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Delhi Mumbai Expressway: एशिया का सबसे बड़ा एनिमल ओवरपास, सुरंग से सरपट दौड़ेंगी गाड़ियां, ऊपर वन्यजीवों की सुनाई देगी दहाड़

बूंदी जिले के लाखेरी के नजदीक एक एनिमल ओवरपास बनाया जा रहा है. इसका निर्माण करीब 90 फीसदी पूरा हो गया. जिसमें जमीन को खोदकर नीचे से सुरंगनुमा रास्ता बना दिया गया है. जिसके बाद ऊपर से इसे कवर कर दिया गया है और वहां पेड़ पौधे लगाने की योजना है, ताकि इसे वापस जंगल जैसा रूप दिया जा सके.

Animl overpass bundi delhi mumbai expressway
Animl overpass bundi delhi mumbai expressway
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Published : May 19, 2023, 8:40 AM IST

Updated : May 19, 2023, 5:53 PM IST

बूंदी में बन रहा एशिया का सबसे बड़ा एनिमल ओवरपास

कोटा. भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बन रहे दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बाद बूंदी जिले में प्रवेश कर रहा है. ऐसे में सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से बूंदी जिले में स्थित रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बीच एक जंगल का एक नेचुरल कोरिडोर बना हुआ है. जिसके जरिए टाइगर और अन्य वन्यजीव मूवमेंट करते हैं. इन्हें बचाने के लिए ही बूंदी जिले के लाखेरी के नजदीक एक एनिमल ओवरपास बनाया जा रहा है. इसका निर्माण करीब 90 फीसदी पूरा हो गया. जिसमें जमीन को खोदकर नीचे से सुरंगनुमा रास्ता बना दिया गया है. जिसके बाद ऊपर से इसे कवर कर दिया गया है और वहां पेड़ पौधे लगाने की योजना है, ताकि इसे वापस जंगल जैसा रूप दिया जा सके. यह एनिमल ओवरपास एशिया का सबसे बड़ा और 3.5 किलोमीटर लंबा है. इस एनिमल ओवरपास के नीचे से 8 लेन का रास्ता गुजर रहा है. वही ऊपर से वन्यजीव गुजर जाएंगे. ऐसे में वन्यजीव भी इस एक्सप्रेस-वे के निकलने से परेशान नहीं होंगे. इन्हें वाइल्डलाइफ ब्रिज भी कहा जाता है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सवाईमाधोपुर प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर मनोज शर्मा का कहना हैं कि यह एशिया का सबसे बड़ा एनिमल ओवरपास है. पीडी शर्मा का कहना हैं कि इस एनिमल ओवर पास के निर्माण के बाद वन्यजीव पूरी तरह से स्वच्छंद विचरण कर सकेंगे. उन्हें हाईवे निकलने से किसी तरह का कोई डिस्टरबेंस नहीं होगा.

इस तरह से किया है निर्माण : निर्माण में जुटे साइट इंजीनियर ने बताया हैं कि इन्हें आर्टिफिशियल टनल कहा जा सकता है. इसके लिए पहले 100 मीटर एरिया की पूरी खुदाई की गई है. कुछ एरिया में रेतनुमा मिट्टी की पहाड़ी का भी था. इसके अलावा चट्टानी पहाड़ी भी थी, जिसे भी काटा गया है. इसके बाद रास्ता बनाने के लिए खुदाई के दोनों छोर पर अबेटमेंट यानि दीवार बनाई गई है. यह सीमेंट कंक्रीट की बनी है. इसके बाद बीच में पियर यानी कि पिलर खड़े किए गए हैं. अबेटमेंट और पियर दोनों के ऊपर कैब डालकर गर्डर डाल दी गई है. इन गर्डर के ऊपर स्लैब बिछाई गई है. निर्माण के लिए 20-20 मीटर की स्लैब डाली गई है. इनके बीच के जॉइंट को एक्सपेंशन से जोड़ा गया है. साथ ही सील भी कर दिया गया है. इस आर्टिफिशियल टनल की पूरी तरह से वॉटरप्रूफिंग की गई है, ताकि बारिश का पानी और ऊपर डाली गई मिट्टी से रिस कर नीचे नहीं आ सके.

