सोनीपत: चीन में चल रहे एशियाई गेम्स में हरियाणा के खिलाड़ियों ने एक के बाद एक मेडल की झड़ी लगा दी है. हरियाणा के जिला सोनीपत की बेटी और युवा महिला पहलवान सोनम मलिक ने पहली बार एशियाई खेलों में हिस्सा लिया और पहली बार में ही ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया. एशियन गेम्स की कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर सोनम के घर पर जश्न का माहौल है.
सोनीपत के गांव मदीना की रहने वाली सोनम मलिक ने चीन के हांगझोऊ में एशियन गेम्स में देश के लिए कांस्य पदक जीता है. सोनम मलिक ओलंपियन साक्षी मलिक को हराकर चर्चा में आई थी. उनके पदक जीतने पर परिजनों और ग्रामीणों में खुशी की लहर है. सोनम के कोच ने बताया कि सोनम ने एशियन गेम्स में 62 किलोग्राम भार वर्ग में देश का प्रतिनिधित्व किया.
बता दें कि सोनम ने चीन की जिया लोंग को 7-5 से हराकर कांस्य पदक जीता है. सोनम गांव में स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस खेल अकादमी में हर रोज चार से पांच घंटे अभ्यास करती हैं. सोनम मलिक का जन्म 15 अप्रैल 2002 में सोनीपत के गांव मदीना में हुआ था. उनके पिता राजिंद्र मलिक भी पहलवान रह चुके हैं. सोनम मलिक ने पिता व चचेरे भाई से प्रभावित होकर पहलवान बनने का सपना देखा था.
बेटी की रुचि को देखते हुए सोनम के पिता ने अपने गांव की अकादमी में उन्हें भेजना शुरू कर दिया. हालांकि साल 2019 में सोनम की कोहनी में चोट लग गई थी. जिसकी वजह से सोनम को काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा था. साल 2016 में वह नेशनल स्कूल गेम्स में स्वर्ण, साल 2017 में कैडेट नेशनल चैंपियनशिप में रजत, विश्व स्कूली गेम्स में स्वर्ण, कैडेट एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य, साल 2018 में कैडेट एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप और कैडेट विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते थे.
साल 2019 में सोनम ने कैडेट विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में फिर से सोना जीता था. वह अप्रैल 2021 में टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर गई थी. हालांकि चोटिल होने के कारण वह पदक नहीं जीत पाई थी और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में भी देश का प्रतिनिधित्व किया था. सोनम खेल विभाग में अपने गांव मदीना में ही वरिष्ठ प्रशिक्षक के पद पर कार्यरत हैं.