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अंजुम आरा ने रामायण में की PhD, बच्चों को पढ़ाएंगी संस्कृत का पाठ...श्लोक-चौपाइयां हैं कंठस्थ

उदयपुर की अंजुम आरा ने वाल्मीकि रामायण पर पीएचडी (Anjum Ara did PhD on Ramayana) की है. मुस्लिम समुदाय से होने के बाद भी संस्कृत में उनकी रुचि रही और अब असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. श्लोक और रामायण की चौपाइयां उनको कंठस्थ हैं. उन्होंने साबित किया है कि शिक्षा में धर्म की बाध्यता नहीं है.

Anjum Ara did PhD on Ramayana, Anjum Ara will teach students sanskrit
अंजुम आरा ने रामायण में की PhD.
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Published : Nov 9, 2022, 8:34 PM IST

उदयपुर. सर्व धर्म सम्भाव में विश्वास रखने वाली झीलों की नगरी की अंजुम आरा ने वाल्मीकि रामायण पर पीएचडी (Anjum Ara did PhD on Ramayana) की है. सामान्य तौर पर ऐसा देखने को नहीं मिलता है कि मुस्लिम समुदाय के किसी व्यक्ति की संस्कृत विषय में रुचि हो, लेकिन अंजुम की बात कुछ अलग है. संस्कृत विषय में शुरू से ही उनका रुझान रहा और फिर उन्होंने वाल्मीकि रामायण पर रिसर्च कर पीएचडी पूरा किया और अब वह बच्चों को संस्कृत विषय पढ़ाएंगी. सच ही कहा है कि शिक्षा से बड़ा को धर्म नहीं है. यही वह सेतु है जो हर धर्म और समाज को एक दूसरे से जोड़ता है. राजस्थान के उदयपुर जिले की रहने वाली अंजुम कहती हैं कि जितना पवित्र ग्रंथ कुरान है, उतनी ही रामायण. दोनों ही धर्मग्रंथ एक जैसी सीख देते हैं.

अंजुम बनीं राजस्थान की पहली महिला संस्कृत प्रोफेसर...
दरअसल अंजुम आरा मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखती हैं, लेकिन उनकी शिक्षा समाज को एक नई दिशा दे रही है. अंजुम आरा ने अपने इरादों और शिक्षा के बलबूते इस धारणा को तोड़ने का काम किया है कि उर्दू सिर्फ मुस्लिमों की भाषा हो सकती है और संस्कृत हिंदू समाज की. अंजुम ने इस पुरानी सोच को नई दिशा दी है. और आरपीएससी परीक्षा देकर संस्कृत विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर की सूची में 21वां स्थान हासिल किया है. संस्कृत में पीएचडी कर कोटा के चेचट की छात्रा अंजुम आरा राजस्थान की पहली मुस्लिम प्रोफेसर बन गई हैं. वह संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सीनियर डीआई पद पर कार्यरत हैं. अंजुम ने उन बंदिशों को तोड़ा है जो किसी भाषा या विषय को धर्म से जोड़कर देखता है.

अंजुम आरा ने रामायण में की PhD.

पढ़ें. SPECIAL : पहचान खोती संस्कृत भाषा को बचाने की कोशिश कर रहे प्रोफेसर श्यामलाल

रामायण और कुरान दोनों पढ़ी अंजुम ने...
यह जानकर सहज आश्चर्य होगा कि अंजुम ने वाल्मीकि रामायण और कुरान दोनों पढ़ी है. अंजुम की मानें तो दोनों धार्मिक किताबों में समाज को जोड़ने का संदेश दिया गया है. हर व्यक्ति को सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. अंजुम कहती हैं कि मेरे घर पर वाल्मीकि रामायण भी सम्मान के साथ रखी हुई है और उसी सम्मान के साथ कुरान भी है. पीएडी में अंजुम का विषय था ‘‘रामायण और जानकी जीवन का तुलनात्मक अध्ययन’’. ऐसे में अंजुम आरा की कहानी समाज को एक नया संदेश दे रही है कि शिक्षा ही सामाजिक बंदिशों को तोड़ सकती है और प्रगतिशील समाज का पैगाम बन सकती है.

