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Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में नहीं होगी सशस्त्र जवानों की गिरफ्तारी, केंद्र सरकार से लेनी होगी अनुमति

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में केंद्र सरकार की अनुमति के बिना किसी भी सशस्त्र सैन्य या अर्धसैनिक बल के जवानों को हिरासत में नहीं लिया जा सकता (Protection From Arrest For CAPF Personnel In Jammu) है.

ARMED PERSONNEL CANT BE ARRESTED IN JAMMU KASHMIR
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में नहीं होगी सशस्त्र जवानों की गिरफ्तारी, केंद्र सरकार से लेनी होगी अनुमति
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Published : May 3, 2023, 8:44 PM IST

श्रीनगर: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भारतीय संघ के सशस्त्र बलों (Armed Forces of the Indian Union ) के सशस्त्र जवानों को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है. यह आदेश केंद्रीय अर्धसैनिक बलों पर भी लागू होता है. यह संरक्षण राज्य में धारा 370 के निरस्त होने के बाद लागू किया गया है, अब केंद्र सरकार की अनुमति के बिना किसी भी अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता (Armed personnel cant be arrested in Jammu and Kashmir) है. तीन साल पहले तक, जम्मू और कश्मीर राज्य में रणबीर दंड संहिता लागू था, जो सशस्त्र बलों के सदस्यों को आपराधिक संहिता, सीआरपीसी, 1973 की धारा 45 के तहत गिरफ्तारी से नहीं बचाता था.

.केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के कानून, न्याय और संसदीय मामलों के विभाग के साथ चर्चा के बाद उपरोक्त प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है. गृह मंत्रालय ने विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार से भी परामर्श किया है. सीआरपीएफ मुख्यालय समेत अन्य बलों ने उक्त आदेश जारी किया है. घटनाक्रम से अवगत सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि 2019 में, जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया गया था, तो ड्यूटी के दौरान होने वाली कोई भी घटना, सशस्त्र बलों के अधिकारियों को गिरफ्तारी से छूट देने का मार्ग प्रशस्त करती थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय में इस विषय पर काफी चर्चा हो चुकी है. जम्मू-कश्मीर में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें सशस्त्र बलों के जवानों को गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है.

आरआरपीएफ अधिकारी ने आगे कहा कि युवाओं को हिरासत में लेने की कई घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं. ऐसे गंभीर मामलों में सेना ने अपने जवानों की सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस से सख्ती से पेश आया है. एक सैनिक के रूप में किसी भी कर्तव्य के दौरान अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं करता है, वह केवल अपने अधिकारी के आदेशों का पालन करता है और निर्धारित (सौंपा गया) कर्तव्य करता है.

अधिकारी ने आगे कहा कि जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बलों पर ड्यूटी के दौरान भीड़ द्वारा हमला किया गया है, चाहे वह ऑफ-ड्यूटी हो या कानून व्यवस्था बनाए रखना हो. कुछ साल पहले तक कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं आम थीं. इनमें कई जवान घायल हो गए. उस समय जब स्थिति को नियंत्रित करने के लिए युवकों द्वारा बल प्रयोग किया गया तो उन्हें आरोपी बनाकर कानूनी कार्रवाई के दायरे में लाने का प्रयास किया गया. अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जवानों को गिरफ्तारी से बचा लिया गया है.

अब राज्य सरकार भी उक्त धारा की उपधारा (1) के तहत अपने पुलिस बल को सुरक्षा प्रदान कर सकती है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सेना को छोड़कर सभी केंद्रीय बलों के जवानों को गिरफ्तारी से बचाया जाएगा. सीआरपीएफ के आदेश में कहा गया है कि अगर सशस्त्र बल का कोई जवान ड्यूटी पर यात्रा कर रहा है तो उसके लिए भी सुरक्षा के इंतजाम किए जाएंगे. अधिकारी ने पिछले दिनों घाटी में हुए फर्जी मुठभेड़ और अन्य अपराधों के बारे में बात करते हुए कहा कि विस्तृत आदेश जारी होने के बाद बहुत कुछ स्पष्ट हो जाएगा. यदि सशस्त्र बलों का कोई अधिकारी कोई गलत काम करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन गिरफ्तारी की अनुमति केंद्र सरकार से लेनी होगी.

