नई दिल्ली : राजस्थान में कैबिनेट फेरबदल से पहले पायलट अपने वफादार विधायकों के लिए 5-6 मंत्री पदों की मांग कर रहे थे. पार्टी ने उन्हें कैबिनेट में 3 पदों की पेशकश की. उन्हें यह भी आश्वासन दिया जा रहा है कि उनके विधायकों को निगम व बोर्ड में भी उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा.
पार्टी का तर्क है कि बसपा के 6 विधायक और एक दर्जन निर्दलीय विधायक हैं जिन्हें मंत्री पद आवंटित किया जाना है. इस बीच राज्य में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच बसपा के 6 विधायक पहले ही अपने साथ अन्याय का आरोप सार्वजनिक कर चुके हैं. उन विधायकों ने आरोप लगाया कि सचिन पायलट खेमा एक बार पार्टी के खिलाफ जाने के बावजूद पार्टी आलाकमान पर मंत्री पद पाने का दबाव बना रहा है. उन्होंने यह भी कहा है कि संकट की घड़ी में वे अशोक गहलोत सरकार के साथ खड़े रहे लेकिन उनके साथ 'अन्याय' किया जा रहा है.
सचिन पायलट खेमा लगातार पार्टी से मांग कर रहा है कि राज्य सरकार के खिलाफ अपने विद्रोह को समाप्त करने की शर्त पर पिछले साल उनसे किए गए वादों को पूरा किया जाए. उन्होंने यह भी सवाल किया है कि पिछले एक साल में इस विवाद को सुलझाने के लिए गठित एआईसीसी समिति की एक भी बैठक नहीं हो रही है.
दूसरी ओर पार्टी इस बात से सहमत है कि पिछले साल की तुलना में स्थिति बदल गई है और पायलट खेमे की मांगों को पूरा करना मुश्किल होगा. सूत्रों ने बताया कि पायलट के समर्थकों को समझाया जा सकता है लेकिन अभी तक कोई संख्या तय नहीं की गई है.
हालांकि जितिन प्रसाद के बाहर निकलने के बाद पार्टी अपने एक और युवा तुर्क को खोने का जोखिम नहीं उठा सकती. इसलिए पायलट और गहलोत दोनों खेमों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास हो रहा है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अपने और पार्टी के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए पायलट के नियमित संपर्क में हैं.
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नई दिल्ली में 6 दिन कैंप करने के बाद पायलट आज बिना कांग्रेस आलाकमान से मिले राजस्थान लौट गए. साथ ही कुछ पायलट समर्थक अशोक गहलोत की तरफ भी आने लगे हैं. इसलिए किसी तरह पायलट पार्टी पर दबाव बनाने में विफल हो रहे हैं.