गुवाहाटी : असम के सात राज्यसभा सांसद अपने स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (MPLAD) का केवल 45 प्रतिशत ही उपयोग कर पाए हैं. इसका खुलासा सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक जो सांसद फंड के खराब उपयोग के लिए जांच के घेरे में आए हैं, उनमें भुवनेश्वर कलिता, बीरेंद्र प्रसाद बैश्य, कामाख्या प्रसाद तासा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, अजीत कुमार भुइयां, रंगव्रा नारज़ारी और पबित्रा मार्गेरिटा शामिल हैं.
रिपोर्ट के अनुसार सात सांसद एमपीएलएडी योजना के तहत कुल 60 करोड़ रुपये के हकदार थे. लेकिन उन्होंने 40 करोड़ रुपये ही जारी किए गए और इनमें से केवल 18.24 करोड़ रुपये ही वितरित किए जा सके. इस प्रकार, 21.76 करोड़ रुपये अप्रयुक्त रह गए, जिसका अर्थ है कि कुल आवंटित धनराशि का केवल 45.60 प्रतिशत ही उपयोग किया गया. उदाहरण के लिए सांसद पबित्रा मार्गेरिटा ने आवंटित 2.50 करोड़ रुपये में से 1.10 करोड़ रुपये का वितरण किया, जबकि रंगव्रा नारज़ारी ने अपनी पात्रता के 2.50 करोड़ रुपये का उपयोग किया. वहीं अजीत कुमार भुइयां और बीरेंद्र प्रसाद बैश्य ने क्रमशः 7.50 करोड़ रुपये और 9.50 करोड़ रुपये के अपने आवंटन में से प्रत्येक ने 2.51 करोड़ रुपये खर्च किए.
इसी प्रकार भुवनेश्वर कलिता ने अपने 9.50 करोड़ रुपये में से 1.53 करोड़ रुपये खर्च किए. एमपीएलएडी फंड के पीछे का उद्देश्य सांसदों को विकास-संबंधी कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम बनाना है. हालांकि वार्षिक एमपीएलएडी निधि पात्रता प्रति सांसद 5 करोड़ रुपये है और इसे 2.5 करोड़ रुपये की दो किस्तों में जारी किया जाता है. सूत्रों ने कहा कि फंड का उपयोग न होना स्थानीय क्षेत्र के विकास के प्रति सांसदों की प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण कमी को उजागर करता है.
उन्होंने कहा कि चूंकि ये सांसद असम के हितों का प्रतिनिधित्व करने और इसके विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए एमपीएलएडी फंड का उपयोग न होना राज्य की प्रगति को आगे बढ़ाने के उनके समर्पण पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है.
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