खिलाफ मानहानि का मुकदमा (defamation case against minister) दायर करेंगे. मलिक ने संवाददाताओं से कहा कि समीर के पिता राज्य के आबकारी विभाग में कार्यरत थे और उन्होंने समीर के नाम पर रेस्तरां और बार (Restaurant and bar named after Sameer) चलाने का लाइसेंस हासिल किया था.

उस समय उनकी उम्र 17 साल और 10 महीने थी. ऐसे व्यक्ति को कोई लाइसेंस जारी नहीं किया जाता जिसने 18 साल की उम्र पूरी नहीं की हो. इसके बाद भी उनके पिता ने 1997-98 में लाइसेंस लेने में कामयाबी हासिल की. ​​हर बार वानखेड़े के नाम पर लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाता है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रवक्ता ने कहा कि समीर द्वारा आउटलेट के मूल्यांकन के बारे में सरकार को दी गई जानकारी कुछ संदेहास्पद है. उन्होंने कहा कि 2017 में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में समीर वानखेड़े ने नियमों के तहत अपनी संपत्ति घोषित की थी जिसमें उन्होंने संपत्ति के रूप में बार का उल्लेख किया था.

मलिक ने कहा कि एक दशक से अधिक समय तक इसका मूल्यांकन एक करोड़ रुपये के साथ ही वार्षिक किराए के रूप में दो लाख रुपये की आय दिखायी गई. 2020 में भी समीर वानखेड़े ने दावा किया कि बार का मूल्यांकन एक करोड़ रुपये और वार्षिक किराया दो लाख रुपये है. इसका मतलब है कि इसमें कुछ संदिग्ध है.

राकांपा नेता ने वानखेड़े पर शराब लाइसेंस रखने की जानकारी केंद्र सरकार से छिपाने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि सेवा नियमों का उल्लंघन करने पर एनसीबी अधिकारी की नौकरी चली जाएगी.

उन्होंने कहा कि समीर वानखेड़े की नौकरी निश्चित रूप से जा रही है क्योंकि सरकारी नौकरी में होने के बावजूद उनका व्यवसाय चल रहा है. सरकारी नौकरी पाने के लिए उन्होंने पहले ही जाति प्रमाण पत्र और जन्म प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़ा किया है. केंद्र सरकार को उनका समर्थन बंद कर देना चाहिए.

संपर्क किए जाने पर एनसीबी अधिकारी ने मलिक के दावों को खारिज कर दिया. वानखेड़े ने कहा कि मंत्री ने गलत आरोप लगाए हैं. जिस प्रतिष्ठान का मैं मालिक हूं, वह बार नहीं बल्कि एक पारिवारिक रेस्तरां और बार है. उन्होंने जो कुछ भी कहा है, वह गलत है. उन्होंने जो फोटो साझा किया है, वह मेरे रेस्तरां का नहीं है और मैं उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने जा रहा हूं.

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उन्होंने कहा कि मेरी मां ने उस रेस्तरां को खरीदा था और मैं उसमें भागीदार था. मैं उसमें पढ़ता था और वहां प्रबंधक के रूप में भी काम करता था. सिविल सेवा में आने के बाद मेरे पिता भागीदार बन गए और मैंने इस बारे में सरकार से की गई अपनी सभी घोषणाओं में जिक्र किया है.

(पीटीआई-भाषा)

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