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बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का युद्धक टैंक ओडिशा के केंद्रापड़ा के कॉलेज में लाया गया

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Published : Oct 17, 2021, 4:51 PM IST

Updated : Oct 17, 2021, 7:53 PM IST

ओडिशा के छात्रों और युवाओं को रक्षा बलों में शामिल होने के वास्ते प्रेरित करने और उनके बीच देशभक्ति की भावना का प्रचार करने के लिए भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए गए एक युद्धक टैंक को 'वॉर ट्रॉफी' स्मृति चिह्न के तौर पर यहां केंद्रापड़ा स्वायत्त कॉलेज लाया गया. यह टैंक 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में इस्तेमाल किया गया था.

ओडिशा
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केंद्रापड़ा : भारतीय सेना (Indian Army) द्वारा इस्तेमाल किए गए एक युद्धक टैंक को 'वॉर ट्रॉफी' स्मृति चिह्न (War Trophy memento) के तौर पर यहां केंद्रपड़ा स्वायत्त कॉलेज लाया गया. यह युद्धक टैंक 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (Bangladesh Liberation War) में इस्तेमाल किया गया था. इस स्मृति चिह्न को यहां लाने का उद्देश्य ओडिशा के छात्रों और युवाओं को रक्षा बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने और उनके बीच देशभक्ति की भावना का प्रचार करना है.

रूस द्वारा निर्मित टी-55 युद्धक टैंक को नई दिल्ली में सेना मुख्यालय, मास्टर जनरल ब्रांच, आयुध सेवा निदेशालय से हासिल किया गया. इसके लिए तत्कालीन सेना प्रमुख और मौजूदा प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत की मंजूरी ली गई.

बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का युद्धक टैंक

पढ़ें : ओडिशा में प्रशंसक ने मुख्यमंत्री के जन्मदिन के मौके पर चॉकलेट से पटनायक की मूर्ति बनायी

'वॉर ट्रॉफी' को छात्रों तथा एनसीसी कैडेट को देश की सेवा के लिए रक्षा बलों में शामिल होने के वास्ते प्रेरित करने और छात्रों के बीच देशभक्ति की भावना का प्रचार करने के वास्ते कॉलेज परिसर में उनके प्रदर्शन के उद्देश्य से जारी किया जाता है.

कॉलेज के प्रधानाचार्य राजेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि वॉर ट्रॉफी टैंक टी-55 भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध में शामिल था और देश को जीत दिलायी थी तथा यह देश के गौरव एवं प्रतिष्ठा का प्रतीक है. कॉलेज ने टैंक खरीदने के लिए केवल 1.14 लाख रुपये दिए.

(पीटीआई-भाषा)

केंद्रापड़ा : भारतीय सेना (Indian Army) द्वारा इस्तेमाल किए गए एक युद्धक टैंक को 'वॉर ट्रॉफी' स्मृति चिह्न (War Trophy memento) के तौर पर यहां केंद्रपड़ा स्वायत्त कॉलेज लाया गया. यह युद्धक टैंक 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (Bangladesh Liberation War) में इस्तेमाल किया गया था. इस स्मृति चिह्न को यहां लाने का उद्देश्य ओडिशा के छात्रों और युवाओं को रक्षा बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने और उनके बीच देशभक्ति की भावना का प्रचार करना है.

रूस द्वारा निर्मित टी-55 युद्धक टैंक को नई दिल्ली में सेना मुख्यालय, मास्टर जनरल ब्रांच, आयुध सेवा निदेशालय से हासिल किया गया. इसके लिए तत्कालीन सेना प्रमुख और मौजूदा प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत की मंजूरी ली गई.

बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का युद्धक टैंक

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'वॉर ट्रॉफी' को छात्रों तथा एनसीसी कैडेट को देश की सेवा के लिए रक्षा बलों में शामिल होने के वास्ते प्रेरित करने और छात्रों के बीच देशभक्ति की भावना का प्रचार करने के वास्ते कॉलेज परिसर में उनके प्रदर्शन के उद्देश्य से जारी किया जाता है.

कॉलेज के प्रधानाचार्य राजेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि वॉर ट्रॉफी टैंक टी-55 भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध में शामिल था और देश को जीत दिलायी थी तथा यह देश के गौरव एवं प्रतिष्ठा का प्रतीक है. कॉलेज ने टैंक खरीदने के लिए केवल 1.14 लाख रुपये दिए.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Oct 17, 2021, 7:53 PM IST
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