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CBI दस्तावेज लीक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के वकील को मिली जमानत - Delhis Rouse Avenue Court

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट (Delhis Rouse Avenue Court) ने CBI के दस्तावेज लीक करने के लिए रिश्वत देने के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के वकील आनंद डागा (Anil Deshmukhs lawyer Anand Daga) और उनके सोशल मीडिया मैनेजर वैभव गजेंद्र तुमाने को जमानत दे दी है. आरोप है कि दस्तावेज लीक करने की एवज अभिषेक तिवारी डागा से कई बार गिफ्ट ले चुका है.

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सीबीआई
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Published : Jan 31, 2022, 4:31 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट(Delhis Rouse Avenue Court) ने CBI के दस्तावेज लीक करने के लिए रिश्वत देने के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के वकील आनंद डागा (Anil Deshmukhs lawyer Anand Daga) और उनके सोशल मीडिया मैनेजर वैभव गजेंद्र तुमाने को जमानत दे दी है. स्पेशल जज संजीव अग्रवाल ने दोनों आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. इस मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 22 जनवरी को जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

10 जनवरी को कोर्ट ने आनंद डागा और वैभव गजेन्द्र तुमाने की जमानत याचिका पर CBI को नोटिस जारी किया था. 22 दिसंबर 2021 को कोर्ट ने CBI को निर्देश दिया था कि वो महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की भूमिका की जांच करे. CBI के मुताबिक अभिषेक तिवारी ने आनंद डागा से जांच की जानकारी देने के लिए iPhone 12 Pro और दूसरे महंगे गिफ्ट लिए थे. CBI ने कहा था कि जांच के सिलसिले में अभिषेक तिवारी पुणे गए थे. जहां उसे रिश्वत के रूप में महंगे गिफ्ट दिए गए. दस्तावेज लीक करने की एवज अभिषेक तिवारी डागा से कई बार गिफ्ट ले चुका है.

CBI की ओर से दर्ज FIR के मुताबिक देशमुख के खिलाफ जांच के लिए जांच अधिकारी और CBI के DSP आरएस गुंजियाल और अभिषेक तिवारी 6 अप्रैल को मुंबई गए. इस दौरान दोनों ने 14 अप्रैल को देशमुख समेत कई गवाहों के बयान दर्ज किए थे. अभिषेक तिवारी के पास संवेदनशील दस्तावेज थे. तिवारी ने डागा से कई संवेदनशील दस्तावेज व्हॉट्स एप के जरिए साझा किया था. उसके बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर अनिल देशमुख के खिलाफ FIR दर्ज की गई.

यह भी पढ़ें- Majithia drugs case : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 23 फरवरी तक गिरफ्तारी नहीं

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कहा था कि अभिषेक तिवारी ने साजिश के तहत दस्तावेजों को लीक किया और उसके बदले में रिश्वत ली. ये लगातार होता रहा है. बतादें कि 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनिल देशमुख के खिलाफ CBI जांच जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने अवैध उगाही समेत दूसरे आरोपों का सामना कर रहे देशमुख के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार कर दिया था.

नई दिल्ली : दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट(Delhis Rouse Avenue Court) ने CBI के दस्तावेज लीक करने के लिए रिश्वत देने के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के वकील आनंद डागा (Anil Deshmukhs lawyer Anand Daga) और उनके सोशल मीडिया मैनेजर वैभव गजेंद्र तुमाने को जमानत दे दी है. स्पेशल जज संजीव अग्रवाल ने दोनों आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. इस मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 22 जनवरी को जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

10 जनवरी को कोर्ट ने आनंद डागा और वैभव गजेन्द्र तुमाने की जमानत याचिका पर CBI को नोटिस जारी किया था. 22 दिसंबर 2021 को कोर्ट ने CBI को निर्देश दिया था कि वो महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की भूमिका की जांच करे. CBI के मुताबिक अभिषेक तिवारी ने आनंद डागा से जांच की जानकारी देने के लिए iPhone 12 Pro और दूसरे महंगे गिफ्ट लिए थे. CBI ने कहा था कि जांच के सिलसिले में अभिषेक तिवारी पुणे गए थे. जहां उसे रिश्वत के रूप में महंगे गिफ्ट दिए गए. दस्तावेज लीक करने की एवज अभिषेक तिवारी डागा से कई बार गिफ्ट ले चुका है.

CBI की ओर से दर्ज FIR के मुताबिक देशमुख के खिलाफ जांच के लिए जांच अधिकारी और CBI के DSP आरएस गुंजियाल और अभिषेक तिवारी 6 अप्रैल को मुंबई गए. इस दौरान दोनों ने 14 अप्रैल को देशमुख समेत कई गवाहों के बयान दर्ज किए थे. अभिषेक तिवारी के पास संवेदनशील दस्तावेज थे. तिवारी ने डागा से कई संवेदनशील दस्तावेज व्हॉट्स एप के जरिए साझा किया था. उसके बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर अनिल देशमुख के खिलाफ FIR दर्ज की गई.

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केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कहा था कि अभिषेक तिवारी ने साजिश के तहत दस्तावेजों को लीक किया और उसके बदले में रिश्वत ली. ये लगातार होता रहा है. बतादें कि 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनिल देशमुख के खिलाफ CBI जांच जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने अवैध उगाही समेत दूसरे आरोपों का सामना कर रहे देशमुख के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार कर दिया था.

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