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Assembly Elections : सुरक्षा हालात को ध्यान में रखते हुए समय पर कराए जाएंगे जम्मू कश्मीर में चुनाव : ECI

भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने पांच राज्यों में चुनाव का एलान कर दिया है. हालांकि जम्मू कश्मीर के बारे में कहा कि सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए चुनाव 'उचित समय' पर कराए जाएंगे. वहीं, चुनाव आयोग ने मुफ्त में सुविधाएं देने वाली घोषणाओं पर भी टिप्पणी की है.

Rajiv Kumar
राजीव कुमार
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By PTI

Published : Oct 9, 2023, 5:35 PM IST

नई दिल्ली/श्रीनगर : चुनाव आयोग (Election Commission) ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए चुनाव 'उचित समय' पर कराए जाएंगे. मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव तब होंगे जब सुरक्षा स्थिति और इस केंद्र शासित प्रदेश में होने वाले अन्य चुनावों को ध्यान में रखते हुए आयोग 'उचित समय' समझेगा.

जम्मू और कश्मीर जून 2018 से राष्ट्रपति शासन के अधीन है. जिसके बाद 5 अगस्त, 2019 को केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जन्मू-कश्मीर और लद्दाख में बदल दिया.

'मुफ्त में सुविधाएं देने की घोषणा में लोकलुभावन वादों का तड़का होता है' : मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार को कहा कि राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों द्वारा मुफ्त में सुविधाएं देने वाली घोषणाओं में लोकलुभावन वादों का 'तड़का' होता है और चुनाव जीतने वालों के लिए इन रियायतों को लागू करना या फिर इस प्रथा को रोकना मुश्किल होता है.

चुनावों से पहले विभिन्न दलों और सरकार द्वारा मुफ्त में सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणा के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकारों का अधिकार क्षेत्र है, लेकिन वे पांच साल तक ऐसी रियायतों को याद नहीं रखते हैं, लेकिन चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से सिर्फ एक महीने या एक पखवाड़े पहले उनकी घोषणा करते हैं.

उन्होंने कहा कि यह मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है और निर्वाचन आयोग इस पर स्पष्टता और निर्णय मिलते ही कार्रवाई करेगा. उन्होंने याद दिलाया कि निर्वाचन आयोग ने हाल ही में पार्टियों और राज्यों के लिए एक प्रपत्र जारी किया था, जिसमें पूछा गया था कि उनके चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों को वे कैसे और कब लागू करेंगे.

उन्होंने कहा, 'एक राज्य में कुछ घोषणाएं और अन्य में कुछ अन्य घोषणाएं. मुझे नहीं पता कि पांच साल तक इसकी याद क्यों नहीं आती और सारी घोषणाएं एक महीने या 15 दिन में क्यों की जाती हैं. वैसे भी यह राज्य सरकारों का अधिकार क्षेत्र है.'

उन्होंने कहा कि प्रपत्र में कहा गया है कि पार्टियां यह बताने के लिए स्वतंत्र हैं कि वे क्या करेंगी, लेकिन मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है कि इसे कैसे लागू किया जाएगा और यह कितना और कब किया जाएगा.

उन्होंने कहा, 'इसके पीछे मंशा हर चीज को सार्वजनिक दायरे में लाना था.' उन्होंने कहा कि मतदाताओं को वित्तीय बुनियाद के आधार पर उभरने वाली तस्वीर का पता होना चाहिए और वर्तमान बनाम भावी पीढ़ियों को गिरवी रखने पर संतुलन होना चाहिए. उन्होंने कहा, 'इन घोषणाओं में लोकलुभावन वादों का 'तड़का' होता है. इस तरह की रियायतों को लागू करना या रोकना मुश्किल है. इसलिए लोगों को यह जानने का अधिकार है कि इन मुफ्त चीजों को कैसे लागू किया जाएगा.'

निर्वाचन आयोग ने पिछले साल अक्टूबर में आदर्श आचार संहिता में संशोधन का प्रस्ताव किया था ताकि राजनीतिक दलों से कहा जा सके कि वे अपने चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में मतदाताओं को प्रामाणिक जानकारी प्रदान करें.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुफ्त खोरी और लोकलुभावन घोषणाओं को 'रेवड़ी संस्कृति' करार दिया था. निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा था कि खोखले चुनावी वादों के दूरगामी प्रभाव होते हैं और वह चुनावी वादों पर अपर्याप्त खुलासे के वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले अवांछनीय प्रभाव को नजरअंदाज नहीं कर सकता.

