पटना : दिल्ली में इंडी गठबंधन की बैठक में मिले सीट शेयरिंग के संकेत के बाद बिहार में भी सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन में माथा पच्ची शुरू हो गई है. बिहार में विधानसभा के अंदर जेडीयू आरजेडी से आधी है, लेकिन लोकसभा में आरजेडी साफ है. दावेदारी के आधार पर देखें तो जेडीयू लोकसभा में मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है. लेकिन सीट शेयरिंग की जब बात चलेगी तो आरजेडी और कांग्रेस का दबाव जेडीयू के सीटींग कैंडिटेट्स पर भी पड़ेगा.
''सीट शेयरिंग को लेकर बहुत बढ़िया बात हुई, मास कॉन्टेक्ट प्रोग्राम ये 20 दिन के अंदर सब शुरू हो जाएगा. कन्विनर बनाने को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई. तीन हफ्ते में सब डिसीजन हो जाएगा.''- मनोज झा, सांसद, राज्यसभा, आरजेडी
आरजेडी जता सकती है ज्यादा सीटों पर दावेदारी : बिहार में लोकसभा की 40 सीटों को लेकर महागठबंधन में अभी तक बंटवारा नहीं हुआ है. कई सीटों पर पेच फंसा हुआ है, जहां जदयू की अभी 16 सीटिंग सीट है, तो कांग्रेस की एक सीटिंग सीट. राजद के पास फिलहाल एक भी संसद नहीं है. 2019 लोकसभा चुनाव में राजद जीरो पर आउट हो गए थे. अब 2024 लोकसभा चुनाव में आरजेडी 79 विधायकों की सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण अपनी दावेदारी अधिक बता रही है.
सीट शेयरिंग में महागठबंधन के घटक दल होंगे परेशान : राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि "लालू प्रसाद यादव भागलपुर, कोसी, सारण, पूर्णिया प्रमंडल में अपनी अधिक दावेदारी मांगेंगे. फिलहाल आरजेडी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है. उसके पास 79 विधायक हैं, तो जदयू के पास 44 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के पास 19 विधायक, जबकि वाम दलों के पास 16 विधायक हैं. सभी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र वाले लोकसभा सीट पर दावेदारी करेंगे. महागठबंधन के घटक दलों के बीच यही मुश्किल बढ़ाने वाली है".
प्रमंडलवार कई लोकसभा सीटों पर फंस सकता है पेच : अब बिहार में लोकसभा चुनाव में कई प्रमंडल में जदयू और राजद के बीच पेच फंस सकता है. बिहार में महागठबंधन के सीट शेयरिंग को प्रमंडल वाइज समझे तो साफ लगता है कि फिलहाल सीट शेयरिंग बहुत आसान नहीं है. इसमें राजद की तरफ से दबाव बनाया जा रहा है. भले ही राजद के पास अभी एक भी सीट नहीं है, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में डेढ़ दर्जन सीटों पर राजद दूसरे स्थान पर आई थी और उसमें से कई सीटों पर राजद का पहले से दबदबा रहा है.
तिरहुत प्रमंडल में 8 लोकसभा सीट : तिरहुत प्रमंडल के में 6 जिले आते हैं. इन 6 जिलों में लोकसभा की 8 सीटे हैं. इनमें वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, वैशाली और हाजीपुर सीट शामिल हैं. तिरहुत प्रमंडल की 8 लोकसभा सीटों में से चार पर भाजपा का कब्जा है, जबकि दो-दो पर लोजपा और जदयू का कब्जा है. हालांकि, जदयू के सांसदों की आस्था भाजपा की ओर डोल रही है. टिकट बंटवारे में इस क्षेत्र में महागठबंधन के बीच पेच फंसने की पूरी आशंका है.
दरभंगा प्रमंडल के 5 लोकसभा लोकसभा सीट : दरभंगा प्रमंडल में कुल तीन जिले आते हैं और इन तीनों जिलों में पांच लोकसभा सीट हैं. प्रमंडल के पांच लोकसभा सीटों में मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, झंझारपुर और उजियारपुर शामिल है. दरभंगा प्रमंडल को ब्राह्मण प्रभाव वाला माना जाता है. इसके साथ ही यहां यादव और मुसलमानों की बड़ी आबादी है.
झंझारपुर सीट को लेकर फंस सकता है पेच : दरभंगा प्रमंडल की पांच लोकसभा सीटों में से दो पर यादव सांसद हैं. मधुबनी से अशोक यादव तथा उजियारपुर से नित्यानंद राय भाजपा के सांसद हैं. दरभंगा से गोपालजी ठाकुर भाजपा के ही सांसद हैं. झंझारपुर से अतिपिछड़ी जाति के रामप्रीत मंडल जदयू के सांसद हैं, जबकि समस्तीपुर से प्रिंस राज लोजपा के सांसद हैं. झंझारपुर लोकसभा सीट को लेकर यहां भी पेच फंस सकता है.