ये भी पढ़ें: Jammu Kashmir News : जम्मू में पेट्रोल पंप पर जोरदार धमाका, दहशत में लोग

श्रीनगर: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भारतीय संघ के सशस्त्र बलों (Armed Forces of the Indian Union ) के सशस्त्र जवानों को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है. यह आदेश केंद्रीय अर्धसैनिक बलों पर भी लागू होता है. यह संरक्षण राज्य में धारा 370 के निरस्त होने के बाद लागू किया गया है, अब केंद्र सरकार की अनुमति के बिना किसी भी अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता (Armed personnel cant be arrested in Jammu and Kashmir) है. तीन साल पहले तक, जम्मू और कश्मीर राज्य में रणबीर दंड संहिता लागू था, जो सशस्त्र बलों के सदस्यों को आपराधिक संहिता, सीआरपीसी, 1973 की धारा 45 के तहत गिरफ्तारी से नहीं बचाता था.

.केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के कानून, न्याय और संसदीय मामलों के विभाग के साथ चर्चा के बाद उपरोक्त प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है. गृह मंत्रालय ने विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार से भी परामर्श किया है. सीआरपीएफ मुख्यालय समेत अन्य बलों ने उक्त आदेश जारी किया है. घटनाक्रम से अवगत सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि 2019 में, जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया गया था, तो ड्यूटी के दौरान होने वाली कोई भी घटना, सशस्त्र बलों के अधिकारियों को गिरफ्तारी से छूट देने का मार्ग प्रशस्त करती थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय में इस विषय पर काफी चर्चा हो चुकी है. जम्मू-कश्मीर में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें सशस्त्र बलों के जवानों को गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है.

आरआरपीएफ अधिकारी ने आगे कहा कि युवाओं को हिरासत में लेने की कई घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं. ऐसे गंभीर मामलों में सेना ने अपने जवानों की सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस से सख्ती से पेश आया है. एक सैनिक के रूप में किसी भी कर्तव्य के दौरान अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं करता है, वह केवल अपने अधिकारी के आदेशों का पालन करता है और निर्धारित (सौंपा गया) कर्तव्य करता है.

अधिकारी ने आगे कहा कि जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बलों पर ड्यूटी के दौरान भीड़ द्वारा हमला किया गया है, चाहे वह ऑफ-ड्यूटी हो या कानून व्यवस्था बनाए रखना हो. कुछ साल पहले तक कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं आम थीं. इनमें कई जवान घायल हो गए. उस समय जब स्थिति को नियंत्रित करने के लिए युवकों द्वारा बल प्रयोग किया गया तो उन्हें आरोपी बनाकर कानूनी कार्रवाई के दायरे में लाने का प्रयास किया गया. अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जवानों को गिरफ्तारी से बचा लिया गया है.

अब राज्य सरकार भी उक्त धारा की उपधारा (1) के तहत अपने पुलिस बल को सुरक्षा प्रदान कर सकती है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सेना को छोड़कर सभी केंद्रीय बलों के जवानों को गिरफ्तारी से बचाया जाएगा. सीआरपीएफ के आदेश में कहा गया है कि अगर सशस्त्र बल का कोई जवान ड्यूटी पर यात्रा कर रहा है तो उसके लिए भी सुरक्षा के इंतजाम किए जाएंगे. अधिकारी ने पिछले दिनों घाटी में हुए फर्जी मुठभेड़ और अन्य अपराधों के बारे में बात करते हुए कहा कि विस्तृत आदेश जारी होने के बाद बहुत कुछ स्पष्ट हो जाएगा. यदि सशस्त्र बलों का कोई अधिकारी कोई गलत काम करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन गिरफ्तारी की अनुमति केंद्र सरकार से लेनी होगी.

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