ETV Bharat / bharat

सीएम बोले- अपराधियों पर गोली चलाना पैटर्न हो, एजेपी बोली- आका को बचाना चाहते हैं आप

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने पांच जुलाई को राज्य के पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारियों के साथ बैठक में कहा था कि अपराधियों पर गोली चलाना एक 'पैटर्न होना चाहिए', यदि वे हिरासत से भागने का प्रयास करते हैं अथवा ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों से हथियार छीनने और उन पर हमला करने का प्रयास करते हैं. विपक्षी दल ने उनकी इस नीति पर सवाल उठाए हैं.

etv bharat
हिमंत बिस्व सरमा, सीएम, असम
author img

By

Published : Jul 9, 2021, 8:14 PM IST

गुवाहाटी : असम जातीय परिषद (एजेपी) ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में अपराधियों के खिलाफ मुठभेड़ों में वृद्धि वास्तव में छोटे स्तर के उन अपराधियों को शांत करने की एक चाल है, ताकि अवैध सिंडिकेट चलाने वाले उनके आकाओं को बचाया जा सके, जिसमें नेता और शीर्ष पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं.

एजेपी ने राज्य की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने भागने वाले अपराधियों से निपटने के लिए पुलिस को मुठभेड़ों को अंजाम देने की मंजूरी दी है. पार्टी ने कहा कि हाल में मुठभेड़ों की संख्या अचानक बढ़ गई है, जिसके कारण इनकी वास्तविक मंशा को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

एजेपी के महासचिव जगदीश भुइयां ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'अपराध के खिलाफ लड़ाई की आड़ में, क्या शीर्ष अपराधियों को बचाने के लिए लोगों को 'चुप' कराया जा रहा है और उनके मन में आतंक पैदा किया जा रहा है ?'

एजेपी नेता ने कहा कि राज्य में मई से लेकर अब तक एक दर्जन से अधिक संदिग्ध उग्रवादियों और अपराधियों को मार गिराया गया है, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर हिरासत से भागने की कोशिश की थी. पुलिस मुठभेड़ में दुष्कर्म के कई आरोपी, पशु तस्कर घायल भी हुए हैं.

दरअसल, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने पांच जुलाई को राज्य के पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारियों के साथ बैठक में कहा था कि अपराधियों पर गोली चलाना एक 'पैटर्न होना चाहिए', यदि वे हिरासत से भागने का प्रयास करते हैं अथवा ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों से हथियार छीनने और उन पर हमला करने का प्रयास करते हैं.

भुइयां ने कहा कि राज्य में कुछ निश्चित नेताओं और पुलिस अधिकारियों की मदद से पिछले कई वर्षों से आपराधिक गिरोह चलाए जा रहे हैं और सरकार मुठभेड़ों के जरिए ऐसे ही लोगों को बचाने का प्रयास कर रही है.

भुइयां ने पशु तस्करी के खिलाफ अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार को पिछले पांच वर्षों के दौरान कथित रूप से पशुओं की तस्करी से संबंधित 60,000 करोड़ रुपये के अवैध सौदे की जांच करनी चाहिए.

एजेपी के नेता ने कहा कि असम के मौजूदा मुख्यमंत्री ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है कि राज्य में पशुओं की तस्करी से जुड़े कारोबार में प्रति माह एक हजार करोड़ रुपये का अवैध लेन-देन होता है.

एजेपी नेता ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक विधायक की शक्ति और भूमिका को कमतर आंकने वाले मुख्यमंत्री के हालिया बयान की भी आलोचना की.

गुवाहाटी : असम जातीय परिषद (एजेपी) ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में अपराधियों के खिलाफ मुठभेड़ों में वृद्धि वास्तव में छोटे स्तर के उन अपराधियों को शांत करने की एक चाल है, ताकि अवैध सिंडिकेट चलाने वाले उनके आकाओं को बचाया जा सके, जिसमें नेता और शीर्ष पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं.

एजेपी ने राज्य की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने भागने वाले अपराधियों से निपटने के लिए पुलिस को मुठभेड़ों को अंजाम देने की मंजूरी दी है. पार्टी ने कहा कि हाल में मुठभेड़ों की संख्या अचानक बढ़ गई है, जिसके कारण इनकी वास्तविक मंशा को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

एजेपी के महासचिव जगदीश भुइयां ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'अपराध के खिलाफ लड़ाई की आड़ में, क्या शीर्ष अपराधियों को बचाने के लिए लोगों को 'चुप' कराया जा रहा है और उनके मन में आतंक पैदा किया जा रहा है ?'

एजेपी नेता ने कहा कि राज्य में मई से लेकर अब तक एक दर्जन से अधिक संदिग्ध उग्रवादियों और अपराधियों को मार गिराया गया है, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर हिरासत से भागने की कोशिश की थी. पुलिस मुठभेड़ में दुष्कर्म के कई आरोपी, पशु तस्कर घायल भी हुए हैं.

दरअसल, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने पांच जुलाई को राज्य के पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारियों के साथ बैठक में कहा था कि अपराधियों पर गोली चलाना एक 'पैटर्न होना चाहिए', यदि वे हिरासत से भागने का प्रयास करते हैं अथवा ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों से हथियार छीनने और उन पर हमला करने का प्रयास करते हैं.

भुइयां ने कहा कि राज्य में कुछ निश्चित नेताओं और पुलिस अधिकारियों की मदद से पिछले कई वर्षों से आपराधिक गिरोह चलाए जा रहे हैं और सरकार मुठभेड़ों के जरिए ऐसे ही लोगों को बचाने का प्रयास कर रही है.

भुइयां ने पशु तस्करी के खिलाफ अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार को पिछले पांच वर्षों के दौरान कथित रूप से पशुओं की तस्करी से संबंधित 60,000 करोड़ रुपये के अवैध सौदे की जांच करनी चाहिए.

एजेपी के नेता ने कहा कि असम के मौजूदा मुख्यमंत्री ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है कि राज्य में पशुओं की तस्करी से जुड़े कारोबार में प्रति माह एक हजार करोड़ रुपये का अवैध लेन-देन होता है.

एजेपी नेता ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक विधायक की शक्ति और भूमिका को कमतर आंकने वाले मुख्यमंत्री के हालिया बयान की भी आलोचना की.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.