अंजुम के अलावा उनके दो बहनें भी संस्कृत पढ़ रहीं...
अंजुम फिलहाल उदयपुर के संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सेवारत हैं. वह बताती हैं कि उनके परिवार की तीनों बहनों ने संस्कृत पढ़ी है. उन्होंने उदयपुर के राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री ली है. हालांकि इससे पहले उसने सीनियर सेकेंडरी तक वैकल्पिक विषय के रूप में संस्कृत की पढ़ाई की थी. संस्कृत कॉलेज में प्रवेश को लेकर भी काफी असमंजस रहा लेकिन तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अवधेश कुमार मिश्र के सुझाव पर उन्होंने संस्कृत में ही डिग्री करने का निर्णय लिया. यहां तक कि डॉ. मिश्र उसके घर आए और संस्कृत में करियर की जानकारी दी. उसके बाद उसकी छोटी बहन रुखसार ने भी संस्कृत से पीजी यानी आचार्य की डिग्री हांसिल की ओर वह स्कूल शिक्षक है, बड़ी बहन शबनम भी संस्कृत से आचार्य है.

Anjum Ara did PhD on Ramayana, Anjum Ara will teach students sanskrit
अंजुम आरा की डिग्री

पढ़ें. मंत्री बीडी कल्ला का दावा, संस्कृत कॉलेज शिक्षा में जल्द जारी होंगे सेवा नियम

पिता करते हैं टेलर का काम...
अंजुम का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ. उनके पिता टेलर का काम करते हैं. कोटा जिले के चेचट इलाके की रहने वाली अंजुम की दो बहनें और हैं. दोनों बहने भी संस्कृत विषय में पारंगत हैं. अंजुम के मुख से संस्कृत के श्लोक जब सुनेंगे तो आप भी उसके अनुभव और ज्ञान को देखते हुए रह जाएंगे. अब तक अलग-अलग कई डिग्रियां अंजुम हासिल कर चुकी हैं. अंजुम का बचपन से ही पढ़ाई में काफी रुचि थी. आगे पढ़ाई के दौरान उन्हें संस्कृत में पढ़ने में रुचि हुई क्योंकि कोटा के चेचट इलाके में राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय स्थित है. यहां से उन्हें संस्कृत विषय के बारे में अलग-अलग जानकारियां मिलती रहती थीं.

उदयपुर में ससुराल...
अंजुम आरा की शादी उदयपुर में हुई है. इस दौरान शादी के बाद उनके पति ने भी उनकी पढ़ाई में उनका पूरा सहयोग किया. जिसकी बदौलत अंजुम ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से अंजुम ने पीएचडी की है.

पीएचडी में विषय था ‘रामायण और जानकी जीवन का तुलनात्मक अध्ययन'
अंजुम आरा ने बताया कि उन्होंने मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है. 'रामायण और जानकी जीवन का तुलनात्मक अध्ययन' उनका विषय रहा. उन्होंने बताया कि रामायण में माता सीता के प्रसंग को देखें तो पता चलता है कि उनका बहुत सराहनीय रहा. एक आदर्श बेटी, पत्नी और बहू बनने के साथ ही बहुत सी शिक्षाएं भी उनसे सीखने को मिलती हैं. माता सीता ने कठिन संघर्ष करते हुए भी भगवान श्री राम का साथ दिया.

आमतौर पर यह देखने को मिलता है कि मुस्लिम छात्र-छात्राएं उर्दू विषय ही चुनते हैं. लेकिन अंजुम ने अपने पिता के प्रोत्साहन से संस्कृत विषय चुना और आज प्रदेश के साथ ही देश के लिए भी एक मिसाल बन गई हैं. अंजुम के पिता मोहम्मद हुसैन कोटा जिले के चेचट गांव में एक टेलर की दुकान चलाते हैं,लेकिन उनकी सोच ने आज प्रदेश को गौरवांवित होने का अवसर दिया है. अंजुम आरा अपनी संस्कृत में पढ़ाई के सफर को लेकर कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि वह संस्कृत में ही पारंगत थीं, अंग्रेजी में भी वह बेहतर हैं.

