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प्रधानमंत्री से अपील, जल्दबाजी में न पेश करें बिजली संशोधन विधेयक

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Published : Jul 4, 2021, 4:08 PM IST

ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विद्युत संशोधन विधेयक को उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों से व्यापक विचार-विमर्श किए बिना जल्दबाजी में संसद के मॉनसून सत्र में पेश नहीं करने का आग्रह किया है.

Appeal
Appeal

लखनऊ : आल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर मांग की है कि सभी हितधारकों को विश्वास में लिए बिना इस विधेयक को संसद में न रखा जाए. क्योंकि दूरगामी परिणाम देने वाले इस बिल पर व्यापक चर्चा की जरूरत है.

उन्होंने पत्र में कहा कि विधेयक के तकनीकी पहलुओं पर तकनीकी विशेषज्ञों, बिजली इंजीनियरों और बिजली कर्मियों से कोई विचार-विमर्श किए बिना उपभोक्ताओं और कर्मचारियों को प्रभावित करने वाले बिल को संसद में प्रस्तुत करना उचित नहीं है. उन्होंने पत्र में कहा कि कोविड महामारी की दूसरी घातक लहर से अभी अर्थव्यवस्था पूरी तरह संभल नहीं पाई है और हजारों बिजलीकर्मियों ने महामारी में अपने प्राण गवाए हैं. ऐसे में बिजली क्षेत्र में अभी आपात स्थिति चल रही है. इस बीच बिना विचार विमर्श के जल्दबाजी में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 को मानसून सत्र में रखा जाना उचित नहीं होगा.

दुबे ने पत्र में यह भी कहा कि विधेयक में एक क्षेत्र में एक से अधिक निजी क्षेत्र की विद्युत वितरण कंपनियों को बिजली आपूर्ति की अनुमति देने का प्रावधान है तथा विद्युत आपूर्ति के लिए लाइसेंस समाप्त कर दिया जाएगा. नई आने वाली सभी निजी कंपनियां मौजूदा विद्युत वितरण निगम के बिजली नेटवर्क का प्रयोग करेगी और नेटवर्क के निर्माण व रखरखाव पर बिना कोई पैसा खर्च किए मुनाफा कमाएंगी. साथ ही नई कंपनियों को सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली देने की कोई बाध्यता नहीं होगी.

यह भी पढ़ें-साइना के पॉलिटिकल शॉट से आहत जयंत, करिश्माई खिलाड़ी को बताया 'सरकारी शटलर'

परिणाम स्वरूप निजी कंपनियां केवल औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को ही बिजली देंगी. उन्होंने पत्र में कहा कि इस प्रकार सरकारी विद्युत वितरण निगम से मुनाफे वाले औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ता निकल जाएंगे और सरकारी विद्युत वितरण कंपनियां और ज्यादा घाटे में चली जाएंगी. इसका परिणाम यह होगा कि सरकारी कंपनियों के पास बिजली खरीद के लिए भी पैसा नहीं होगा जिसका सीधा खामियाजा किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा.

(पीटीआई-भाषा)

लखनऊ : आल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर मांग की है कि सभी हितधारकों को विश्वास में लिए बिना इस विधेयक को संसद में न रखा जाए. क्योंकि दूरगामी परिणाम देने वाले इस बिल पर व्यापक चर्चा की जरूरत है.

उन्होंने पत्र में कहा कि विधेयक के तकनीकी पहलुओं पर तकनीकी विशेषज्ञों, बिजली इंजीनियरों और बिजली कर्मियों से कोई विचार-विमर्श किए बिना उपभोक्ताओं और कर्मचारियों को प्रभावित करने वाले बिल को संसद में प्रस्तुत करना उचित नहीं है. उन्होंने पत्र में कहा कि कोविड महामारी की दूसरी घातक लहर से अभी अर्थव्यवस्था पूरी तरह संभल नहीं पाई है और हजारों बिजलीकर्मियों ने महामारी में अपने प्राण गवाए हैं. ऐसे में बिजली क्षेत्र में अभी आपात स्थिति चल रही है. इस बीच बिना विचार विमर्श के जल्दबाजी में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 को मानसून सत्र में रखा जाना उचित नहीं होगा.

दुबे ने पत्र में यह भी कहा कि विधेयक में एक क्षेत्र में एक से अधिक निजी क्षेत्र की विद्युत वितरण कंपनियों को बिजली आपूर्ति की अनुमति देने का प्रावधान है तथा विद्युत आपूर्ति के लिए लाइसेंस समाप्त कर दिया जाएगा. नई आने वाली सभी निजी कंपनियां मौजूदा विद्युत वितरण निगम के बिजली नेटवर्क का प्रयोग करेगी और नेटवर्क के निर्माण व रखरखाव पर बिना कोई पैसा खर्च किए मुनाफा कमाएंगी. साथ ही नई कंपनियों को सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली देने की कोई बाध्यता नहीं होगी.

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परिणाम स्वरूप निजी कंपनियां केवल औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को ही बिजली देंगी. उन्होंने पत्र में कहा कि इस प्रकार सरकारी विद्युत वितरण निगम से मुनाफे वाले औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ता निकल जाएंगे और सरकारी विद्युत वितरण कंपनियां और ज्यादा घाटे में चली जाएंगी. इसका परिणाम यह होगा कि सरकारी कंपनियों के पास बिजली खरीद के लिए भी पैसा नहीं होगा जिसका सीधा खामियाजा किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा.

(पीटीआई-भाषा)

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