Animal underpass being made in Bundi
एक्सप्रेस वे राजस्थान के बूंदी जिले में प्रवेश कर रहा है

वन्यजीव को सुरंग के ऊपर मिलेगा नेचुरल हैबिटेट : पूरे निर्माण का कार्य लार्सन एंड टर्बो कंपनी कर रही है. इस कंपनी का कैंप ऑफिस भी लाखेरी में ही स्थित है. निर्माण साइट पर कंपनी के जनरल मैनेजर अजय राय के नेतृत्व में टीम काम कर रही है. इस आर्टिफिशियल टनल की छत या स्लैब पर 3.5 मीटर मिट्टी बिछाई जा रही है. जिस पर अब पौधे लगाने का काम होगा. इस पूरे 3.5 मीटर के एनिमल ओवर पास में करीब 20,000 से ज्यादा पौधे लगाए जाएंगे. यह सभी पौधे स्थानीय प्रजाति के होंगे. जिससे कि आसपास के एरिया जैसा जंगल का लुक इस एनिमल ओवरपास का ऊपर से आ जाए. दोनों तरफ भी तरह से जंगल से जोड़ दिया जाएगा. साथ ही जानवर भी इसे नेचुरल हैबिटेट समझकर यहां से गुजर जाए.

हवा, प्रकाश और स्पीड का रखा पूरा ध्यान : एनिमल ओवरपास बूंदी जिले के लाखेरी की भावपुरा से शुरू होकर बालापुरा पर खत्म हो रहा है. इसमें 500-500 मीटर के पांच एनिमल ओवर पास जुड़े हुए हैं. जिनके बीच में 50 से 250 मीटर तक की जगह छोड़ी गई. जहां से प्रकाश और हवा इस सुरंग में आ जाएंगी. एनिमल ओवरपास में बिजली से लेकर प्रकाश और अन्य सभी व्यवस्थाएं की गई है. इन आर्टिफिशियल सुरंग में भी वाहन नहीं रुक सकेंगे. इनकी भी सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग होगी. इन आर्टिफिशियल सुरंग से या वाइल्डलाइफ ब्रिज के नीचे से गुजर रहे वाहनों की स्पीड भी एक्सप्रेस-वे के वाहनों की स्पीड के बराबर होगी, यानी कि आर्टिफिशियल सुरंग की डिजाइन और निर्माण भी 120 की स्पीड को ध्यान में रखकर किया गया है.

पढ़ें : Special : दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को चुनौती देगी भारतीय रेल, 160 की स्पीड से दौड़ेंगी ट्रेनें

लाइटिंग का लक्स इफैक्ट : आर्टिफिशियल सुरंग में नीचे से 8 लेन का ही रास्ता निकाला गया है. जिसमें 4-4 लेन आने और जाने की है. बीच में डिवाइडर है. साथी दोनों तरफ पेव्ड शोल्डर दिया गया है. इसमें पूरी तरह से लाइटें इसमें लगा दी गई है, ताकि भीतर से अंधेरा होने पर वाहन चालकों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आए. साथ ही लाइटिंग में भी लक्स इफैक्ट दिया गया है. प्रवेश के साथ ही चकाचौंध जैसी स्थिति नहीं हो इसीलिए, लाइटों को घटते से बढ़ते और फिर घटते क्रम में लगाया गया है. हालांकि रात के समय पूरी तरह से रोशन इस रखा जाएगा. यह निर्माण करीब डेढ़ साल में पूरा कर दिया गया है. यह निर्माण करीब 500 करोड़ में लार्सन एंड टर्बो कंपनी कर रही है.

