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एमनेस्टी इंडिया ने ईडी के आरोपों को खारिज किया, कहा- सरकार आलोचकों पर शिकंजा कस रही

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Published : Jul 9, 2022, 11:04 PM IST

धनशोधन के आरोपों को पूरी तरह असत्य बताते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा है कि दमनकारी कानूनों के तहत अपने आलोचकों पर शिकंजा कसना मौजूदा केंद्र सरकार में आम बात हो गई है.

Amnesty India ED
एमनेस्टी इंडिया ईडी

नई दिल्ली: एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने धनशोधन के आरोपों को पूरी तरह असत्य बताते हुए शनिवार को कहा कि 'दमनकारी कानूनों के तहत अपने आलोचकों पर शिकंजा कसना मौजूदा केंद्र सरकार में आम बात हो गई है.' प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया है कि लंदन स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल ने विदेशी चंदा विनियमन कानून (एफसीआरए) के तहत जांच से बचने के लिए नवंबर 2013 से जून 2018 के दौरान 'व्यावसायिक गतिविधियों की आड़ में' अपने भारतीय संगठनों (एआईआईपीएल) को भारी मात्रा में विदेशी चंदा भेजा.

ईडी ने शुक्रवार को कहा कि उसने भारतीय विदेशी मुद्रा कानून का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए एमनेस्टी इंडिया और उसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ 61 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल ने आरोपों को झूठा बताया. एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने एक ट्वीट में कहा, 'हम दोहराते हैं कि वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय जांच एजेंसी ईडी के आरोप है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया धन शोधन में शामिल था, जो पूरी तरह से असत्य है.'

यह भी पढ़ें-सीबीआई कोर्ट ने आकार पटेल के विदेश जाने पर लगाई रोक

एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा है, 'ईडी की दुर्भावनापूर्ण मंशा इस तथ्य से स्पष्ट है कि कानूनी नोटिस एमनेस्टी और आकार पटेल तक पहुंचने से पहले ही उसने कई प्रेस विज्ञप्तियां जारी की हैं. यह न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों के विपरीत है.' मानवाधिकार समूह ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'सितंबर 2020 से एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खाते पर रोक रहने से पूर्व कर्मचारियों और कई अदालती मामलों में वकीलों को उनकी सेवाओं के लिए बकाया का भुगतान करने का भी कोई साधन नहीं हैं.' समूह ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के सदस्य के रूप में भारत को मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और संरक्षण में उच्चतम मानकों को बनाए रखने की जरूरत है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने धनशोधन के आरोपों को पूरी तरह असत्य बताते हुए शनिवार को कहा कि 'दमनकारी कानूनों के तहत अपने आलोचकों पर शिकंजा कसना मौजूदा केंद्र सरकार में आम बात हो गई है.' प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया है कि लंदन स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल ने विदेशी चंदा विनियमन कानून (एफसीआरए) के तहत जांच से बचने के लिए नवंबर 2013 से जून 2018 के दौरान 'व्यावसायिक गतिविधियों की आड़ में' अपने भारतीय संगठनों (एआईआईपीएल) को भारी मात्रा में विदेशी चंदा भेजा.

ईडी ने शुक्रवार को कहा कि उसने भारतीय विदेशी मुद्रा कानून का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए एमनेस्टी इंडिया और उसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ 61 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल ने आरोपों को झूठा बताया. एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने एक ट्वीट में कहा, 'हम दोहराते हैं कि वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय जांच एजेंसी ईडी के आरोप है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया धन शोधन में शामिल था, जो पूरी तरह से असत्य है.'

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एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा है, 'ईडी की दुर्भावनापूर्ण मंशा इस तथ्य से स्पष्ट है कि कानूनी नोटिस एमनेस्टी और आकार पटेल तक पहुंचने से पहले ही उसने कई प्रेस विज्ञप्तियां जारी की हैं. यह न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों के विपरीत है.' मानवाधिकार समूह ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'सितंबर 2020 से एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खाते पर रोक रहने से पूर्व कर्मचारियों और कई अदालती मामलों में वकीलों को उनकी सेवाओं के लिए बकाया का भुगतान करने का भी कोई साधन नहीं हैं.' समूह ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के सदस्य के रूप में भारत को मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और संरक्षण में उच्चतम मानकों को बनाए रखने की जरूरत है.

(पीटीआई-भाषा)

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