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WAR IN KOLHAN: आखिरी किला बचाने की कोशिश में नक्सली, 10 महीने से जारी ऑपरेशन में 22 जवान हुए जख्मी, बेमौत मारे गये 12 ग्रामीण

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 29, 2023, 2:20 PM IST

झारखंड में नक्सलवाद अब खात्मे की ओर है. बूढ़ा पहाड़ फतह के बाद पुलिस महकमा का जोश हाई है. इस दृढ़ता के साथ झारखंड पुलिस का दावा जरूर है कि नक्सली प्रदेश में अब आखिरी सांसें गिन रहे हैं. लेकिन उनके आखिरी किला कोल्हान को जीतने के लिए सुरक्षा बलों को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है. 10 महीनों से चल रहे ऑपरेशन में नक्सलियों की कमर टूटी जरूर लेकिन पुलिस महकमे को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है. War between Police and Naxalites in Kolhan

Analytical report on ongoing war between police and Naxalites in Kolhan of Jharkhand
झारखंड के कोल्हान में पुलिस और नक्सलियों के बीच चल रही जंग पर विश्लेषणात्मक रिपोर्ट

रांचीः झारखंड के कोल्हान में पुलिस और नक्सलियों के बीच वार जैसी स्थिति बनी हुई है. जंग के हालात इसलिए हैं क्योंकि नक्सली किसी भी हाल में अपने सबसे मजबूत और आखिरी किले को खोना नहीं चाहते हैं. बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षा बलों का कब्जा होने के बाद उन्हें वहां से भागना पड़ा और ठौर की तलाश में जंगलों की खाक छाननी पड़ी. ऐसे में उनके पुराने ठिकाने और अपने गढ़ को सही सलामत रखने के लिए जान की बाजी तक लगा दी है. दूसरी तरफ झारखंड पुलिस कोल्हान में बूढ़ा पहाड़ जैसी सफलता दोहराने के लिए नक्सलियों से लगातार लोहा ले रही है. पिछले 10 महीने से आलम ऐसा है कि सुरक्षा बलों और नक्सलियों में घमासान मचा हुआ है.

इसे भी पढ़ें- IED Blast in Chaibasa: चाईबासा में नक्सलियों ने किया तीन आईईडी ब्लास्ट, कोबरा जवान शहीद, इंस्पेक्टर समेत तीन जख्मी

कोल्हान में वारः कोल्हान के बीहड़ों से नक्सलियों को खदेड़ने के लिए लगातार 10 महीने से सुरक्षा बल मोर्चे पर डटी हुई है. सर्च ऑपरेशन, ऑपरेशन क्लीन के तहत नक्सलियों के दर्जनों कैंपों नष्ट किये गये, उनके हथियार और गोला बारूद भी पुलिस ने जब्त कर लिए. इन सबके बावजूद पिछले 10 महीने से कोल्हान में नक्सलियों का एक बड़ा दस्ता अभी भी पुलिस से गुरिल्ला युद्ध लड़ रहा है, कभी आईईडी ब्लास्ट, कभी स्पाइक होल तो कभी केन और कुकर बम से लगातार प्रहार किया जा रहा है. इस दौरान कई बार दोनों का आमना-सामना भी हुआ है. इस मुठभेड़ में कई नक्सली मारे गये, कई जख्मी हुए लेकिन इस लड़ाई में झारखंड पुलिस के जवानों के साथ साथ ग्रामीणों को भी अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी है.

हार्डकोर नक्सलियों का पनाहगाह बना है कोल्हानः कोल्हान में नक्सलियों के शीर्ष नेताओं ने पनाह ले रखी है. बूढ़ा पहाड़ के बाद कोल्हान ही एक मात्र जगह है जिसे नक्सलियों ने अपने मुख्यालय के रूप में स्थापित किया था. मुख्यालय होने के नाते यहां एक करोड़ के इनामी नक्सली नेताओं का भी बसेरा है. सारंडा के जंगलों में एक करोड़ इनामी मिसिर बेसरा, अनमोल दा, टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष, मोचु, चमन, कंडे, अजय महतो, सागेन अंगारिया और अश्विन जैसे खतरनाक नक्सली कमांडर मौजूद हैं. इनके पास 60 से ज्यादा लड़ाके हैं जो गुरिल्ला वार में माहिर हैं.

