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सीमा विवाद : आंध्र प्रदेश ने SC से कहा- ओडिशा के क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया - अवमानना कार्यवाही की याचिका

ओडिशा द्वारा दायर अवमानना कार्यवाही की याचिका पर आंध्र प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. आंध्र प्रदेश ने कहा है कि वह अपने क्षेत्र का प्रशासन कर रहा है तथा उसने पड़ोसी राज्य ओडिशा के क्षेत्र का कोई उल्लंघन नहीं किया है.

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Published : Feb 19, 2021, 7:38 PM IST

नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसके निर्देश का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और वह अपने क्षेत्र का प्रशासन कर रहा है तथा उसने पड़ोसी राज्य ओडिशा के क्षेत्र का कोई उल्लंघन नहीं किया है.

ओडिशा ने याचिका दायर कर तीन 'विवादित क्षेत्र' वाले गांवों में पंचायत चुनाव अधिसूचित करने को लेकर आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही का अनुरोध किया है.

आंध्र प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा है कि ओडिशा द्वारा दायर याचिका पूरी तरह से गलत है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए बिल्कुल भी विचार योग्य नहीं है कि उसके द्वारा कोई अवमानना ​​नहीं की गई है.

ओडिशा द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुए आंध्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि ओडिशा अप्रत्यक्ष रूप से वह हासिल करने की कोशिश कर रहा है, जो वह सीधे तौर पर हासिल करने में विफल रहा था क्योंकि शीर्ष अदालत ने 2006 के अपने फैसले में ओडिशा द्वारा दायर वाद इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वह संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत सुनवाई योग्य नहीं है.

राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, '...यह अच्छी तरह से स्थापित कानून है कि किसी शपथ पत्र के उल्लंघन के संबंध में किसी कृत्य के लिए अवमानना की कार्यवाही तभी की जा सकती है, जब अदालत ने ऐसे शपथपत्र के आधार पर कोई आदेश दिया हो. वर्तमान मामले में ऐसा कोई शपथपत्र नहीं है.'

ओडिशा के क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं
हलफनामे में कहा गया कि आंध्र प्रदेश राज्य ने किसी भी समझौते / निर्देश का उल्लंघन करते हुए कोई कदम नहीं उठाया है. आंध्र प्रदेश राज्य अपने क्षेत्रों का ही विधिवत तरीके से प्रशासन कर रहा है और उसने याचिकाकर्ता के क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं किया है.

आंध्र प्रदेश ने शीर्ष अदालत को बताया कि वह गंजायबदरा, पत्तुचेन्नुरू और पगुलुचेन्नुरु गांव में लगातार चुनाव आयोजित कर रहा है और वे नंबर 1 अराकू लोकसभा संसदीय क्षेत्र में और नंबर 13 सलुरू विधानसभा क्षेत्र में आते हैं.

यह भी पढ़ें- ओडिशा के गांवों में पंचायत चुनावों की अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश से मांगा जवाब

राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि वर्ष 1952 से उपरोक्त गांवों में लोकसभा और राज्य विधानसभा के लिए लगातार चुनाव होते रहे हैं और जहां तक ​​स्थानीय निकाय चुनावों की बात है, उसने पंचायती राज अधिनियम आने के बाद से इन तीन गांवों में स्थानीय निकाय चुनाव कराए हैं. इसलिए, कोई अवमानना ​​नहीं हुई है. याचिकाकर्ता किसी भी दस्तावेज का उल्लेख करने में भी विफल रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने नौ फरवरी को आंध्र प्रदेश से कहा था कि वह ओडिशा द्वारा दायर उस अर्जी पर अपना जवाब दाखिल करे जिसमें याचिकाकर्ता राज्य के तीन 'विवादित क्षेत्र' गांवों में पंचायत चुनाव अधिसूचित करने के लिए दक्षिणी राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​की कार्रवाई का अनुरोध किया गया है.

नवीन पटनायक सरकार ने कहा था कि अधिसूचना ओडिशा के क्षेत्र में अतिक्रमण के बराबर है.

नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसके निर्देश का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और वह अपने क्षेत्र का प्रशासन कर रहा है तथा उसने पड़ोसी राज्य ओडिशा के क्षेत्र का कोई उल्लंघन नहीं किया है.

ओडिशा ने याचिका दायर कर तीन 'विवादित क्षेत्र' वाले गांवों में पंचायत चुनाव अधिसूचित करने को लेकर आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही का अनुरोध किया है.

आंध्र प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा है कि ओडिशा द्वारा दायर याचिका पूरी तरह से गलत है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए बिल्कुल भी विचार योग्य नहीं है कि उसके द्वारा कोई अवमानना ​​नहीं की गई है.

ओडिशा द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुए आंध्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि ओडिशा अप्रत्यक्ष रूप से वह हासिल करने की कोशिश कर रहा है, जो वह सीधे तौर पर हासिल करने में विफल रहा था क्योंकि शीर्ष अदालत ने 2006 के अपने फैसले में ओडिशा द्वारा दायर वाद इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वह संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत सुनवाई योग्य नहीं है.

राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, '...यह अच्छी तरह से स्थापित कानून है कि किसी शपथ पत्र के उल्लंघन के संबंध में किसी कृत्य के लिए अवमानना की कार्यवाही तभी की जा सकती है, जब अदालत ने ऐसे शपथपत्र के आधार पर कोई आदेश दिया हो. वर्तमान मामले में ऐसा कोई शपथपत्र नहीं है.'

ओडिशा के क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं
हलफनामे में कहा गया कि आंध्र प्रदेश राज्य ने किसी भी समझौते / निर्देश का उल्लंघन करते हुए कोई कदम नहीं उठाया है. आंध्र प्रदेश राज्य अपने क्षेत्रों का ही विधिवत तरीके से प्रशासन कर रहा है और उसने याचिकाकर्ता के क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं किया है.

आंध्र प्रदेश ने शीर्ष अदालत को बताया कि वह गंजायबदरा, पत्तुचेन्नुरू और पगुलुचेन्नुरु गांव में लगातार चुनाव आयोजित कर रहा है और वे नंबर 1 अराकू लोकसभा संसदीय क्षेत्र में और नंबर 13 सलुरू विधानसभा क्षेत्र में आते हैं.

यह भी पढ़ें- ओडिशा के गांवों में पंचायत चुनावों की अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश से मांगा जवाब

राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि वर्ष 1952 से उपरोक्त गांवों में लोकसभा और राज्य विधानसभा के लिए लगातार चुनाव होते रहे हैं और जहां तक ​​स्थानीय निकाय चुनावों की बात है, उसने पंचायती राज अधिनियम आने के बाद से इन तीन गांवों में स्थानीय निकाय चुनाव कराए हैं. इसलिए, कोई अवमानना ​​नहीं हुई है. याचिकाकर्ता किसी भी दस्तावेज का उल्लेख करने में भी विफल रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने नौ फरवरी को आंध्र प्रदेश से कहा था कि वह ओडिशा द्वारा दायर उस अर्जी पर अपना जवाब दाखिल करे जिसमें याचिकाकर्ता राज्य के तीन 'विवादित क्षेत्र' गांवों में पंचायत चुनाव अधिसूचित करने के लिए दक्षिणी राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​की कार्रवाई का अनुरोध किया गया है.

नवीन पटनायक सरकार ने कहा था कि अधिसूचना ओडिशा के क्षेत्र में अतिक्रमण के बराबर है.

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