Animal underpass being made in Bundi
एशिया का सबसे बड़ा एनिमल ओवरपास

विश्व में कई जगह बने, सभी कई गुना छोटे : मुंबई नागपुर एक्सप्रेस वे पर भी इस तरह के एनिमल ओवरपास बने है. हालांकि, उनकी लंबाई 60 मीटर से कम है. वही चौड़ाई 100 मीटर से कम है. जबकि दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे पर यह पूरा 3.5 किलोमीटर लंबा है. इसमें 500-500 मीटर की लंबाई के एनिमल ओवर पास बनाए गए हैं. ऐसे में मुंबई नागपुर एक्सप्रेस वे पर बन रहे एनिमल ओवरपास काफी छोटे हैं. इसके पहले नीदरलैंड के हिलवर्सम में नैचुरब्रुग जेंडरिज क्राइलू नाम से एनिमल ओवरपास बना हुआ है. इसमें जानवरों के निकलने के लिए 50 मीटर का रास्ता दिया हुआ था. इसी तरह से कनाडा के अल्बर्टा में बनफ नेशनल पार्क, इंग्लैंड के चेशायर के नट्सफोर्ड-बोडन हाईवे और वाशिंगटन में स्नोक्वाल्मी पास के पास वन्यजीव पुल था. इसके अलावा सिंगापुर में भी साल 2013 में इकोलिंक से 8 लेन के हाईवे के ऊपर इस तरह से एनिमल ओवरपास निकाला गया था. इसे एशिया का पहला एनिमल ओवरपास कहा जाता है.

पढ़ें : Delhi Mumbai Expressway : वाहन चेकिंग न होने का गौ तस्कर उठा रहे फायदा, एक राज्य से दूसरे राज्य जाने में हुई आसानी

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सशर्त दी थी अनुमति : दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे रणथम्भौरऔर रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के नजदीक से गुजर रहा है. इन दोनों का इको सेंसेटिव जोन एक्सप्रेस-वे के निर्माण लाइन पर आ रहा था. ऐसे में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए ली गई थी. इसे अनुमति में वन्यजीव की सुरक्षा और उनकी स्वच्छंद वितरण में किसी तरह की कोई रुकावट नहीं हो, इसके निर्देश दिए गए थे. जिसके बाद ही एनएचएआई ने एनिमल ओवरपास डिजाइन किया. एनिमल ओवरपास को अप्रूव करते हुए ही वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने एनवायरमेंटल क्लीयरेंस (ईसी) जारी की है.

बूंदी में बन रहा एशिया का सबसे बड़ा एनिमल ओवरपास

कोटा. भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बन रहे दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बाद बूंदी जिले में प्रवेश कर रहा है. ऐसे में सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से बूंदी जिले में स्थित रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बीच एक जंगल का एक नेचुरल कोरिडोर बना हुआ है. जिसके जरिए टाइगर और अन्य वन्यजीव मूवमेंट करते हैं. इन्हें बचाने के लिए ही बूंदी जिले के लाखेरी के नजदीक एक एनिमल ओवरपास बनाया जा रहा है. इसका निर्माण करीब 90 फीसदी पूरा हो गया. जिसमें जमीन को खोदकर नीचे से सुरंगनुमा रास्ता बना दिया गया है. जिसके बाद ऊपर से इसे कवर कर दिया गया है और वहां पेड़ पौधे लगाने की योजना है, ताकि इसे वापस जंगल जैसा रूप दिया जा सके. यह एनिमल ओवरपास एशिया का सबसे बड़ा और 3.5 किलोमीटर लंबा है. इस एनिमल ओवरपास के नीचे से 8 लेन का रास्ता गुजर रहा है. वही ऊपर से वन्यजीव गुजर जाएंगे. ऐसे में वन्यजीव भी इस एक्सप्रेस-वे के निकलने से परेशान नहीं होंगे. इन्हें वाइल्डलाइफ ब्रिज भी कहा जाता है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सवाईमाधोपुर प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर मनोज शर्मा का कहना हैं कि यह एशिया का सबसे बड़ा एनिमल ओवरपास है. पीडी शर्मा का कहना हैं कि इस एनिमल ओवर पास के निर्माण के बाद वन्यजीव पूरी तरह से स्वच्छंद विचरण कर सकेंगे. उन्हें हाईवे निकलने से किसी तरह का कोई डिस्टरबेंस नहीं होगा.