कहा-कब डाले जाएंगे वोट : मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव के लिए एक चरण में क्रमश: 17 नवंबर, 23 नवंबर, 30 नवंबर तथा सात नवंबर को मतदान होगा, जबकि छत्तीसगढ़ में दो चरणों में सात एवं 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. इन पांचों राज्यों में तीन दिसंबर को मतगणना होगी.

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उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव तब होंगे जब सुरक्षा स्थिति और इस केंद्र शासित प्रदेश में होने वाले अन्य चुनावों को ध्यान में रखते हुए आयोग 'उचित समय' समझेगा.

जम्मू और कश्मीर जून 2018 से राष्ट्रपति शासन के अधीन है. जिसके बाद 5 अगस्त, 2019 को केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जन्मू-कश्मीर और लद्दाख में बदल दिया.

'मुफ्त में सुविधाएं देने की घोषणा में लोकलुभावन वादों का तड़का होता है' : मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार को कहा कि राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों द्वारा मुफ्त में सुविधाएं देने वाली घोषणाओं में लोकलुभावन वादों का 'तड़का' होता है और चुनाव जीतने वालों के लिए इन रियायतों को लागू करना या फिर इस प्रथा को रोकना मुश्किल होता है.

चुनावों से पहले विभिन्न दलों और सरकार द्वारा मुफ्त में सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणा के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकारों का अधिकार क्षेत्र है, लेकिन वे पांच साल तक ऐसी रियायतों को याद नहीं रखते हैं, लेकिन चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से सिर्फ एक महीने या एक पखवाड़े पहले उनकी घोषणा करते हैं.

उन्होंने कहा कि यह मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है और निर्वाचन आयोग इस पर स्पष्टता और निर्णय मिलते ही कार्रवाई करेगा. उन्होंने याद दिलाया कि निर्वाचन आयोग ने हाल ही में पार्टियों और राज्यों के लिए एक प्रपत्र जारी किया था, जिसमें पूछा गया था कि उनके चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों को वे कैसे और कब लागू करेंगे.

उन्होंने कहा, 'एक राज्य में कुछ घोषणाएं और अन्य में कुछ अन्य घोषणाएं. मुझे नहीं पता कि पांच साल तक इसकी याद क्यों नहीं आती और सारी घोषणाएं एक महीने या 15 दिन में क्यों की जाती हैं. वैसे भी यह राज्य सरकारों का अधिकार क्षेत्र है.'

उन्होंने कहा कि प्रपत्र में कहा गया है कि पार्टियां यह बताने के लिए स्वतंत्र हैं कि वे क्या करेंगी, लेकिन मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है कि इसे कैसे लागू किया जाएगा और यह कितना और कब किया जाएगा.

उन्होंने कहा, 'इसके पीछे मंशा हर चीज को सार्वजनिक दायरे में लाना था.' उन्होंने कहा कि मतदाताओं को वित्तीय बुनियाद के आधार पर उभरने वाली तस्वीर का पता होना चाहिए और वर्तमान बनाम भावी पीढ़ियों को गिरवी रखने पर संतुलन होना चाहिए. उन्होंने कहा, 'इन घोषणाओं में लोकलुभावन वादों का 'तड़का' होता है. इस तरह की रियायतों को लागू करना या रोकना मुश्किल है. इसलिए लोगों को यह जानने का अधिकार है कि इन मुफ्त चीजों को कैसे लागू किया जाएगा.'

निर्वाचन आयोग ने पिछले साल अक्टूबर में आदर्श आचार संहिता में संशोधन का प्रस्ताव किया था ताकि राजनीतिक दलों से कहा जा सके कि वे अपने चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में मतदाताओं को प्रामाणिक जानकारी प्रदान करें.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुफ्त खोरी और लोकलुभावन घोषणाओं को 'रेवड़ी संस्कृति' करार दिया था. निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा था कि खोखले चुनावी वादों के दूरगामी प्रभाव होते हैं और वह चुनावी वादों पर अपर्याप्त खुलासे के वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले अवांछनीय प्रभाव को नजरअंदाज नहीं कर सकता.

कहा-कब डाले जाएंगे वोट : मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव के लिए एक चरण में क्रमश: 17 नवंबर, 23 नवंबर, 30 नवंबर तथा सात नवंबर को मतदान होगा, जबकि छत्तीसगढ़ में दो चरणों में सात एवं 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. इन पांचों राज्यों में तीन दिसंबर को मतगणना होगी.

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