बीहड़ में कदम-कदम पर मौतः कोल्हान, जहां बीहड़, ऊंचे पहाड़ और घने जंगल हैं. यहां के रेंगरा, टोंटो और टुम्बाहाता तीन ऐसे जंगल क्षेत्र हैं जहां परिस्थितियां काफी विषम हैं. घना जगल और ऊंची पहाड़ी पर नक्सली छोटे छोटे दस्तों में बंटकर हमेशा घात लगाए रहते हैं. सुरक्षा बलों को अपने जाल में फांसने के लिए नक्सली जोरदार फायरिंग करते हैं, जिससे वो उनकी ओर आए और फिर उन्हें निशाना बनाया जा सके. दूसरी तरफ इन बीहड़ों में कदम कदम पर जमीन के नीचे नक्सलियों ने मौत का सामान बिछाकर रखा है. स्थिति यह है कि बाइक से भी जंगल में सर्च अभियान पर निकले जवान आईईडी के शिकार हो रहे हैं. पिछले 10 महीने से चल रहे ऑपरेशन की बात करें तो घात लगाकर किये गये हमले में सुरक्षा बलों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. अगस्त 2023 के दूसरे सप्ताह में तीन जवान नक्सलियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. 28 सितंबर को भी चाईबासा में बारूदी सुरंग में विस्फोट से सीआरपीएफ 209 कोबरा बटालियन के एक जवान राजेश कुमार शहीद हो गये.

Analytical report on ongoing war between police and Naxalites in Kolhan of Jharkhand
नवंबर 2022 से अब तक 22 जवान जख्मी

10 महीने में 22 जवान पहुंचे अस्पतालः नवंबर 2022 से कोल्हान में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच घमासान मचा हुआ है. इस जंग में सबसे ज्यादा नुकसान सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन को हुआ है. 14 अगस्त की रात नक्सलियों के द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में कोबरा के सब-इंस्पेक्टर अमित तिवारी और सिपाही गौतम शहीद हो गए जबकि 11 अगस्त को सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल निशांत शहीद हो गए थे. 10 महीने के ऑपरेशन में अब तक 22 जवान आईईडी बम विस्फोट और फायरिंग की वजह से घायल हुए हैं.

Analytical report on ongoing war between police and Naxalites in Kolhan of Jharkhand
नवंबर 2022 से अब तक 22 जवान जख्मी

बेमौत मारे जा रहे बेबस ग्रामीणः कोल्हान में खुद को और अपने गढ़ को बचाने के लिए नक्सलियों ने ऐसा चक्रव्यूह बनाया है, जिसे भेद पाने में झारखंड पुलिस अब तक कामयाब नहीं हो पायी है. इस बीहड़ में बिछे मौत के जाल में आसपास के ग्रामीण फंस रहे हैं और बेमौत मारे जा रहे हैं. कोल्हान में लगातार आईईडी की चपेट में आने से ग्रामीणों की भी जान जा रही है, उनके पशु भी धमाके में मारे जा रहे हैं. इन 10 महीनों में ग्रामीणों की मौत का आंकड़ा थमने के बजाय और बढ़ा है. ऐसे में ग्रामीणों और सुरक्षा बलों दोनों का ही आईईडी से सामना हो रहा है. आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं, पिछले साल नवंबर महीने से लेकर अब तक 22 जवान नक्सलियों के लगाए आईईडी बम की वजह से घायल हुए हैं. वहीं इन धमाकों की वजह से अब तक 12 ग्रामीण अपनी जान गवां चुके हैं जबकि कई दिव्यांग हो चुके हैं.

इसे भी पढे़ं- Bomb Blast In Chaibasa: नक्सलियों के आईईडी बम की चपेट में आने से किशोर की मौत, गोइलकेरा प्रखंड के जंगल में हुई घटना

रांचीः झारखंड के कोल्हान में पुलिस और नक्सलियों के बीच वार जैसी स्थिति बनी हुई है. जंग के हालात इसलिए हैं क्योंकि नक्सली किसी भी हाल में अपने सबसे मजबूत और आखिरी किले को खोना नहीं चाहते हैं. बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षा बलों का कब्जा होने के बाद उन्हें वहां से भागना पड़ा और ठौर की तलाश में जंगलों की खाक छाननी पड़ी. ऐसे में उनके पुराने ठिकाने और अपने गढ़ को सही सलामत रखने के लिए जान की बाजी तक लगा दी है. दूसरी तरफ झारखंड पुलिस कोल्हान में बूढ़ा पहाड़ जैसी सफलता दोहराने के लिए नक्सलियों से लगातार लोहा ले रही है. पिछले 10 महीने से आलम ऐसा है कि सुरक्षा बलों और नक्सलियों में घमासान मचा हुआ है.

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कोल्हान में वारः कोल्हान के बीहड़ों से नक्सलियों को खदेड़ने के लिए लगातार 10 महीने से सुरक्षा बल मोर्चे पर डटी हुई है. सर्च ऑपरेशन, ऑपरेशन क्लीन के तहत नक्सलियों के दर्जनों कैंपों नष्ट किये गये, उनके हथियार और गोला बारूद भी पुलिस ने जब्त कर लिए. इन सबके बावजूद पिछले 10 महीने से कोल्हान में नक्सलियों का एक बड़ा दस्ता अभी भी पुलिस से गुरिल्ला युद्ध लड़ रहा है, कभी आईईडी ब्लास्ट, कभी स्पाइक होल तो कभी केन और कुकर बम से लगातार प्रहार किया जा रहा है. इस दौरान कई बार दोनों का आमना-सामना भी हुआ है. इस मुठभेड़ में कई नक्सली मारे गये, कई जख्मी हुए लेकिन इस लड़ाई में झारखंड पुलिस के जवानों के साथ साथ ग्रामीणों को भी अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी है.

