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वैक्सीन के खिलाफ हिचकिचाहट को बढ़ावा देने वाले प्रयासों से बचना चाहिए : केंद्र ने SC से कहा

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Published : Nov 29, 2021, 8:09 PM IST

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि निहित समूहों द्वारा किसी भी ऐसे प्रयास से बचना चाहिए, जिससे टीका लेने की हिचकिचाहट को बढ़ावा मिले.

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सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि निहित समूहों द्वारा किसी भी ऐसे प्रयास से बचना चाहिए, जिससे टीका लेने की हिचकिचाहट को बढ़ावा मिले, क्योंकि करोड़ों लोग अपनी रक्षा कर रहे हैं और ऐसे लोगों की तादाद कम है, जो टीके का विरोध कर रहे हैं.

न्यायमूर्ति एल एन राव की अगुवाई वाली पीठ (bench led by Justice LN Rao) टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (National Technical Advisory Group on Immunisation) के पूर्व सदस्य डॉ जैकब पुलियेल (petition filed by Dr Jacob Puliyel) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने तर्क दिया कि अनिवार्य टीकाकरण नागरिकों के अधिकारों के खिलाफ (rights of the citizens) है और असंवैधानिक है.

उन्होंने क्लिनिकल ट्रायल डेटा (clinical trial data) और टीकाकरण के बाद के डेटा का खुलासा करने की भी मांग की थी.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Adv Prashant Bhushan) ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि विभिन्न राज्यों में वैक्सीन जनादेश जारी किए गए हैं.

महाराष्ट्र ने कहा है कि बिना टीकाकरण वाले लोग लॉकडाउन में रहेंगे, दिल्ली ने बिना टीकाकरण वाले सरकारी कर्मियों को कार्यालय आने की अनुमति नहीं दी है. हालांकि, केंद्र ने आरटीआई के जवाब में कहा था कि टीका अनिवार्य नहीं होगा और शीर्ष अदालत ने भी यही कहा था.

अदालत ने कहा कि जनादेश को विशेष रूप से चुनौती दी जा सकती है और वह राज्यों को सुनेगी. इस पर एसजी ने कहा कि यह सिर्फ एक निहित समूह का प्रयास है और मौखिक रूप से कही गई किसी भी बात का प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है.

कोर्ट ने कहा कि हालांकि वह वैक्सीन को लेकर कोई झिझक नहीं चाहता है, लेकिन चिंताओं को दूर करना होगा.

पढ़ें - त्रिपुरा हिंसा पर जांच समिति गठित करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगा SC

याचिका के जवाब में सौंपे गए एक हलफनामे में केंद्र ने कहा कि याचिका राष्ट्रहित के खिलाफ है और इस समय केंद्र और राज्यों को लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

हलफनामे में कहा गया है, 'इसलिए इस समय यह वांछनीय नहीं है कि महामारी से पीड़ित करोड़ों नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन करने की कीमत पर राष्ट्र के हित के खिलाफ काम करने की कोशिश करने वाले कुछ तत्वों के पीछे के उद्देश्यों का पता लगाने के लिए समय लगाया जाए.'

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि निहित समूहों द्वारा किसी भी ऐसे प्रयास से बचना चाहिए, जिससे टीका लेने की हिचकिचाहट को बढ़ावा मिले, क्योंकि करोड़ों लोग अपनी रक्षा कर रहे हैं और ऐसे लोगों की तादाद कम है, जो टीके का विरोध कर रहे हैं.

न्यायमूर्ति एल एन राव की अगुवाई वाली पीठ (bench led by Justice LN Rao) टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (National Technical Advisory Group on Immunisation) के पूर्व सदस्य डॉ जैकब पुलियेल (petition filed by Dr Jacob Puliyel) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने तर्क दिया कि अनिवार्य टीकाकरण नागरिकों के अधिकारों के खिलाफ (rights of the citizens) है और असंवैधानिक है.

उन्होंने क्लिनिकल ट्रायल डेटा (clinical trial data) और टीकाकरण के बाद के डेटा का खुलासा करने की भी मांग की थी.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Adv Prashant Bhushan) ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि विभिन्न राज्यों में वैक्सीन जनादेश जारी किए गए हैं.

महाराष्ट्र ने कहा है कि बिना टीकाकरण वाले लोग लॉकडाउन में रहेंगे, दिल्ली ने बिना टीकाकरण वाले सरकारी कर्मियों को कार्यालय आने की अनुमति नहीं दी है. हालांकि, केंद्र ने आरटीआई के जवाब में कहा था कि टीका अनिवार्य नहीं होगा और शीर्ष अदालत ने भी यही कहा था.

अदालत ने कहा कि जनादेश को विशेष रूप से चुनौती दी जा सकती है और वह राज्यों को सुनेगी. इस पर एसजी ने कहा कि यह सिर्फ एक निहित समूह का प्रयास है और मौखिक रूप से कही गई किसी भी बात का प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है.

कोर्ट ने कहा कि हालांकि वह वैक्सीन को लेकर कोई झिझक नहीं चाहता है, लेकिन चिंताओं को दूर करना होगा.

पढ़ें - त्रिपुरा हिंसा पर जांच समिति गठित करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगा SC

याचिका के जवाब में सौंपे गए एक हलफनामे में केंद्र ने कहा कि याचिका राष्ट्रहित के खिलाफ है और इस समय केंद्र और राज्यों को लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

हलफनामे में कहा गया है, 'इसलिए इस समय यह वांछनीय नहीं है कि महामारी से पीड़ित करोड़ों नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन करने की कीमत पर राष्ट्र के हित के खिलाफ काम करने की कोशिश करने वाले कुछ तत्वों के पीछे के उद्देश्यों का पता लगाने के लिए समय लगाया जाए.'

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