गोपालगंजः वर्ष 1994 का वह दिन जब भीड़ ने एक आईएएस अधिकारी हत्या कर दी. ये हत्याकांड एक बार फिर पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. आईएएस जी कृष्णैया हत्याकांड के दोषी बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की जेल से रिहाई मामले को लेकर बिहार की सियासत में खलबली मची हुई है. वहीं, इस घटना के वक्त जिलाधिकारी के साथ रहे उनके ड्राइवर दीपक कहते हैं कि उस घटना को याद कर आज भी कांप उठता हूं.
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हाजीपुर से गोपालगंज जा रहे थे डीएमः दरअसल तेलंगाना निवासी आईएएस अधिकारी कृष्णैया वर्ष 1994 में बिहार के गोपालगंज जिले के जिलाधिकारी थे. वे 5 दिसंबर 1994 को हाजीपुर से मुजफ्फरपुर के रास्ते गोपालगंज आ रहे थे, तभी मुजफ्फरपुर के जीरो माइल के पास बेकाबू भीड़ के शिकार हो गए जिससे उनकी मौत हो गई. इस पूरी वारदात के चश्मदीद जिलाधिकारी जी कृष्णैया के ड्राइवर दीपक कुमार से ईटीवी भारत ने बातचीत की. घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भीड़ में घिरे बॉडी गार्ड को बचाने के लिए साहब ने गाड़ी रोकने का आदेश दिया और फिर मुझे गाड़ी रोकने पड़ी, उसके बाद भीड़ ने डीएम साहब को घेर लिया.
भीड़ ने डीएम की गाड़ी को घर लियाः ड्राइवर दीपक कुमार ने बताया कि वो लोग गोपालगंज से मुजफ्फरपुर होते हुए हाजीपुर मीटिंग के लिए गए थे. मीटिंग के बाद वो लोग मुजफ्फरपुर के रास्ते लौट रहे थे. उस समय जुलूस जा रहा था और वो साइड से निकल रहे थे. इस बीच जुलूस में चल रहे लोगों ने गाड़ी को घेर लिया और बॉडीगार्ड को बाहर खींच लिया. इसके बाद उन्होंने गाड़ी पर हाथ चलाना शुरू कर दिया. हमने इसके बाद भीड़ में से गाड़ी निकाल ली, लेकिन साहब ने बॉडीगार्ड के लिए मुझसे गाड़ी रोकने के लिए कहा पर मैंने इनकार कर दिया. इस बीच लोगों ने फिर गाड़ी को घेर लिया और गाड़ी रुकते ही मेरी गर्दन लोगों ने दबा दी. किसी तरह मैंने अपनी गर्दन छुड़ायी.
कुंए में घायल पड़े थे डीएम कृष्णैयाः दीपक कुमार ने आगे बताया कि कुछ लोगों ने साहब को गाड़ी से खींच लिया. इसके बाद हम भी वहां से भाग गए. जब हम वापस आए तो देखा कि वह घायल पड़े हुए थे. गाड़ी में सवार हम तीनों लोग तीन अलग-अलग जगह हो गए थे. भीड़ जब शांत हुई तो वहां से पुलिस की गाड़ी गुजर रही थी जिसके बाद पुलिस को बताया गया कि कुंए गोपालगंज के डीएम हैं. इसके बाद उन्हें अस्पताल लेकर गए जहां उनकी मौत हो गई.
"अगर मैं गाड़ी नहीं रोकता तो साहब की मौत नहीं होती वे जिंदा होते, मैं गाड़ी नहीं रोकना चाहता था. गाड़ी लेकर मैं भीड़ से निकल गया था, लेकिन साहब के बॉडीगार्ड को भीड़ ने गाड़ी से खींच कर घेर लिया था. बॉडीगार्ड को लोगों के बीच घिरा देख साहब ने गाड़ी रुकवा दी. इस बीच भीड़ दोबारा आई और डीएम साहब को भी गाड़ी से खींच लिया"- दीपक कुमार, तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया के ड्राइवर