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नारदा स्टिंग : गिरफ्तार नेताओं ने हाई कोर्ट में दाखिल की पुनर्विचार याचिका - सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल

नारदा स्टिंग मामले में गिरफ्तार चारों नेताओं ने आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. उधर, सीबीआई भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल करने की तैयारी में है.

कलकत्ता उच्च न्यायालय
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Published : May 18, 2021, 4:16 PM IST

Updated : May 18, 2021, 5:19 PM IST

कोलकाता : नारदा स्टिंग मामले में गिरफ्तार चारों नेताओं ने आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपील की.

सूत्रों के मुताबिक तृणमूल सांसद और कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील कल्याण बनर्जी आज इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के संज्ञान में लाएंगे, ताकि कल रात इन चारों की जमानत पर कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा दी गई रोक के मामले की सुनवाई हो सके.

उधर, सीबीआई भी नारद घोटाले के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल करेगी. नारद घोटाले में ममता बनर्जी की कैबिनेट के दो मंत्री, एक विधायक और एक पूर्व मेयर को कल गिरफ्तार किया गया है.

सूत्रों ने बताया कि सीबीआई कैविएट दाखिल करने जा रही है ताकि इन चारों की ओर से कोई याचिका दायर होने पर सुप्रीम कोर्ट में एकतरफा सुनवाई न हो.

सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में टीएमसी के नेता फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा, पूर्व टीएमसी नेता एवं कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी थी लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जल्द ही निचली अदालत के आदेश के अमल पर रोक लगा दी.

उच्च न्यायालय ने 16 अप्रैल 2017 को स्टिंग ऑपरेशन की जांच सीबीआई को करने के निर्देश दिए थे.

बाद में एक विशेष अदालत ने तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्य के मंत्रियों फिरहाद हकीम तथा सुब्रत मुखर्जी, पार्टी विधायक मदन मित्रा और पार्टी के पूर्व नेता तथा कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी.

सीबीआई ने चारों नेताओं और आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा के खिलाफ अपना आरोप-पत्र दाखिल किया था. मिर्जा इस समय जमानत पर हैं.

उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा था कि विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगाना ही सही होगा. न्यायालय ने अगले आदेश तक सभी अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में भेजने का भी आदेश दिया था.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि 2014 में कथित तौर पर टेप बनाए जाने के समय ममता बनर्जी कैबिनेट में सभी चार मंत्री थे. इनमें ले हाकिम, मुखर्जी और मित्रा को फिर से संपन्न विधानसभा चुनावों में टीएमसी का विधायक चुन लिया गया. जबकि टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए चटर्जी ने दोनों खेमों के साथ संबंध तोड़ लिए हैं.

पढ़ें- नारदा स्टिंग : मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के बाद सुब्रत मुखर्जी भी अस्पताल में भर्ती

गौरतलब है कि नारदा न्यूज पोर्टल के संपादक और प्रबंध निदेशक सैमुअल ने 2016 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक स्टिंग वीडियो प्रसारित किया था. वीडियो में टीएमसी के सांसदों और मंत्रियों समेत टीएमसी के कई नेताओं को रुपये लेते देखा गया था.

तृणमूल के 13 नेताओं पर प्राथमिकी

स्टिंग ऑपरेशन के कथित वीडियो फूटेज को 2016 में विधानसभा चुनाव से पहले प्रसारित कर दिया गया. सीबीआई ने अप्रैल 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की थी.

प्राथमिकी में टीएमसी के लगभग 13 नेताओं के नाम थे, और उनमें से कई से पूछताछ की गई. कथित फूटेज को भी फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस मामले की जांच कर रहा है.

कोलकाता : नारदा स्टिंग मामले में गिरफ्तार चारों नेताओं ने आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपील की.

सूत्रों के मुताबिक तृणमूल सांसद और कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील कल्याण बनर्जी आज इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के संज्ञान में लाएंगे, ताकि कल रात इन चारों की जमानत पर कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा दी गई रोक के मामले की सुनवाई हो सके.

उधर, सीबीआई भी नारद घोटाले के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल करेगी. नारद घोटाले में ममता बनर्जी की कैबिनेट के दो मंत्री, एक विधायक और एक पूर्व मेयर को कल गिरफ्तार किया गया है.

सूत्रों ने बताया कि सीबीआई कैविएट दाखिल करने जा रही है ताकि इन चारों की ओर से कोई याचिका दायर होने पर सुप्रीम कोर्ट में एकतरफा सुनवाई न हो.

सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में टीएमसी के नेता फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा, पूर्व टीएमसी नेता एवं कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी थी लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जल्द ही निचली अदालत के आदेश के अमल पर रोक लगा दी.

उच्च न्यायालय ने 16 अप्रैल 2017 को स्टिंग ऑपरेशन की जांच सीबीआई को करने के निर्देश दिए थे.

बाद में एक विशेष अदालत ने तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्य के मंत्रियों फिरहाद हकीम तथा सुब्रत मुखर्जी, पार्टी विधायक मदन मित्रा और पार्टी के पूर्व नेता तथा कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी.

सीबीआई ने चारों नेताओं और आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा के खिलाफ अपना आरोप-पत्र दाखिल किया था. मिर्जा इस समय जमानत पर हैं.

उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा था कि विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगाना ही सही होगा. न्यायालय ने अगले आदेश तक सभी अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में भेजने का भी आदेश दिया था.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि 2014 में कथित तौर पर टेप बनाए जाने के समय ममता बनर्जी कैबिनेट में सभी चार मंत्री थे. इनमें ले हाकिम, मुखर्जी और मित्रा को फिर से संपन्न विधानसभा चुनावों में टीएमसी का विधायक चुन लिया गया. जबकि टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए चटर्जी ने दोनों खेमों के साथ संबंध तोड़ लिए हैं.

पढ़ें- नारदा स्टिंग : मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के बाद सुब्रत मुखर्जी भी अस्पताल में भर्ती

गौरतलब है कि नारदा न्यूज पोर्टल के संपादक और प्रबंध निदेशक सैमुअल ने 2016 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक स्टिंग वीडियो प्रसारित किया था. वीडियो में टीएमसी के सांसदों और मंत्रियों समेत टीएमसी के कई नेताओं को रुपये लेते देखा गया था.

तृणमूल के 13 नेताओं पर प्राथमिकी

स्टिंग ऑपरेशन के कथित वीडियो फूटेज को 2016 में विधानसभा चुनाव से पहले प्रसारित कर दिया गया. सीबीआई ने अप्रैल 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की थी.

प्राथमिकी में टीएमसी के लगभग 13 नेताओं के नाम थे, और उनमें से कई से पूछताछ की गई. कथित फूटेज को भी फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस मामले की जांच कर रहा है.

Last Updated : May 18, 2021, 5:19 PM IST
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