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आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना मार्च 2022 तक बढ़ाई गई

सरकार ने रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिये पिछले साल अक्टूबर में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की समयसीमा को सोमवार को नौ माह बढ़ाकर 31 मार्च 2022 कर दिया है. इसके तहत नए श्रमिकों के भविष्य निधि खातों में अंशदान का दायित्व कुछ समय के लिए सरकार अपने ऊपर लेती है.

आत्मनिर्भर
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Published : Jun 28, 2021, 9:37 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना वायरस की दूसरी लहर से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिये नई घोषणा करते हुये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 18 जून 2021 तक योजना के तहत 21.42 लाख लोगों को लाभ मिला जिस पर 902 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. ये लाभार्थी 79,577 कंपनियों से जुड़े हैं.

योजना 30 जून 2021 तक वैध थी
सीतारमण ने कहा कि यह योजना 30 जून 2021 तक वैध थी, जिसे अब बढ़ाकर 31 मार्च 2022 तक किया जा रहा है. आत्मनिर्भर भारत योजना की शुरुआत पिछले साल एक अक्टूबर को की गई थी. इसके तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में दिये जाने वाले योगदान में सरकारी मदद के जरिये कंपनियों को नये रोजगार पैदा करने, रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिये प्रोत्साहन दिया गया. योजना के तहत 58.50 लाख अनुमानित लाभार्थियों के लिये 22,810 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी गई है.

रोजगार को बढ़ावा देना है मकसद
योजना का मकसद कंपनियों पर वित्तीय बोझ कम करके रोजगार को बढ़ावा देना है. योजना में भारत सरकार नयी भर्तियों के मामलों में दो साल तक भविष्य निधि कोष में कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा किये जाने वाले कुल 24 प्रतिशत योगदान का भुगतान अपनी तरफ से करेगी. यह सुविधा उन कर्मचारियों के मामले में दी जा रही है जिनका वेतन 15 हजार रुपये मासिक तक है और जिन कंपनियों में कुल कर्मचारियों की संख्या एक हजार तक है.

इसे भी पढ़ें : सरकार ने दिया 6.29 लाख करोड़ का राहत पैकेज : वित्त मंत्री

वहीं ऐसी कंपनियां अथवा उद्योग धंधे जहां एक हजार से अधिक कर्मचारी कार्य करते हैं उनमें 15,000 रुपये तक मासिक वेतन पाने वाले नए कर्मचारियों के हिस्से के 12 प्रतिशत भविष्यनिधि योगदान का भुगतान भारत सरकार भविष्य निधि कोष में कर रही है जबकि नियोक्ता की तरफ से किया जाना वाला योगदान नियोक्ता को खुद करना होता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : कोरोना वायरस की दूसरी लहर से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिये नई घोषणा करते हुये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 18 जून 2021 तक योजना के तहत 21.42 लाख लोगों को लाभ मिला जिस पर 902 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. ये लाभार्थी 79,577 कंपनियों से जुड़े हैं.

योजना 30 जून 2021 तक वैध थी
सीतारमण ने कहा कि यह योजना 30 जून 2021 तक वैध थी, जिसे अब बढ़ाकर 31 मार्च 2022 तक किया जा रहा है. आत्मनिर्भर भारत योजना की शुरुआत पिछले साल एक अक्टूबर को की गई थी. इसके तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में दिये जाने वाले योगदान में सरकारी मदद के जरिये कंपनियों को नये रोजगार पैदा करने, रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिये प्रोत्साहन दिया गया. योजना के तहत 58.50 लाख अनुमानित लाभार्थियों के लिये 22,810 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी गई है.

रोजगार को बढ़ावा देना है मकसद
योजना का मकसद कंपनियों पर वित्तीय बोझ कम करके रोजगार को बढ़ावा देना है. योजना में भारत सरकार नयी भर्तियों के मामलों में दो साल तक भविष्य निधि कोष में कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा किये जाने वाले कुल 24 प्रतिशत योगदान का भुगतान अपनी तरफ से करेगी. यह सुविधा उन कर्मचारियों के मामले में दी जा रही है जिनका वेतन 15 हजार रुपये मासिक तक है और जिन कंपनियों में कुल कर्मचारियों की संख्या एक हजार तक है.

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वहीं ऐसी कंपनियां अथवा उद्योग धंधे जहां एक हजार से अधिक कर्मचारी कार्य करते हैं उनमें 15,000 रुपये तक मासिक वेतन पाने वाले नए कर्मचारियों के हिस्से के 12 प्रतिशत भविष्यनिधि योगदान का भुगतान भारत सरकार भविष्य निधि कोष में कर रही है जबकि नियोक्ता की तरफ से किया जाना वाला योगदान नियोक्ता को खुद करना होता है.

(पीटीआई-भाषा)

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