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Blot on democracy : आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में न्यायमूर्ति एस. नजीर की नियुक्ति भारतीय लोकतंत्र पर धब्बा है: माकपा सांसद

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Published : Feb 12, 2023, 9:59 PM IST

माकपा नेता और सांसद एए रहीम ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस एस अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किए जाने को लोकतंत्र के लिए एक धब्बा बताया है. उन्होंने केंद्र के निर्णय पर निशाना साधते हुए कहा कि सेवानिवृत्त होने के छह सप्ताह के भीतर ही उन्हें राज्यपाल के पद पर नियुक्त कर दिया गया.

mp AA Rahim
सांसद एए रहीम

तिरुवनंतपुरम : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता एवं राज्यसभा सदस्य ए. ए. रहीम ने 2019 के अयोध्या फैसले का हिस्सा रहे उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस. अब्दुल नजीर की आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर नियुक्त करने के केंद्र के फैसले की रविवार को आलोचना की और कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक धब्बा है. माकपा सांसद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त करना निंदनीय है क्योंकि यह देश के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है.

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नजीर नवंबर 2019 में संविधान पीठ में उन पांच न्यायाधीशों का हिस्सा थे जिन्होंने अयोध्या (उत्तर प्रदेश) में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था और केंद्र को एक अलग स्थान पर मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था. रहीम ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, 'न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर को राज्यपाल के तौर पर नियुक्त करने का केंद्र सरकार का फैसला देश के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है. यह अत्यंत निंदनीय है. उन्हें (नजीर को) इस पेशकश को मानने से इनकार कर देना चाहिए. देश का अपनी न्याय प्रणाली में भरोसा नहीं खोना चाहिए. मोदी सरकार के इस तरह के फैसले भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा है.' मार्क्सवादी नेता ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उनकी सेवानिवृत्ति के छह सप्ताह के भीतर राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया.

बता दें कि आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में एस. अब्दुल नजीर की नियुक्ति के बाद, कांग्रेस ने कहा था कि 'यह न्यायपालिका के लिए खतरा है.' कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने पूर्व कानून और वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली को कोट किया. जेटली ने 2013 में कहा था, सेवानिवृत्ति से पहले के निर्णय सेवानिवृत्ति के बाद की नौकरियों और न्यायपालिका के लिए इसके खतरे से प्रभावित होते हैं. सिंघवी ने कहा, हम भी इसी भावना को साझा करते हैं, यह न्यायपालिका के लिए खतरा है. उन्होंने कहा, यह किसी व्यक्ति विशेष के बारे में नहीं है क्योंकि मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हूं लेकिन सिद्धांत रूप में हम सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों की नियुक्ति के खिलाफ हैं.

तिरुवनंतपुरम : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता एवं राज्यसभा सदस्य ए. ए. रहीम ने 2019 के अयोध्या फैसले का हिस्सा रहे उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस. अब्दुल नजीर की आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर नियुक्त करने के केंद्र के फैसले की रविवार को आलोचना की और कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक धब्बा है. माकपा सांसद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त करना निंदनीय है क्योंकि यह देश के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है.

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नजीर नवंबर 2019 में संविधान पीठ में उन पांच न्यायाधीशों का हिस्सा थे जिन्होंने अयोध्या (उत्तर प्रदेश) में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था और केंद्र को एक अलग स्थान पर मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था. रहीम ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, 'न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर को राज्यपाल के तौर पर नियुक्त करने का केंद्र सरकार का फैसला देश के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है. यह अत्यंत निंदनीय है. उन्हें (नजीर को) इस पेशकश को मानने से इनकार कर देना चाहिए. देश का अपनी न्याय प्रणाली में भरोसा नहीं खोना चाहिए. मोदी सरकार के इस तरह के फैसले भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा है.' मार्क्सवादी नेता ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उनकी सेवानिवृत्ति के छह सप्ताह के भीतर राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया.

बता दें कि आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में एस. अब्दुल नजीर की नियुक्ति के बाद, कांग्रेस ने कहा था कि 'यह न्यायपालिका के लिए खतरा है.' कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने पूर्व कानून और वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली को कोट किया. जेटली ने 2013 में कहा था, सेवानिवृत्ति से पहले के निर्णय सेवानिवृत्ति के बाद की नौकरियों और न्यायपालिका के लिए इसके खतरे से प्रभावित होते हैं. सिंघवी ने कहा, हम भी इसी भावना को साझा करते हैं, यह न्यायपालिका के लिए खतरा है. उन्होंने कहा, यह किसी व्यक्ति विशेष के बारे में नहीं है क्योंकि मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हूं लेकिन सिद्धांत रूप में हम सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों की नियुक्ति के खिलाफ हैं.

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(पीटीआई-भाषा)

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