पटनाः बिहार की राजधानी पटना के पुराने सचिवालय में एक जलाशय है, इसका नाम है राजधानी जलाशय, जहां ठंड के मौसम में विदेशी और प्रवासी पक्षी कुछ महीनों के लिए पटना में मेहमान बनकर रहते हैं. इनकी चहचहाहट से पूरा सचिवालय गुलजार रहता है. राज्य सरकार भी इनकी आवोभगत में कोई कसर नहीं छोड़ती. जलाशय के विहंगम दृश्य से लोगों के मन को विशेष शांति मिल रही है. यह रमणीय दृश्य इन दिनों आकर्षण का केंद्र बन गया है.
ठंड के मौसम में आते हैं प्रवासी पक्षीः हर साल ठंड के मौसम में हजारों मील दूर से प्रवासी पक्षी पटना के राजधानी जलाशय में पहुंचते हैं. जिनकी चाचाहट से इन दिनों सचिवालय परिसर गुलजार है. इस जलाशय में कई अलग-अलग प्रजातियां के पक्षी पहुंच चुके हैं. इन पक्षियों को आवाज सुनकर लोग आकर्षित हो रहे हैं. सितंबर महीने से ही इन विदेशी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है.
'30 से ज्यादा प्रजाति की पक्षियां आती हैं': राजधानी जलाशय के केयर टेकर महेंद्र कुमार बताते हैं कि पिछले 6 सालों से राजधानी जलाशय की देखरेख वो कर रहे हैं. अभी फिलहाल 6 प्रजाति की पक्षियां यहां पहुंच गई हैं. 30 से ज्यादा प्रजाति की पक्षियां यहां ठंड के मौसम में आती हैं. हर साल सितंबर महीने से पक्षियों का आना शुरू हो जाता है, जो जुलाई तक रहते हैं. उन्होंने बताया कि विदेशी पक्षी जो आते हैं, उनकी कुछ अलग ही आवाज होती है जो काफी खास है.
"30 से ज्यादा प्रजाति की पक्षियां यहां आती हैं. इनके खाने के पीने का पूरा ख्याल रखा जाता है. दाना और मछलियां भी पानी में डाले जाते हैं. पक्षियों के देखने और उनकी आवाज सुनने के लिए हर रोज यहां पर स्कूली बच्चों के साथ-साथ आम लोग भी आते हैं. मोबाइल से उनका फोटो भी लेते हैं. यहां आने वाले लोगों को ये पक्षी काफी आकर्षित करते हैं"- महेंद्र कुमार, केयर टेकर, राजधानी जलाशय
सरकार करती है इनके खाने का इंतेजामः महेंद्र बताते हैं कि दिसंबर माह के अंत तक सभी प्रजातियों के पक्षी यहां पहुंच जाएंगे. 6000 से ज्यादा पक्षी यहां पर देखने को मिलता हैं. उन्होंने कहा कि दिसंबर के पहले सप्ताह में विदेशी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है. इस साल नवंबर में ही इनका आना शुरू हो गया है. पक्षियों के लिए सितंबर महीने में ही पानी में मछलियां डाल दी जाती हैं, जो पक्षियों को भोजन होता है. पानी के साफ सफाई के लिए स्टाफ हैं, जो जलाशय में साफ पानी डालते हैं और गंदे पानी को लगातार निकालते रहते हैं.
साइबेरियन देशों से आते हैं ये पक्षीः राजधानी जलाशय में आने वाले पक्षियों में पोजार्ड, गाग्रेनी, गडवाल, विसलिंग डक, कॉमन कूट ज्यादा हैं. जो अफ्रीका, कनाडा, रूस, कजाकिस्तान और पूर्वी साइबेरिया जैसे देशों से यहां आते हैं. हर साल ठंड के मौसम में जब इन पक्षियों का यहां आना शुरू होता है तो उसमें हर साल कुछ नए पक्षी भी देखने को मिलते हैं, क्योंकि पटना में ठंड के मौसम में अनुकूल वातावरण इन पक्षियों को मिलता है. चार महीने तक ठंड के मौसम में यह प्रवासी मेहमान राजधानी जलाशय में रहते हैं.
आर्कटिक में मिलते हैं साइबेरियन पक्षीः साइबेरियन पक्षी पश्चिमी एवं पूर्वी रूस के आर्कटिक में मिलते हैं. जबकि पश्चिमी आबादी सर्दियों में ईरान, भारत और नेपाल के प्रवास पर चली जाती है. साइबेरिया से साइबेरियन क्रेन जैसे पक्षी सर्दियों के महीने में भारत आते हैं. ये पक्षी ठंडे खून वाले होते हैं और अपने देश की अत्यधिक सर्दी या फिर अत्यधिक गर्मी में जीवित नहीं रह सकते हैं. इन प्रवासी पक्षियों के ठहराव के लिए पटना वन प्रमंडल की ओर से राजधानी जलाशय में विशेष तैयारियां की जाती है.
पोजार्ड पक्षी की खासियतः यह पक्षी प्रवासी के रूप में पटना जलाशय हर साल ठंड के मौसम में पहुंचते हैं. बताया जाता है कि इन पक्षियों के प्रजनन सर्दी खत्म होने के बाद शुरू होता है. अक्सर जलाशय या धीरे बहने वाली नदी एव खड़े गहरे पानी वाले जलाशयों पर रहना पसन्द करते है. पटना जलाशय का पानी स्थिर है, इस लिए इस जलाशय में प्रवास करते हैं.
गाग्रेनी पक्षी की खासियतः इसके बारे में बताया जाता है की छोटे आकार की बतख है. यह यूरोप क्षेत्र में प्रजनन करती है, लेकिन ठंड के मौसम में भारत में प्रवास पर पहुंचती है. अभी पटना जलाशय में भी गार्गेनी प्रवास कर रही हैं.
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