भागलपुर और कोसी प्रमंडल में हैं चार लोकसभा सीट : भागलपुर और कोसी प्रमंडल में कुल पांच जिले हैं. कोसी में तीन जिले मधेपुरा, सहरसा एवं सुपौल हैं. इसमें मधेपुरा और सुपौल लोकसभा सीट का गठन किया गया है. वहीं भागलपुर प्रमंडल में भागलपुर तथा बांका जिला है. इसमें दोनों जिलों में दो लोकसभा क्षेत्र आते हैं. कोसी और भागलपुर प्रमंडल में सवर्ण का प्रभाव कम रहा है. इन प्रमंडलों में अतिपिछड़ों के साथ यादव जाति का प्रभाव रहा है.
मधेपुरा सीट को लेकर हो सकता है विवाद : इन दोनों प्रमंडलों में फिलहाल 4 लोकसभा सीट हैं. इनमें दो सीटों पर यादव और दो सीटों पर अतिपिछड़ी जाति के सांसद है. ये चारों सीट फिलहाल जदयू के कब्जे में है. मधेपुरा से दिनेश चंद्र यादव और बांका से गिरधारी यादव सांसद हैं, जबकि अतिपिछड़ी जाति के दिलेश्वर कामत सुपौल से और भागलपुर से अजय कुमार मंडल सांसद हैं. महागठबंधन की सीट शेयरिंग में दो सीट राजद के कोटे में जा सकती है. यहां भी मधेपुरा सीट को लेकर महागठबंधन में विवाद हो सकता है.
पटना प्रमंडल में 7 लोकसभा सीट : पटना प्रमंडल के 6 जिलों में 7 लोकसभा सीट आती हैं. इसमें पटना साहिब, नालंदा, रोहतास, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम और काराकाट लोकसभा क्षेत्र है. अभी 7 सांसदों में से सातों अलग-अलग जातियों से हैं. 5 सीट बीजेपी के पास है और दो सीट के पास राजद की तरफ से करकट सीट को लेकर डिमांड हो सकती है.
पटना प्रमंडल में कायस्थ और राजपूत का प्रभाव : पटना प्रमंडल में यादव, कायस्थ और राजपूत का प्रभाव माना जाता है, लेकिन नालंदा जिला कुर्मी का प्रभाव वाला माना जाता है. पटना साहिब के सांसद रविशंकर प्रसाद कायस्थ, नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार कुर्मी, पाटलिपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव, आरा के सांसद आरके सिंह राजपूत, बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे ब्राह्मण, सासाराम के सांसद छेदी पासवान और काराकाट के सांसद महाबली सिंह कुशवाहा हैं.
मगध प्रमंडल में 4 लोकसभा सीट : मगध प्रमंडल में गया, औरंगाबाद, जहानाबाद और नवादा लोकसभा सीट शामिल हैं. जहानाबाद सीट पर राजद की नजर है. 2019 के चुनाव में बहुत ही कम अंतर से है इस सीट पर जदयू की उम्मीदवार की जीत हुई थी. वहीं मुंगेर प्रमंडल के शेखपुरा जिले की बरबीघा विधान सभा सीट को मगध प्रमंडल की नवादा लोकसभा सीट के साथ जोड़ा गया है.
मुंगेर प्रमंडल में है चार लोकसभा सीट : मुंगेर प्रमंडल में 6 जिले आते हैं. इसके प्रशासनिक क्षेत्र में 4 लोकसभा सीट हैं. इसमें मुंगेर, बेगूसराय, जमुई और खगड़िया शामिल है. मुंगेर प्रमंडल के बारे में धारणा रही है कि यह भूमिहार प्रभाव वाला क्षेत्र है. हालांकि, इस इलाके में अतिपिछड़ी जातियों की भूमिका भी राजनीतिक रूप से प्रभावी रही है.
मुंगेर प्रमंडल में अभी चार लोकसभा सीट में से दो पर भूमिहार, एक मुसलमान और एक पर पासवान जाति का कब्जा है.
पूर्णिया प्रमंडल में 4 लोकसभा सीट : पूर्णिया प्रमंडल में किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया लोकसभा सीट आते हैं. पूर्णिया प्रमंडल के पूर्णिया लोकसभा सीट पर भी राजद की नजर है. यह सीमांचल भी कहा जाता है. सीमांचल के किशनगंज और अररिया लोकसभा सीट मुसलमान बहुल माना जाता है.
सारण प्रमंडल में चार लोकसभा सीट : सारण प्रमंडल में चार लोकसभा सीट हैं. इनमें छपरा, गोपालगंज, महाराजगंज और सीवान शामिल है.
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