मुंबई : अर्नब गोस्वामी ने व्यक्तिगत पेशी से छूट के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. ऐसा माना जाता है कि अन्वय नाइक ने अपने जीवन को समाप्त करने से पहले अपने सुसाइड नोट में अर्नब का नाम दिया था.
अलीबाग अदालत ने पहले इस मामले में अर्नब को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. अर्नब उस फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लेकर आए थे लेकिन उन्हें अलीबाग अदालत में व्यक्तिगत रूप से सुनवाई के लिए उपस्थित होना था.
अदालत से राहत के लिए अर्नब ने मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी. इसमें अन्वय नाइक आत्महत्या मामले में सुनवाई के समय अलीबाग अदालत में उपस्थिति से छूट का अनुरोध किया गया था. उच्च न्यायालय ने उनके अनुरोध को मंजूर कर लिया और उन्हें एक बड़ी राहत दी.
10 मार्च को पेश होने का आदेश
इस मामले में अदालत ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए तीनों आरोपियों को 10 मार्च को पेश होने का आदेश दिया था. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरत ने अदालत को मामले को सेशन कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग के बारे में सूचित किया. इसलिए तीन आरोपियों अर्नब, फिरोज शेख और नितेश सारडा के लिए 10 मार्च को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना अनिवार्य कर दिया गया.
भुगतान न होने से आत्महत्या का मामला
दरअसल अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद अलीबाग तालुका के कवीर गांव में अपने पैतृक घर में रहते थे. अन्वय नाइक मुंबई में इंटीरियर डेकोरेटिंग बिजनेस से जुड़े थे. बिल का भुगतान न होने के कारण अन्वय बेहद परेशान थे. उन्हें उधारदाताओं द्वारा परेशान किया जा रहा था. अंत में 5 मई 2018 को उन्होंने आत्महत्या कर ली. उनकी मां कुमुद ने भी अपना जीवन समाप्त कर लिया. अन्वय ने चरम कदम उठाने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा था. उन्होंने इसमें अर्नब का नाम लिया और आरोप लगाया कि उन्होंने 5 करोड़ 40 लाख रुपये का भुगतान नहीं किया था.
पुलिस जांच पर असंतोष
उनकी बेटी ने एक बार फिर से मुद्दा उठाया और अलीबाग पुलिस ने मामले की जांच की. जिसमें दो अपराधों को एक साथ दर्ज किया गया. अपनी शिकायत में अन्वय नाइक की बेटी अदन्या नाइक ने आरोप लगाया कि अर्नब गोस्वामी द्वारा बिल न देने के कारण मेरे पिता और दादी ने आत्महत्या कर ली थी. उसने अलीबाग पुलिस द्वारा जांच पर असंतोष व्यक्त किया था.
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साथ ही मांग की थी कि इस मामले को राज्य सीआईडी या अपराध शाखा में स्थानांतरित कर दिया जाए. उसने राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख को आवेदन सौंपकर संबंधित जांच अधिकारियों और सरकार के साथ-साथ न्यायिक अधिकारियों की भी जांच करने की मांग की थी.