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Memorandum to remove TN governor : तमिलनाडु सरकार ने गर्वनर को वापस बुलाने की मांग के बीच राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा

तमिलनाडु में द्रमुक और राज्यपाल के बीच चल रहे गतिरोध के बीच प्रदेश सरकार ने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा. राज्य सरकार की ओर से तमिलनाडु के कानून मंत्री ने ज्ञापन को सौंपा. amid calls for recalling governor ravi tamil nadu

Governor RN Ravi
राज्यपाल आरएन रवि
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Published : Jan 12, 2023, 3:37 PM IST

Updated : Jan 12, 2023, 4:22 PM IST

नयी दिल्ली/चेन्नई : तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक और राज्यपाल आरएन रवि के बीच गतिरोध की पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन की विषयवस्तु को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है. द्रमुक संसदीय दल के नेता टीआर बालू ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि तमिलनाडु के कानून मंत्री एस रेगुपति के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जिसे मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने लिखा है. उन्होंने कई बार इस बात पर जोर दिया कि ज्ञापन में क्या लिखा है, वह केवल मुख्यमंत्री जानते हैं.

उन्होंने कहा कि स्टालिन का ज्ञापन सीलबंद लिफाफे में राष्ट्रपति को सौंपा गया है. राष्ट्रीय राजधानी में संवाददाताओं से तमिल भाषा में संक्षिप्त बातचीत में बालू ने ज्ञापन के बारे में केवल इतना कहा कि यह राज्य सरकार की ओर से तमिलनाडु के कानून मंत्री ने सौंपा. उन्होंने संकेत दिया कि ज्ञापन में राज्यपाल से जुड़े मुद्दे और उनके 'परंपराओं से हटकर काम करने' के बारे में लिखा हो सकता है. रेगुपति और लोकसभा सदस्य ए राजा की मौजूदगी में बालू ने कहा, 'हमें ज्ञापन के निष्कर्ष वाले हिस्से की जानकारी नहीं है क्योंकि यह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और भारत की राष्ट्रपति के बीच ही है.'

उन्होंने कहा, 'हमने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि ज्ञापन का अध्ययन करने के बाद उन्हें जो उचित लगे कार्रवाई करें.' रवि ने सोमवार को राज्य विधानसभा में अपने परंपरागत अभिभाषण से हटकर संबोधन दिया था और स्टालिन ने इसके खिलाफ एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया. जिसके बाद राज्य सरकार और राज भवन के बीच पहले से गतिरोध वाले संबंधों में और तनाव आ गया. द्रमुक और उसके सहयोगी दल जहां राज्यपाल रवि को वापस बुलाने की मांग पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी रवि का समर्थन कर रही है.

द्रमुक नीत गठबंधन ने गत नवंबर महीने में राष्ट्रपति मुर्मू से रवि को बर्खास्त करने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने संविधान के तहत ली गयी शपथ का उल्लंघन किया है. बालू ने आज कहा कि नवंबर 2022 में दिया गया ज्ञापन राजनीतिक प्रकृति का था, जबकि आज का ज्ञापन सरकार की ओर से दिया गया है. द्रमुक नेता ने रवि पर तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सनातन नीतियों को थोपने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि पेरियार, अन्ना और कलईंगर की धरती पर ये कोशिश फलीभूत नहीं होंगी.

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि राज्यपाल ने तमिलनाडु की जनता और राष्ट्रगान का अपमान किया है. वह संभवत: सोमवार को सदन से राज्यपाल के वॉकआउट का परोक्ष जिक्र कर रहे थे. राज्यपाल रवि द्वारा राज्य को तमिझगम पुकारने की सलाह के अनुसार एक पत्रकार द्वारा इस शब्द का इस्तेमाल किए जाने पर बालू ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सही नाम तमिलनाडु ही है. उन्होंने कहा, 'हम तमिझगम शब्द को स्वीकार नहीं करते क्योंकि वह (रवि) किसी मंशा के साथ इसका उपयोग कर रहे हैं. अन्ना (द्रमुक संस्थापक और दिवंगत मुख्यमंत्री) ने राज्य को तमिलनाडु नाम दिया था.'