हार्डकोर नक्सलियों का पनाहगाह बना है कोल्हानः कोल्हान में नक्सलियों के शीर्ष नेताओं ने पनाह ले रखी है. बूढ़ा पहाड़ के बाद कोल्हान ही एक मात्र जगह है जिसे नक्सलियों ने अपने मुख्यालय के रूप में स्थापित किया था. मुख्यालय होने के नाते यहां एक करोड़ के इनामी नक्सली नेताओं का भी बसेरा है. सारंडा के जंगलों में एक करोड़ इनामी मिसिर बेसरा, अनमोल दा, टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष, मोचु, चमन, कंडे, अजय महतो, सागेन अंगारिया और अश्विन जैसे खतरनाक नक्सली कमांडर मौजूद हैं. इनके पास 60 से ज्यादा लड़ाके हैं जो गुरिल्ला वार में माहिर हैं.

बीहड़ में कदम-कदम पर मौतः कोल्हान, जहां बीहड़, ऊंचे पहाड़ और घने जंगल हैं. यहां के रेंगरा, टोंटो और टुम्बाहाता तीन ऐसे जंगल क्षेत्र हैं जहां परिस्थितियां काफी विषम हैं. घना जगल और ऊंची पहाड़ी पर नक्सली छोटे छोटे दस्तों में बंटकर हमेशा घात लगाए रहते हैं. सुरक्षा बलों को अपने जाल में फांसने के लिए नक्सली जोरदार फायरिंग करते हैं, जिससे वो उनकी ओर आए और फिर उन्हें निशाना बनाया जा सके. दूसरी तरफ इन बीहड़ों में कदम कदम पर जमीन के नीचे नक्सलियों ने मौत का सामान बिछाकर रखा है. स्थिति यह है कि बाइक से भी जंगल में सर्च अभियान पर निकले जवान आईईडी के शिकार हो रहे हैं. पिछले 10 महीने से चल रहे ऑपरेशन की बात करें तो घात लगाकर किये गये हमले में सुरक्षा बलों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. अगस्त 2023 के दूसरे सप्ताह में तीन जवान नक्सलियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. 28 सितंबर को भी चाईबासा में बारूदी सुरंग में विस्फोट से सीआरपीएफ 209 कोबरा बटालियन के एक जवान राजेश कुमार शहीद हो गये.

Analytical report on ongoing war between police and Naxalites in Kolhan of Jharkhand
नवंबर 2022 से अब तक 22 जवान जख्मी

10 महीने में 22 जवान पहुंचे अस्पतालः नवंबर 2022 से कोल्हान में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच घमासान मचा हुआ है. इस जंग में सबसे ज्यादा नुकसान सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन को हुआ है. 14 अगस्त की रात नक्सलियों के द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में कोबरा के सब-इंस्पेक्टर अमित तिवारी और सिपाही गौतम शहीद हो गए जबकि 11 अगस्त को सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल निशांत शहीद हो गए थे. 10 महीने के ऑपरेशन में अब तक 22 जवान आईईडी बम विस्फोट और फायरिंग की वजह से घायल हुए हैं.

Analytical report on ongoing war between police and Naxalites in Kolhan of Jharkhand
नवंबर 2022 से अब तक 22 जवान जख्मी

बेमौत मारे जा रहे बेबस ग्रामीणः कोल्हान में खुद को और अपने गढ़ को बचाने के लिए नक्सलियों ने ऐसा चक्रव्यूह बनाया है, जिसे भेद पाने में झारखंड पुलिस अब तक कामयाब नहीं हो पायी है. इस बीहड़ में बिछे मौत के जाल में आसपास के ग्रामीण फंस रहे हैं और बेमौत मारे जा रहे हैं. कोल्हान में लगातार आईईडी की चपेट में आने से ग्रामीणों की भी जान जा रही है, उनके पशु भी धमाके में मारे जा रहे हैं. इन 10 महीनों में ग्रामीणों की मौत का आंकड़ा थमने के बजाय और बढ़ा है. ऐसे में ग्रामीणों और सुरक्षा बलों दोनों का ही आईईडी से सामना हो रहा है. आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं, पिछले साल नवंबर महीने से लेकर अब तक 22 जवान नक्सलियों के लगाए आईईडी बम की वजह से घायल हुए हैं. वहीं इन धमाकों की वजह से अब तक 12 ग्रामीण अपनी जान गवां चुके हैं जबकि कई दिव्यांग हो चुके हैं.

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