नई दिल्ली : यूरोपीय संघ (ईयू) द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते के तहत एक विवाद निपटान तंत्र स्थापित करने संबंधी उसके प्रस्ताव पर भारत की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है. ईयू के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी.
दोनों पक्षों द्वारा महत्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के साथ ही द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते पर भी बातचीत की जा रही है. यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं व्यापार आयुक्त वाल्डिस डोम्ब्रोव्स्की ने पत्रकारों को बताया कि दोनों पक्ष प्रस्तावित एफटीए पर 'गहन' बातचीत में लगे हुए हैं और विभिन्न मुद्दों पर 'प्रगति' हुई है.
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🇮🇳 Many thanks @PiyushGoyal for today's positive & thorough discussion on advancing our Free Trade Agreement.
— Valdis Dombrovskis (@VDombrovskis) August 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
There is a clear political willingness on both sides to change gear & make faster progress. We must now use this momentum to bridge major gaps that remain. https://t.co/WEm86M6Zd0
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डोम्ब्रोव्स्की इस समय भारत के दौरे पर हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे सामने अभी भी बहुत काम बाकी है.' यह पूछे जाने पर कि एफटीए पर कब मुहर लगाई जा सकती है, उन्होंने कहा कि मुख्य ध्यान 'समय सीमा से अधिक सार' पर रहा है.
डोम्ब्रोव्स्की ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत-यूरोपीय संघ व्यापार वार्ता पर रूस के साथ नई दिल्ली के व्यापार संबंधों का कोई सीधा प्रभाव नहीं है. उन्होंने कहा, 'एक तरह से, हम नए विषयों को उभरते हुए नहीं देखते हैं जो इस संदर्भ में एफटीए के लिए बाधा बन सकते हैं.'
डोम्ब्रोव्स्की ने इस्पात, लौह अयस्क जैसे उच्च कार्बन वाले सामानों के आयात पर प्रस्तावित कार्बन कर (टैक्स) पर भारत की चिंताओं को भी दूर किया और इस ग्रह की रक्षा के उद्देश्य से इसे 'गैर-भेदभावपूर्ण' कदम बताया.
यूरोपीय संघ ने चार महीने पहले अपने 'कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म' (सीबीएएम) के तहत इस्पात, एल्यूमीनियम, सीमेंट, उर्वरक और बिजली के आयात पर कार्बन टैक्स लगाने के अपने फैसले की घोषणा की थी.
वर्ष 2026 से अमल में आने वाले सीबीएएम का उद्देश्य 2050 तक शुद्ध जीरो ग्रीनहाउस उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना है. भारत के साथ अपने निवेश संरक्षण समझौते के लिए यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तावित विवाद निपटान तंत्र पर उन्होंने कहा कि 27 देशों के समूह ने हाल के दिनों में ऐसे सभी समझौतों में समान तंत्र बनाए हैं.
डोम्ब्रोव्स्की ने कहा, 'हमने निवेश न्यायालय प्रणाली का प्रस्ताव दिया है, जैसा कि हमने हाल के सभी समझौतों में किया है. वर्तमान में, हम इस संबंध में भारत की पेशकश का भी इंतजार कर रहे हैं.'
इस तरह के तंत्र को लेकर भारत की अनिच्छा के बारे में पूछे जाने पर डोम्ब्रोव्स्की ने सुझाव दिया कि वैश्विक निकाय में जाने से बेहतर है कि द्विपक्षीय समाधान निकाला जाए.
कुछ यूरोपीय संघ देशों द्वारा एफटीए में अधिकारों और पर्यावरण संबंधी मुद्दों से संबंधित कुछ खंडों को शामिल करने पर जोर देने की खबरों के बारे में पूछा गया, तो डोम्ब्रोव्स्की ने कहा कि यह यूरोपीय संघ समझौतों में केवल अच्छी तरह से स्थापित प्रथा है और व्यापार और सतत विकास से संबंधित अध्याय का हिस्सा हैं.
यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त ने यूरोपीय संघ और भारत के बीच प्रस्तावित निवेश संरक्षण समझौते के महत्व पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, 'इससे भारत में अधिक यूरोपीय निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी, निवेशकों को आवश्यक आश्वासन मिलेगा और वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा को पूरा करने में मदद मिलेगी.'
भारत के साथ यूरोपीय संघ के व्यापार संबंधों पर, व्यापार आयुक्त ने कहा कि समूह भारत के साथ आर्थिक संबंध को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने पर विचार कर रहा है.
(पीटीआई-भाषा)