ये भी पढ़ें - तमिलनाडु के राज्यपाल विवादों से घिरे, सीएम स्टालिन ने अपने विधायकों को आलोचना करने से रोका

(पीटीआई-भाषा)

नयी दिल्ली/चेन्नई : तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक और राज्यपाल आरएन रवि के बीच गतिरोध की पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन की विषयवस्तु को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है. द्रमुक संसदीय दल के नेता टीआर बालू ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि तमिलनाडु के कानून मंत्री एस रेगुपति के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जिसे मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने लिखा है. उन्होंने कई बार इस बात पर जोर दिया कि ज्ञापन में क्या लिखा है, वह केवल मुख्यमंत्री जानते हैं.

उन्होंने कहा कि स्टालिन का ज्ञापन सीलबंद लिफाफे में राष्ट्रपति को सौंपा गया है. राष्ट्रीय राजधानी में संवाददाताओं से तमिल भाषा में संक्षिप्त बातचीत में बालू ने ज्ञापन के बारे में केवल इतना कहा कि यह राज्य सरकार की ओर से तमिलनाडु के कानून मंत्री ने सौंपा. उन्होंने संकेत दिया कि ज्ञापन में राज्यपाल से जुड़े मुद्दे और उनके 'परंपराओं से हटकर काम करने' के बारे में लिखा हो सकता है. रेगुपति और लोकसभा सदस्य ए राजा की मौजूदगी में बालू ने कहा, 'हमें ज्ञापन के निष्कर्ष वाले हिस्से की जानकारी नहीं है क्योंकि यह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और भारत की राष्ट्रपति के बीच ही है.'

उन्होंने कहा, 'हमने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि ज्ञापन का अध्ययन करने के बाद उन्हें जो उचित लगे कार्रवाई करें.' रवि ने सोमवार को राज्य विधानसभा में अपने परंपरागत अभिभाषण से हटकर संबोधन दिया था और स्टालिन ने इसके खिलाफ एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया. जिसके बाद राज्य सरकार और राज भवन के बीच पहले से गतिरोध वाले संबंधों में और तनाव आ गया. द्रमुक और उसके सहयोगी दल जहां राज्यपाल रवि को वापस बुलाने की मांग पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी रवि का समर्थन कर रही है.

द्रमुक नीत गठबंधन ने गत नवंबर महीने में राष्ट्रपति मुर्मू से रवि को बर्खास्त करने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने संविधान के तहत ली गयी शपथ का उल्लंघन किया है. बालू ने आज कहा कि नवंबर 2022 में दिया गया ज्ञापन राजनीतिक प्रकृति का था, जबकि आज का ज्ञापन सरकार की ओर से दिया गया है. द्रमुक नेता ने रवि पर तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सनातन नीतियों को थोपने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि पेरियार, अन्ना और कलईंगर की धरती पर ये कोशिश फलीभूत नहीं होंगी.

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि राज्यपाल ने तमिलनाडु की जनता और राष्ट्रगान का अपमान किया है. वह संभवत: सोमवार को सदन से राज्यपाल के वॉकआउट का परोक्ष जिक्र कर रहे थे. राज्यपाल रवि द्वारा राज्य को तमिझगम पुकारने की सलाह के अनुसार एक पत्रकार द्वारा इस शब्द का इस्तेमाल किए जाने पर बालू ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सही नाम तमिलनाडु ही है. उन्होंने कहा, 'हम तमिझगम शब्द को स्वीकार नहीं करते क्योंकि वह (रवि) किसी मंशा के साथ इसका उपयोग कर रहे हैं. अन्ना (द्रमुक संस्थापक और दिवंगत मुख्यमंत्री) ने राज्य को तमिलनाडु नाम दिया था.'

ये भी पढ़ें - तमिलनाडु के राज्यपाल विवादों से घिरे, सीएम स्टालिन ने अपने विधायकों को आलोचना करने से रोका

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jan 12, 2023, 4:22 PM IST
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