अंग्रेजी ज्ञान के चलते उनके शिक्षक रहे प्रो. संजय चावला ने उन्हें अंग्रेजी में पीएचडी की सलाह दी थी, लेकिन संस्कृत विषय के प्रति अपने लगाव की वजह से उन्होंने इसी विषय के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया और आज परिणाम सभी के सामने हैं. अंजुम आरा ने लेक सिटी ही नहीं पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया है. अंजूम के रामायण पर पीएचडी कर सर्व धर्म संभाव की बात को सार्थक किया है.

उदयपुर. सर्व धर्म सम्भाव में विश्वास रखने वाली झीलों की नगरी की अंजुम आरा ने वाल्मीकि रामायण पर पीएचडी (Anjum Ara did PhD on Ramayana) की है. सामान्य तौर पर ऐसा देखने को नहीं मिलता है कि मुस्लिम समुदाय के किसी व्यक्ति की संस्कृत विषय में रुचि हो, लेकिन अंजुम की बात कुछ अलग है. संस्कृत विषय में शुरू से ही उनका रुझान रहा और फिर उन्होंने वाल्मीकि रामायण पर रिसर्च कर पीएचडी पूरा किया और अब वह बच्चों को संस्कृत विषय पढ़ाएंगी. सच ही कहा है कि शिक्षा से बड़ा को धर्म नहीं है. यही वह सेतु है जो हर धर्म और समाज को एक दूसरे से जोड़ता है. राजस्थान के उदयपुर जिले की रहने वाली अंजुम कहती हैं कि जितना पवित्र ग्रंथ कुरान है, उतनी ही रामायण. दोनों ही धर्मग्रंथ एक जैसी सीख देते हैं.

अंजुम बनीं राजस्थान की पहली महिला संस्कृत प्रोफेसर...
दरअसल अंजुम आरा मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखती हैं, लेकिन उनकी शिक्षा समाज को एक नई दिशा दे रही है. अंजुम आरा ने अपने इरादों और शिक्षा के बलबूते इस धारणा को तोड़ने का काम किया है कि उर्दू सिर्फ मुस्लिमों की भाषा हो सकती है और संस्कृत हिंदू समाज की. अंजुम ने इस पुरानी सोच को नई दिशा दी है. और आरपीएससी परीक्षा देकर संस्कृत विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर की सूची में 21वां स्थान हासिल किया है. संस्कृत में पीएचडी कर कोटा के चेचट की छात्रा अंजुम आरा राजस्थान की पहली मुस्लिम प्रोफेसर बन गई हैं. वह संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सीनियर डीआई पद पर कार्यरत हैं. अंजुम ने उन बंदिशों को तोड़ा है जो किसी भाषा या विषय को धर्म से जोड़कर देखता है.

अंजुम आरा ने रामायण में की PhD.

पढ़ें. SPECIAL : पहचान खोती संस्कृत भाषा को बचाने की कोशिश कर रहे प्रोफेसर श्यामलाल

रामायण और कुरान दोनों पढ़ी अंजुम ने...
यह जानकर सहज आश्चर्य होगा कि अंजुम ने वाल्मीकि रामायण और कुरान दोनों पढ़ी है. अंजुम की मानें तो दोनों धार्मिक किताबों में समाज को जोड़ने का संदेश दिया गया है. हर व्यक्ति को सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. अंजुम कहती हैं कि मेरे घर पर वाल्मीकि रामायण भी सम्मान के साथ रखी हुई है और उसी सम्मान के साथ कुरान भी है. पीएडी में अंजुम का विषय था ‘‘रामायण और जानकी जीवन का तुलनात्मक अध्ययन’’. ऐसे में अंजुम आरा की कहानी समाज को एक नया संदेश दे रही है कि शिक्षा ही सामाजिक बंदिशों को तोड़ सकती है और प्रगतिशील समाज का पैगाम बन सकती है.

