नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन के मामले में चंडीगढ़ से संचालित फार्मास्युटिकल कंपनी पैराबोलिक ड्रग्स और उसके प्रवर्तकों के विभिन्न ठिकानों पर शुक्रवार को छापे मारे. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ हरियाणा के पंचकूला और अंबाला में कुल 17 ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई कर रही है. सूत्रों ने बताया कि यह कार्रवाई धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की जा रही है.
उन्होंने बताया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा 2021 में कंपनी और उसके प्रवर्तकों विनीत गुप्ता और प्रणव गुप्ता एवं अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी धनशोधन के आरोपों की जांच कर रही है. गौरतलब है कि सीबीआई ने 31 दिसंबर, 2021 को चंडीगढ़, पंचकुला, लुधियाना, फरीदाबाद और दिल्ली में 12 स्थानों पर आरोपियों के कार्यालय और आवासीय परिसरों में तलाशी ली. तलाशी के दौरान, सीबीआई ने आपत्तिजनक दस्तावेज, लेख और 1.58 करोड़ रुपये नकद बरामद किए थे.
सूत्रों के मुताबिक, एजेंसी सोनीपत से संचालित अशोक विश्वविद्यालय के कुछ दस्तावेजों की भी जांच कर रही है क्योंकि कंपनी के निदेशक विनीत गुप्ता और प्रणव गुप्ता पूर्व में उक्त शिक्षण संस्थान से जुड़े हुए थे. दोनों ने सीबीआई द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद 2022 में विश्वविद्यालय के सभी बोर्ड और समितियों से इस्तीफा दे दिया था. संस्थान ने तब मामले से किसी तरह से जुड़े होने से इनकार किया था. सीबीआई ने दिसंबर 2021 में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया नीत कंसोर्टियम से 1626.74 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले में कंपनी के शीर्ष कार्यकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. इसके बाद उनके ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की गई थी. कंपनी के प्रबंध निदेशक प्रणब गुप्ता के अलावा सीबीआई ने कंपनी के निदेशक विनीत गुप्ता, दीपाली गुप्ता, रमा गुप्ता, जगजीत सिंह चहल, संजीव कुमार, वंदना सिंगला, इशरत गिल और उनके गारंटर टीएन गोयल और निर्मल बंसल एवं जेडी गुप्ता को भी नामजद किया है.
अशोक यूनिवर्सिटी ने पिछले साल जनवरी में एक बयान में कहा था, "सीबीआई के मामले और उनके खिलाफ 12 स्थानों पर तलाशी के बाद, यूनिवर्सिटी में 200 से अधिक संस्थापक और दानकर्ता हैं, जिन्होंने अशोका के लिए व्यक्तिगत परोपकारी योगदान दिया है. उनके व्यक्तिगत व्यापारिक सौदे और संचालन विश्वविद्यालय से कोई संबंध नहीं." पिछले 6 जनवरी को बयान में कहा गया था, "अशोका में शासन के उच्च मानकों को ध्यान में रखते हुए, विनीत और प्रणव गुप्ता ने पहले ही स्वेच्छा से विश्वविद्यालय के सभी बोर्डों और समितियों से इस्तीफा दे दिया है, जब तक कि सीबीआई मामला लंबित है और जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं."