नई दिल्ली : अफगानिस्तान की एक महिला उस समय देश छोड़ कर भाग आई, जब उसे पता चला कि उसका पति तालिबानी लड़ाका (Taliban fighter) है और उसने अपनी चार बेटियों में से दो को बेच दिया है. आदिला (बदला हुआ नाम) 2017 में भारत आईं और यहां अपनी दो बेटियों के साथ रहती हैं. वह खुद को भारत में सुरक्षित महसूस करती हैं, लेकिन अगर वह अपने देश लौटती है तो उन्हें मारे जाने का डर है, क्योंकि तालिबान ने उनके खिलाफ मौत का वारंट जारी किया है.
आदिला का कहना है, 'उन्होंने (तालिबान) ने मेरे डेथ वारंट में बताया है कि मैं दो बेटियों के साथ देश से भाग गई हूं. उन्होंने यह नहीं बताया कि मैं अपने देश से क्यों भागी. उन्होंने मेरे परिवार को कागजात भेजे हैं, जिसके बाद मेरे पिता ने मुझसे कहा कि अफगानिस्तान में कभी वापस नहीं आना, क्योंकि मैं तालिबानों द्वारा मारी जाऊंगी.'
मेरे परिवार के सदस्य उसके (पति) बारे में अच्छी तरह से नहीं जानते थे और मेरी शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी, जब मैंने उनसे पूछा कि उन्हें मेरी बेटियां उनको क्यों चाहिए, तो मेरे पति ने मेरे सिर पर वार किया, मेरी उंगलियों और गर्दन पर छुरा घोंपा.
उन्होंने बताया, 'कुछ साल पहले, मैं अपनी मां के इलाज के लिए भारत आई थी. मुझे बॉलीवुड फिल्में (bollywood movies) देखना बहुत पसंद थी और उनसे मैंने हिंदी सीखी.
उन्होंने कहा,' अपने परिवार के सदस्यों की मदद से, मैं किसी तरह अफगानिस्तान से भाग आई और भारत आने का फैसला किया. मैं भारत में सुरक्षित महसूस करती हूं, लेकिन हमें डर है कि जब हमसे हमारे शरणार्थी कार्ड के बारे में पूछा जाएगा तो हम कहां जाएंगे?'
भारत में अपने अस्तित्व और नई दिल्ली में जिम ट्रेनर के रूप में काम करने के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि मैं एक मां हूं. अपने बच्चों के जीवित रखने के लिए मैं जो कुछ भी कर सकती हूं वह करूंगी. मेरा यहां कोई नहीं है, मेरे पास सिर्फ अल्लाह है. मुझे जिम ट्रेनर (gym trainer) के रूप में 10,000 रुपये मिलते हैं, जो कि अस्तित्व के लिए बहुत कम है.
शरणार्थी कार्ड प्राप्त करने की मांग को लेकर दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees) के बाहर चल रहे विरोध प्रदर्शन से लौटीं आदिला ने कहा कि हमें कोई अपना घर किराए पर नहीं देता है, क्योंकि मेरे पास शरणार्थी कार्ड (refugee card) नहीं है.
मेरी बेटियों को स्कूलों में प्रवेश नहीं मिलता, क्योंकि प्रवेश के लिए हमारे पास शरणार्थी कार्ड होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत ने यहां अफगानों के लिए बहुत कुछ किया है, हम चाहते हैं कि भारत सरकार UNHCR से हमें शरणार्थी कार्ड उपलब्ध कराने में हमारी मदद करे.
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उन्होंने कहा कि कई देश हैं, जिन्होंने शरणार्थियों के लिए दरवाजे खोले हैं. मैं बूढ़ी हो रही हूं, मैं कब तक इसी तरह काम करती रहूंगी, मुझे बच्चों की देखभाल भी करनी है.
अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर बात करते हुए आदिला ने कहा कि मैं अफगानिस्तान के हेरात प्रांत (Herat province) से हूं. अब किसी भी लड़की को स्कूल जाने की अनुमति नहीं है, वे अपने घरों से बाहर नहीं जा सकती हैं.
तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकार (rights of women in Afghanistan) छीन लिए हैं, अफगानिस्तान में महिलाओं का अब कोई सम्मान नहीं है.
उन्होंने कहा, 'हम तालिबानों द्वारा महिलाओं या यहां तक कि पुरुषों की सुरक्षा पर दिए जा रहे बयानों पर विश्वास नहीं कर सकते, क्योंकि अफगानिस्तान अब तालिबान के हाथों में है, वे देश को पूरी तरह से बर्बाद कर देंगे.'