अंजुम के अलावा उनके दो बहनें भी संस्कृत पढ़ रहीं...
अंजुम फिलहाल उदयपुर के संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सेवारत हैं. वह बताती हैं कि उनके परिवार की तीनों बहनों ने संस्कृत पढ़ी है. उन्होंने उदयपुर के राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री ली है. हालांकि इससे पहले उसने सीनियर सेकेंडरी तक वैकल्पिक विषय के रूप में संस्कृत की पढ़ाई की थी. संस्कृत कॉलेज में प्रवेश को लेकर भी काफी असमंजस रहा लेकिन तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अवधेश कुमार मिश्र के सुझाव पर उन्होंने संस्कृत में ही डिग्री करने का निर्णय लिया. यहां तक कि डॉ. मिश्र उसके घर आए और संस्कृत में करियर की जानकारी दी. उसके बाद उसकी छोटी बहन रुखसार ने भी संस्कृत से पीजी यानी आचार्य की डिग्री हांसिल की ओर वह स्कूल शिक्षक है, बड़ी बहन शबनम भी संस्कृत से आचार्य है.

Anjum Ara did PhD on Ramayana, Anjum Ara will teach students sanskrit
अंजुम आरा की डिग्री

पढ़ें. मंत्री बीडी कल्ला का दावा, संस्कृत कॉलेज शिक्षा में जल्द जारी होंगे सेवा नियम

पिता करते हैं टेलर का काम...
अंजुम का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ. उनके पिता टेलर का काम करते हैं. कोटा जिले के चेचट इलाके की रहने वाली अंजुम की दो बहनें और हैं. दोनों बहने भी संस्कृत विषय में पारंगत हैं. अंजुम के मुख से संस्कृत के श्लोक जब सुनेंगे तो आप भी उसके अनुभव और ज्ञान को देखते हुए रह जाएंगे. अब तक अलग-अलग कई डिग्रियां अंजुम हासिल कर चुकी हैं. अंजुम का बचपन से ही पढ़ाई में काफी रुचि थी. आगे पढ़ाई के दौरान उन्हें संस्कृत में पढ़ने में रुचि हुई क्योंकि कोटा के चेचट इलाके में राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय स्थित है. यहां से उन्हें संस्कृत विषय के बारे में अलग-अलग जानकारियां मिलती रहती थीं.

उदयपुर में ससुराल...
अंजुम आरा की शादी उदयपुर में हुई है. इस दौरान शादी के बाद उनके पति ने भी उनकी पढ़ाई में उनका पूरा सहयोग किया. जिसकी बदौलत अंजुम ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से अंजुम ने पीएचडी की है.

पीएचडी में विषय था ‘रामायण और जानकी जीवन का तुलनात्मक अध्ययन'
अंजुम आरा ने बताया कि उन्होंने मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है. 'रामायण और जानकी जीवन का तुलनात्मक अध्ययन' उनका विषय रहा. उन्होंने बताया कि रामायण में माता सीता के प्रसंग को देखें तो पता चलता है कि उनका बहुत सराहनीय रहा. एक आदर्श बेटी, पत्नी और बहू बनने के साथ ही बहुत सी शिक्षाएं भी उनसे सीखने को मिलती हैं. माता सीता ने कठिन संघर्ष करते हुए भी भगवान श्री राम का साथ दिया.

आमतौर पर यह देखने को मिलता है कि मुस्लिम छात्र-छात्राएं उर्दू विषय ही चुनते हैं. लेकिन अंजुम ने अपने पिता के प्रोत्साहन से संस्कृत विषय चुना और आज प्रदेश के साथ ही देश के लिए भी एक मिसाल बन गई हैं. अंजुम के पिता मोहम्मद हुसैन कोटा जिले के चेचट गांव में एक टेलर की दुकान चलाते हैं,लेकिन उनकी सोच ने आज प्रदेश को गौरवांवित होने का अवसर दिया है. अंजुम आरा अपनी संस्कृत में पढ़ाई के सफर को लेकर कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि वह संस्कृत में ही पारंगत थीं, अंग्रेजी में भी वह बेहतर हैं.

अंग्रेजी ज्ञान के चलते उनके शिक्षक रहे प्रो. संजय चावला ने उन्हें अंग्रेजी में पीएचडी की सलाह दी थी, लेकिन संस्कृत विषय के प्रति अपने लगाव की वजह से उन्होंने इसी विषय के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया और आज परिणाम सभी के सामने हैं. अंजुम आरा ने लेक सिटी ही नहीं पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया है. अंजूम के रामायण पर पीएचडी कर सर्व धर्म संभाव की बात को सार्थक किया है.

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