इस तरह से किया है निर्माण : निर्माण में जुटे साइट इंजीनियर ने बताया हैं कि इन्हें आर्टिफिशियल टनल कहा जा सकता है. इसके लिए पहले 100 मीटर एरिया की पूरी खुदाई की गई है. कुछ एरिया में रेतनुमा मिट्टी की पहाड़ी का भी था. इसके अलावा चट्टानी पहाड़ी भी थी, जिसे भी काटा गया है. इसके बाद रास्ता बनाने के लिए खुदाई के दोनों छोर पर अबेटमेंट यानि दीवार बनाई गई है. यह सीमेंट कंक्रीट की बनी है. इसके बाद बीच में पियर यानी कि पिलर खड़े किए गए हैं. अबेटमेंट और पियर दोनों के ऊपर कैब डालकर गर्डर डाल दी गई है. इन गर्डर के ऊपर स्लैब बिछाई गई है. निर्माण के लिए 20-20 मीटर की स्लैब डाली गई है. इनके बीच के जॉइंट को एक्सपेंशन से जोड़ा गया है. साथ ही सील भी कर दिया गया है. इस आर्टिफिशियल टनल की पूरी तरह से वॉटरप्रूफिंग की गई है, ताकि बारिश का पानी और ऊपर डाली गई मिट्टी से रिस कर नीचे नहीं आ सके.

Animal underpass being made in Bundi
एक्सप्रेस वे राजस्थान के बूंदी जिले में प्रवेश कर रहा है

वन्यजीव को सुरंग के ऊपर मिलेगा नेचुरल हैबिटेट : पूरे निर्माण का कार्य लार्सन एंड टर्बो कंपनी कर रही है. इस कंपनी का कैंप ऑफिस भी लाखेरी में ही स्थित है. निर्माण साइट पर कंपनी के जनरल मैनेजर अजय राय के नेतृत्व में टीम काम कर रही है. इस आर्टिफिशियल टनल की छत या स्लैब पर 3.5 मीटर मिट्टी बिछाई जा रही है. जिस पर अब पौधे लगाने का काम होगा. इस पूरे 3.5 मीटर के एनिमल ओवर पास में करीब 20,000 से ज्यादा पौधे लगाए जाएंगे. यह सभी पौधे स्थानीय प्रजाति के होंगे. जिससे कि आसपास के एरिया जैसा जंगल का लुक इस एनिमल ओवरपास का ऊपर से आ जाए. दोनों तरफ भी तरह से जंगल से जोड़ दिया जाएगा. साथ ही जानवर भी इसे नेचुरल हैबिटेट समझकर यहां से गुजर जाए.

हवा, प्रकाश और स्पीड का रखा पूरा ध्यान : एनिमल ओवरपास बूंदी जिले के लाखेरी की भावपुरा से शुरू होकर बालापुरा पर खत्म हो रहा है. इसमें 500-500 मीटर के पांच एनिमल ओवर पास जुड़े हुए हैं. जिनके बीच में 50 से 250 मीटर तक की जगह छोड़ी गई. जहां से प्रकाश और हवा इस सुरंग में आ जाएंगी. एनिमल ओवरपास में बिजली से लेकर प्रकाश और अन्य सभी व्यवस्थाएं की गई है. इन आर्टिफिशियल सुरंग में भी वाहन नहीं रुक सकेंगे. इनकी भी सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग होगी. इन आर्टिफिशियल सुरंग से या वाइल्डलाइफ ब्रिज के नीचे से गुजर रहे वाहनों की स्पीड भी एक्सप्रेस-वे के वाहनों की स्पीड के बराबर होगी, यानी कि आर्टिफिशियल सुरंग की डिजाइन और निर्माण भी 120 की स्पीड को ध्यान में रखकर किया गया है.

