कोलार : इस गांव के लोग संक्रांति पर्व से डरते हैं. त्योहार के दिन पूरा गांव उदास रहता है. गांववालों का मानना है कि अगर संक्रांति का त्योहार मनाया गया तो उनके पशुओं की सिलसिलेवार मौत हो जाएगी.
कोलार के अरबिकोत्थानुरु गांव में दशकों से संक्रांति नहीं मनाई जा रही. बता दें, गांव में 1000 से अधिक लोग हैं. गांव में पढ़े-लिखे भी हैं, लेकिन फिर भी वे बड़ों की बातों का पालन करते हैं और संक्रांति नहीं मनाते हैं.
ऐसा कहा जाता है कि कुछ अज्ञात बीमारी के कारण अरबिकोत्थानुरु गांव के कछुए एक के बाद एक मरने लगे. इस प्रकार ग्रामीणों ने बासवन्ना मंदिर गए और प्रार्थना की कि वे संक्रांति पर पूजा-पाठ बंद कर देंगे. उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि वे संक्रांति के बजाय बसवन्ना मंदिर में किसी और दिन पूजा करेंगे. इस प्रार्थना के बाद उनके मवेशियों की जान बच गई, ऐसा गांव के लोग विश्वास करते हैं.
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इसके बाद ग्रामीणों ने कभी संक्रांति नहीं मनाई, लेकिन वे बसवन्ना मंदिर में पूजा जरूर करते हैं.