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आनंद पाटिल ने आंखों में परेशानी के बावजूद UPSC की परीक्षा में 325वीं रैंक की हासिल - secured 325th rank in UPSC exam

कोल्हापुर के आनंद पाटिल ने आंखों में कम रोशनी के बावजूद यूपीएससी की परीक्षा में 325वीं रैंक प्राप्त की है. आनंद पाटिल ने बताया इस परीक्षा के लिए परिवार और दोस्तों का पूरा साथ मिला.

आनंद पाटिल UPSC की परीक्षा में 325वीं रैंक की हासिल
आनंद पाटिल UPSC की परीक्षा में 325वीं रैंक की हासिल
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Published : Sep 25, 2021, 8:21 PM IST

Updated : Sep 26, 2021, 8:40 PM IST

कोल्हापुर : अगर मन में कुछ करने की इच्छा हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है. ऐसा ही कुछ कोल्हापुर के भूदरगढ़ तालुका के गरगोटी के आनंद अशोकराव पाटिल ने देश में आयोजित यूपीएससी की परीक्षा में 325वीं रैंक हासिल कर दिखाया है.आनंद पाटिल की दोनों आंखों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन (cataract surgery) हुआ है. इसलिए कई सालों से उन्हे बहुत कम दिखाई देता है. इस कारण उन्हें अन्य छात्रों से ज्यादा मेहनत करनी पड़ी.

ऑडियो क्लिप सुन कर किया अध्ययन

दृष्टि कम होने के कारण आनंद ने ऑडियो क्लिप (audio clips) सुनकर, नोट्स के बड़े फोंट में जेरोक्स लेकर यूपीएससी की तैयारी की है . इसके लिए उन्हें परिवार और दोस्तों का सपोर्ट मिला.

आनंद की तीन साल की उम्र में आंखों की सर्जरी हुई थी. वह कम दृष्टि के कारण बोर्ड पर अक्षरों को नहीं देख सकते हैं. उसके बावजूद भी उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की.

कम उम्र में दोनों आंखों पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन

आनंद के माता-पिता ने बताया कि जब वह तीन साल के थे, तब उन्हें दृष्टि की समस्या थी. फिर उन्होंने डॉक्टरों की राय ली और आनंद ने फिर कम उम्र में ही अपनी दोनों आंखों की मोतियाबिंद की सर्जरी करवाई. जिससे आनंद को बहुत कम दिखाई देने लगा.

इसके बाद आनंद ने दृष्टिबाधित बाधाओं को पार कर अपनी शिक्षा पूरी की. आनंद बोर्ड पर लिखा हुआ नहीं देख पाते थे, इसलिए वह बोर्ड के बगल में खड़ा होकर कक्षा में लिखते थे.

उन्होंने दोस्तों की मदद भी मांगी. जैसे-जैसे आधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ता गया, आनंद ने शिक्षा के लिए विभिन्न मोबाइल एप्लिकेशन (mobile applications for education) का भी सहारा लिया.

आनंद ने अपनी प्राथमिक शिक्षा न्यू मराठी हाई स्कूल (New Marathi High School) गर्गोटी से और माध्यमिक शिक्षा अंग्रेजी पब्लिक स्कूल (English Public School) अंबोली से पूरी की.

इसके बाद उन्होंने मौनी विश्वविद्यालय (ICRE at Mauni University) में आईसीआरई में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा (Diploma in Civil Engineering ) किया. बाद में उन्होंने इस्लामपुर के आरआईटी कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई की. 2017 में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद आनंद ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. वह दो बार असफल रहे.

अंत में तीसरे प्रयास में आनंद ने यूपीएससी पास कर ली. उन्होंने मोबाइल एप्लिकेशन और यूट्यूब की भी मदद ली.

पढ़ें - UPSC 2020 Result : जम्मू-कश्मीर के नौ उम्मीदवारों ने उत्तीर्ण की परीक्षा

अपनी सफलता पर आनंद का कहना है, 'इंजीनियर बनने के बाद क्या करना चाहिए, यह सोचते हुए मैं सोचने लगा कि क्या मैं यूपीएससी कर सकता हूं. आनंद ने कहा कि कई लोगों से मार्गदर्शन मिलने के बाद उन्होंने यूपीएससी करने का फैसला किया.