पढ़ें : Special : दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को चुनौती देगी भारतीय रेल, 160 की स्पीड से दौड़ेंगी ट्रेनें

लाइटिंग का लक्स इफैक्ट : आर्टिफिशियल सुरंग में नीचे से 8 लेन का ही रास्ता निकाला गया है. जिसमें 4-4 लेन आने और जाने की है. बीच में डिवाइडर है. साथी दोनों तरफ पेव्ड शोल्डर दिया गया है. इसमें पूरी तरह से लाइटें इसमें लगा दी गई है, ताकि भीतर से अंधेरा होने पर वाहन चालकों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आए. साथ ही लाइटिंग में भी लक्स इफैक्ट दिया गया है. प्रवेश के साथ ही चकाचौंध जैसी स्थिति नहीं हो इसीलिए, लाइटों को घटते से बढ़ते और फिर घटते क्रम में लगाया गया है. हालांकि रात के समय पूरी तरह से रोशन इस रखा जाएगा. यह निर्माण करीब डेढ़ साल में पूरा कर दिया गया है. यह निर्माण करीब 500 करोड़ में लार्सन एंड टर्बो कंपनी कर रही है.

Animal underpass being made in Bundi
एशिया का सबसे बड़ा एनिमल ओवरपास

विश्व में कई जगह बने, सभी कई गुना छोटे : मुंबई नागपुर एक्सप्रेस वे पर भी इस तरह के एनिमल ओवरपास बने है. हालांकि, उनकी लंबाई 60 मीटर से कम है. वही चौड़ाई 100 मीटर से कम है. जबकि दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे पर यह पूरा 3.5 किलोमीटर लंबा है. इसमें 500-500 मीटर की लंबाई के एनिमल ओवर पास बनाए गए हैं. ऐसे में मुंबई नागपुर एक्सप्रेस वे पर बन रहे एनिमल ओवरपास काफी छोटे हैं. इसके पहले नीदरलैंड के हिलवर्सम में नैचुरब्रुग जेंडरिज क्राइलू नाम से एनिमल ओवरपास बना हुआ है. इसमें जानवरों के निकलने के लिए 50 मीटर का रास्ता दिया हुआ था. इसी तरह से कनाडा के अल्बर्टा में बनफ नेशनल पार्क, इंग्लैंड के चेशायर के नट्सफोर्ड-बोडन हाईवे और वाशिंगटन में स्नोक्वाल्मी पास के पास वन्यजीव पुल था. इसके अलावा सिंगापुर में भी साल 2013 में इकोलिंक से 8 लेन के हाईवे के ऊपर इस तरह से एनिमल ओवरपास निकाला गया था. इसे एशिया का पहला एनिमल ओवरपास कहा जाता है.

पढ़ें : Delhi Mumbai Expressway : वाहन चेकिंग न होने का गौ तस्कर उठा रहे फायदा, एक राज्य से दूसरे राज्य जाने में हुई आसानी

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सशर्त दी थी अनुमति : दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे रणथम्भौरऔर रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के नजदीक से गुजर रहा है. इन दोनों का इको सेंसेटिव जोन एक्सप्रेस-वे के निर्माण लाइन पर आ रहा था. ऐसे में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए ली गई थी. इसे अनुमति में वन्यजीव की सुरक्षा और उनकी स्वच्छंद वितरण में किसी तरह की कोई रुकावट नहीं हो, इसके निर्देश दिए गए थे. जिसके बाद ही एनएचएआई ने एनिमल ओवरपास डिजाइन किया. एनिमल ओवरपास को अप्रूव करते हुए ही वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने एनवायरमेंटल क्लीयरेंस (ईसी) जारी की है.

Last Updated : May 19, 2023, 5:53 PM IST
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