अयोध्या : भारत में कट्टरपंथियों द्वारा तालिबानी सोच का समर्थन करने के मामले के सामने आने के बाद संतो ने एक बड़ा मुद्दा उठाया है. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्र आनंद गिरी महाराज ने देश में संचालित मदरसों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बयान पर अयोध्या के संतो ने भी मोर्चा खोल दिया है.
अयोध्या के संतों ने भी आनंद गिरी महाराज के सुर में सुर मिलाते हुए केंद्र और प्रदेश सरकार से अपील की है कि देश भर में मजहबी शिक्षा पद्धति को बैन किया जाना चाहिए. पूरे भारत में एक शिक्षा प्रणाली होनी चाहिए.
हनुमानगढ़ी के वरिष्ठ संत राजू दास ने योगी सरकार से मांग की है कि उत्तर प्रदेश में मदरसों की जांच कर शिक्षा पर प्रतिबंध लगाया जाए. उन्होंने कहा कि मदरसों से देश विरोधी सोच, आतंकी फंडिंग, आतंकी विचारधारा को बढ़ावा दिया जाता है.
यह सब मदरसों से शुरू होता है. वहीं, जगतगुरु राम दिनेशाचार्य ने कहा कि देश इतना आगे जा चुका है कि इसमें किसी भी मजहबी तालीम की आवश्यकता नहीं है. मजहबी तालीम पूरी तरीके से प्रतिबंधित होनी चाहिए. एक राष्ट्र एक देश एक शिक्षा एक व्यवस्था है तो एक ही शिक्षा पद्धति लागू होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि मजहबी शिक्षा से उत्पन्न हालात की सीख तालिबान से लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी धर्म और पंथ के लिए दी गई शिक्षा समाज के लिए घातक हो सकती है. मदरसों की शिक्षा पर कई सम्भ्रांत मुस्लिमों ने भी सवाल उठाए हैं. केंद्र सरकार से मांग है कि पूरे देश में मदरसा शिक्षा बन्द कर दी जाए.
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तपस्वी छावनी का उत्तराधिकारी महंत आचार्य परमहंस दास ने भी जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यतींद्र आनंद गिरि के बयान का समर्थन किया है. परमहंस दास ने कहा कि हर मुस्लिम त्यौहार में देश विरोधी नारे लगते है, इसलिए मदरसों को प्रतिबंधित कर देना चाहिए. राष्ट्र प्रेम जगाने वाले विद्यालयों में शिक्षा लेने में मुस्लिमों को क्या समस्या है.
जगतगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि कई बार मदरसों से हथियार का जखीरा बरामद हुआ है. मदरसों के पढ़े हुए आतंकी कश्मीर में पकड़े गए हैं. मदरसों में पढ़े हुए लोगों ने केवल पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए हैं. बल्कि देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं.