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महाराष्ट्र: लॉकडाउन में नए तरीकों से शिक्षक ने कराई पढ़ाई, अब होगा सम्मान

लॉकडाउन में जहां सभी गतिविधियां थम गई थीं, वहीं सांगली गांव के निवासी बालाजी बाबूराव जाधव नए तरीकों से पढ़ाई करा रहे थे. उन्होंने कॉन्फ्रेंस कॉल और कथावाचन जैसे काम किए थे.

award to maha teacher for innovation
लॉकडाउन में कराई नए तरीकों से पढ़ाई
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Published : Jan 15, 2021, 7:17 PM IST

लातूर : महाराष्ट्र के एक शिक्षक को लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण इलाकों में कॉन्फ्रेंस कॉल और कथावाचन जैसे नए तरीकों से पढ़ाई कराने पर एक पुरस्कार के लिए चुना गया है. राज्य के लातूर जिले की रेनापुर तहसील के तहत आने वाले सांगवी गांव के निवासी बालाजी बाबूराव जाधव (35) को ‘हनी बी नेटवर्क समावेशी रचनात्मकता नवाचार पुरस्कार 2020’ के लिए चयनित किया गया है.

वह सतारा जिले की मान तहसील के विजयनगर में जिला परिषद शिक्षक हैं. उल्लेखनीय है कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए पिछले साल मार्च के अंत में पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया गया था, जिसके चलते शिक्षक स्कूल नहीं जा पाए और ऑनलाइन माध्यमों के जरिये कक्षाएं लेने लगे. हालांकि, ग्रामीण इलाकों में कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन की अनुपलब्धता तथा इंटरनेट समस्याओं के चलते ऑनलाइन कक्षाएं लेना कठिन काम था.

पढ़ें: बेंगलुरु : 53 साल में पहली बार प्रतिष्ठित मंदिर में शिवलिंग पर नहीं पड़ी सूर्य की किरण

जाधव ने इस बाधा को पार करने के लिए नए तरीकों का इस्तेमाल किया और लॉकडाउन के दौरान भी अपने छात्रों की पढ़ाई जारी रखी.

लातूर : महाराष्ट्र के एक शिक्षक को लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण इलाकों में कॉन्फ्रेंस कॉल और कथावाचन जैसे नए तरीकों से पढ़ाई कराने पर एक पुरस्कार के लिए चुना गया है. राज्य के लातूर जिले की रेनापुर तहसील के तहत आने वाले सांगवी गांव के निवासी बालाजी बाबूराव जाधव (35) को ‘हनी बी नेटवर्क समावेशी रचनात्मकता नवाचार पुरस्कार 2020’ के लिए चयनित किया गया है.

वह सतारा जिले की मान तहसील के विजयनगर में जिला परिषद शिक्षक हैं. उल्लेखनीय है कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए पिछले साल मार्च के अंत में पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया गया था, जिसके चलते शिक्षक स्कूल नहीं जा पाए और ऑनलाइन माध्यमों के जरिये कक्षाएं लेने लगे. हालांकि, ग्रामीण इलाकों में कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन की अनुपलब्धता तथा इंटरनेट समस्याओं के चलते ऑनलाइन कक्षाएं लेना कठिन काम था.

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जाधव ने इस बाधा को पार करने के लिए नए तरीकों का इस्तेमाल किया और लॉकडाउन के दौरान भी अपने छात्रों की पढ़ाई जारी रखी.

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