आनंद ने कहा कि इस सफलता के बाद बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं. मेरे माता-पिता ने मुझे पढ़ाने के लिए बहुत मेहनत की. मेरी बहनों ने शिक्षा में मेरी बहुत मदद की. मेरे दोस्तों ने भी मेरी पढ़ाई में बहुत मदद की.

बता दें कि आनंद के पिता सिंचाई विभाग में इंजीनियर हैं, उनकी मां गृहिणी हैं. उनकी दोनों बहनें इंजीनियर हैं.

कोल्हापुर : अगर मन में कुछ करने की इच्छा हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है. ऐसा ही कुछ कोल्हापुर के भूदरगढ़ तालुका के गरगोटी के आनंद अशोकराव पाटिल ने देश में आयोजित यूपीएससी की परीक्षा में 325वीं रैंक हासिल कर दिखाया है.आनंद पाटिल की दोनों आंखों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन (cataract surgery) हुआ है. इसलिए कई सालों से उन्हे बहुत कम दिखाई देता है. इस कारण उन्हें अन्य छात्रों से ज्यादा मेहनत करनी पड़ी.

ऑडियो क्लिप सुन कर किया अध्ययन

दृष्टि कम होने के कारण आनंद ने ऑडियो क्लिप (audio clips) सुनकर, नोट्स के बड़े फोंट में जेरोक्स लेकर यूपीएससी की तैयारी की है . इसके लिए उन्हें परिवार और दोस्तों का सपोर्ट मिला.

आनंद की तीन साल की उम्र में आंखों की सर्जरी हुई थी. वह कम दृष्टि के कारण बोर्ड पर अक्षरों को नहीं देख सकते हैं. उसके बावजूद भी उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की.

कम उम्र में दोनों आंखों पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन

आनंद के माता-पिता ने बताया कि जब वह तीन साल के थे, तब उन्हें दृष्टि की समस्या थी. फिर उन्होंने डॉक्टरों की राय ली और आनंद ने फिर कम उम्र में ही अपनी दोनों आंखों की मोतियाबिंद की सर्जरी करवाई. जिससे आनंद को बहुत कम दिखाई देने लगा.

इसके बाद आनंद ने दृष्टिबाधित बाधाओं को पार कर अपनी शिक्षा पूरी की. आनंद बोर्ड पर लिखा हुआ नहीं देख पाते थे, इसलिए वह बोर्ड के बगल में खड़ा होकर कक्षा में लिखते थे.

उन्होंने दोस्तों की मदद भी मांगी. जैसे-जैसे आधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ता गया, आनंद ने शिक्षा के लिए विभिन्न मोबाइल एप्लिकेशन (mobile applications for education) का भी सहारा लिया.

आनंद ने अपनी प्राथमिक शिक्षा न्यू मराठी हाई स्कूल (New Marathi High School) गर्गोटी से और माध्यमिक शिक्षा अंग्रेजी पब्लिक स्कूल (English Public School) अंबोली से पूरी की.

इसके बाद उन्होंने मौनी विश्वविद्यालय (ICRE at Mauni University) में आईसीआरई में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा (Diploma in Civil Engineering ) किया. बाद में उन्होंने इस्लामपुर के आरआईटी कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई की. 2017 में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद आनंद ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. वह दो बार असफल रहे.

अंत में तीसरे प्रयास में आनंद ने यूपीएससी पास कर ली. उन्होंने मोबाइल एप्लिकेशन और यूट्यूब की भी मदद ली.

पढ़ें - UPSC 2020 Result : जम्मू-कश्मीर के नौ उम्मीदवारों ने उत्तीर्ण की परीक्षा

अपनी सफलता पर आनंद का कहना है, 'इंजीनियर बनने के बाद क्या करना चाहिए, यह सोचते हुए मैं सोचने लगा कि क्या मैं यूपीएससी कर सकता हूं. आनंद ने कहा कि कई लोगों से मार्गदर्शन मिलने के बाद उन्होंने यूपीएससी करने का फैसला किया.

आनंद ने कहा कि इस सफलता के बाद बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं. मेरे माता-पिता ने मुझे पढ़ाने के लिए बहुत मेहनत की. मेरी बहनों ने शिक्षा में मेरी बहुत मदद की. मेरे दोस्तों ने भी मेरी पढ़ाई में बहुत मदद की.

बता दें कि आनंद के पिता सिंचाई विभाग में इंजीनियर हैं, उनकी मां गृहिणी हैं. उनकी दोनों बहनें इंजीनियर हैं.

Last Updated : Sep 26, 2021, 8:40 PM IST
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