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ऐसा गांव जहां दशकों से कभी नहीं मनाई गई संक्रांति

गांववालों का मानना है कि अगर संक्रांति पर पूजा की गई तो गांव में अनर्थ हो जाएगा. उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि वे किसी और दिन पूजा करेंगे.

never celebrated sankranthi for decades
संक्रांति पर पसरा रहता है सन्नाटा
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Published : Jan 14, 2021, 6:22 PM IST

Updated : Jan 14, 2021, 6:53 PM IST

कोलार : इस गांव के लोग संक्रांति पर्व से डरते हैं. त्योहार के दिन पूरा गांव उदास रहता है. गांववालों का मानना है कि अगर संक्रांति का त्योहार मनाया गया तो उनके पशुओं की सिलसिलेवार मौत हो जाएगी.

कोलार के अरबिकोत्थानुरु गांव में दशकों से संक्रांति नहीं मनाई जा रही. बता दें, गांव में 1000 से अधिक लोग हैं. गांव में पढ़े-लिखे भी हैं, लेकिन फिर भी वे बड़ों की बातों का पालन करते हैं और संक्रांति नहीं मनाते हैं.

संक्रांति पर पसरा रहता है सन्नाटा

ऐसा कहा जाता है कि कुछ अज्ञात बीमारी के कारण अरबिकोत्थानुरु गांव के कछुए एक के बाद एक मरने लगे. इस प्रकार ग्रामीणों ने बासवन्ना मंदिर गए और प्रार्थना की कि वे संक्रांति पर पूजा-पाठ बंद कर देंगे. उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि वे संक्रांति के बजाय बसवन्ना मंदिर में किसी और दिन पूजा करेंगे. इस प्रार्थना के बाद उनके मवेशियों की जान बच गई, ऐसा गांव के लोग विश्वास करते हैं.

पढ़ें: मकर संक्रांति के साथ माघ मेले का आगाज, श्रद्धालु लगा रहे पुण्य की डुबकी

इसके बाद ग्रामीणों ने कभी संक्रांति नहीं मनाई, लेकिन वे बसवन्ना मंदिर में पूजा जरूर करते हैं.

कोलार : इस गांव के लोग संक्रांति पर्व से डरते हैं. त्योहार के दिन पूरा गांव उदास रहता है. गांववालों का मानना है कि अगर संक्रांति का त्योहार मनाया गया तो उनके पशुओं की सिलसिलेवार मौत हो जाएगी.

कोलार के अरबिकोत्थानुरु गांव में दशकों से संक्रांति नहीं मनाई जा रही. बता दें, गांव में 1000 से अधिक लोग हैं. गांव में पढ़े-लिखे भी हैं, लेकिन फिर भी वे बड़ों की बातों का पालन करते हैं और संक्रांति नहीं मनाते हैं.

संक्रांति पर पसरा रहता है सन्नाटा

ऐसा कहा जाता है कि कुछ अज्ञात बीमारी के कारण अरबिकोत्थानुरु गांव के कछुए एक के बाद एक मरने लगे. इस प्रकार ग्रामीणों ने बासवन्ना मंदिर गए और प्रार्थना की कि वे संक्रांति पर पूजा-पाठ बंद कर देंगे. उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि वे संक्रांति के बजाय बसवन्ना मंदिर में किसी और दिन पूजा करेंगे. इस प्रार्थना के बाद उनके मवेशियों की जान बच गई, ऐसा गांव के लोग विश्वास करते हैं.

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इसके बाद ग्रामीणों ने कभी संक्रांति नहीं मनाई, लेकिन वे बसवन्ना मंदिर में पूजा जरूर करते हैं.

Last Updated : Jan 14, 2021, 6:53 PM IST
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