सोलन: भारतीय मूल के मशहूर अंग्रेजी भाषा के लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) पर अमेरिका के न्यूयॉर्क में शुक्रवार को हमला हुआ. उसके बाद दुनियाभर में हमले की निंदा की जा रही है. वहीं, उनका फिलहाल इलाज चल रहा है. सलमान रुश्दी का हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर में पुश्तैनी घर भी है. सलमान रुश्दी का सोलन के शिल्ली रोड पर बंगला (अनीस विला) है. (Salman Rushdie House In Solan) इस बंगले में 14 कमरे हैं. इनमें 6 बड़े कमरे, बेडरूम, हॉल, किचन और टॉयलेट हैं.
2002 में सलमान रुश्दी आए थे: रुश्दी आखिरी बार वर्ष 2002 में यहां आए थे. उनके घर की देखभाल मंडी के रहने वाले गोविंद व उनका परिवार करता है. इन दिनों वह मजदूरी करके अपना घर चला रहे हैं. वह करीब 25 सालों पहले यहां आए थे. गोविंद की पत्नी ब्यासो देवी ने बताया कि सलमान रुश्दी उनके पति गोविंद राम से कह गए थे कि बंगले की देखभाल करते रहना. इसकी मरम्मत के लिए समय-समय पर पैसा भेजता रहूंगा.Author Salman Rushdie House In Solan
5 साल की कानूनी लड़ाई के बाद हासिल किया : सलमान रुश्दी (Author Salman Rushdie) ने 2,934 स्क्वायर यार्ड में बने अनीस विला को 5 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ कर वर्ष 1997 वापस हासिल किया था, लेकिन आज ये भवन जर्जर हालत में है. इस घर का मेन गेट टूटा पड़ा है, छत टपकती हैं और सीलिंग सड़ चुकी है. खिड़की-दरवाजों से शीशे गायब हैं, जालियां टूटी पड़ी हैं. घर की मौजूदा हालत का पता आप सिर्फ (Salman Rushdie House In Solan in bad condition) इस बात से ही लगा सकते हैं की घर की रखवाली कर रहे चौकीदार ने हवा और पानी से बचने के लिए गायब शीशों की जगह पर पॉलीथीन के टुकड़े काट कर चिपकाएं हैं.
लाइब्रेरी बनाने का किया था वादा: बता दें कि सलमान रुश्दी वर्ष 2000 में जब हिमाचल सरकार से मुकदमा जीतने के बाद पहली बार सोलन आए थे, तो उन्होंने ने अनीस विला को एक लेखक गृह बनाने की घोषणा की थी. अनीस विला को उनके पिता मुहम्मद अनीस अहमद ने वर्ष 1969 में उनको तोहफे में दिया था. सलमान रुश्दी ने इस घर में एक रात गुजारी थी और अपने वकील विजय एसटी शंकर दास से कहा था की वह इसे एक लेखक गृह और लाइब्रेरी में तब्दील करना चाहते हैं, लेकिन ये वादा पूरा नहीं हो पाया.
वर्ष 1927 में हुआ था अनीस विला का निर्माण: अनीस विला का (Anees Villa Solan) निर्माण वर्ष 1927 में किया गया था, जिसे बाद में रुश्दी के दादा ने खरीदा. उसके बाद अनीस अहमद के नाम होने के बाद 1953 से 1969 इस संपत्ति को ये कह कर अनाम घोषित कर दिया गया कि इसके मालिक पाकिस्तान चले गए हैं. इसके बाद इस भवन पर कभी हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग का तो कभी सरकारी अफसरों का कब्जा रहा. 1992 में सलमान रुश्दी ने इस भवन पर अपना दावा ठोका और साबित किया कि वे उसके असली मालिक हैं.
2015 तक आता रहा वेतन: गोविंद और ब्यासो मंडी के जोगिंदर नगर के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि 7 साल पहले यानी 2015 तक 8,000 रुपये वेतन उनके अकाउंट में आता रहा. उसके बाद पैसा आना बंद हो गया. बंगले की हालत खराब होती गई. वह खुद मरम्मत करवाते रहे. अभी पिछले 7 सालों से बिजली-पानी का बिल खुद भर रहे हैं. 2 कमरों की हालत खराब है. इसमें बरसात में पानी आ रहा है. उन्होंने कहा कि रुश्दी पर हमले के बारे (Author Salman Rushdie attacked in New York) में बीते दिन पड़ोसियों से पता चला. गोविंद की पत्नी ब्यासो देवी ने बताया कि 2002 में सोलन से जाने के बाद रुश्दी ने न तो फोन किया और न ही उनका कोई रिश्तेदार आया.