दिल्ली: उत्तराखंड में इगास पर्व (Uttarakhand folk festival Igas) की धूम रही. दिल्ली में भी राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी (Rajya Sabha MP Anil Baluni) के आवास पर पर इगास उत्सव धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh), एनएसए अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) बीजेपी प्रवक्ता सतीश लखेड़ा समेत अनेक लोग समारोह में शामिल हुए. वहीं उत्तराखंड के लोकपर्व इगास-बग्वाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं. इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को एक पत्र भी भेजा, जिसमें पीएम ने बलूनी के प्रयासों की सराहना की.
दिल्ली में अनिल बलूनी के आवास पर इगास की धूम: प्रदेश में बूढ़ी दिवाली यानी इगास पर्व (Igas Festival) धूमधाम से मनाया गया. इगास पर्व दिवाली के 11वें दिन मनाया जाता है. वहीं, इगास को लेकर लोगों में खासा उत्साह दिखाई दिया. जगह-जगह लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों में झूमते दिखाई दिए. वहीं दिल्ली में भी राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के आवास पर पर इगास उत्सव धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल, बीजेपी प्रवक्ता सतीश लखेड़ा समेत अनेक लोग समारोह में शामिल हुए. वहीं देहरादून में मुख्यमंत्री आवास पर इगास बग्वाल के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर सीएम धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने प्रदेश वासियों को इगास बग्वाल की बधाई देते हुए शुभकामनाएं दी.
अनिल बलूनी ने इगास के लिए चलाई है मुहिम: राज्यसभा सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने इगास के प्रचारित करने के लिए पिछले कई सालों से मुहिम चलाई है. 2021 में बलूनी ने मीना राणा के गाने के हिस्से को शेयर करके कहा था कि वो इस बार इगास अपने पैतृक गांव में मनाएंगे. अभी भी अनिल बलूनी इगास को लेकर बहुत उत्साहित हैं. बलूनी के प्रयासों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा है.
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जानिए क्यों मनाया जाता है इगास: एक मान्यता ये भी है कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे तो लोगों ने घी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया था, लेकिन गढ़वाल क्षेत्र में भगवान राम के लौटने की सूचना दीपावली के ग्यारह दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली थी, इसलिए ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए एकादशी को दीपावली का उत्सव मनाया था.
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ये है दूसरी मान्यता: दूसरी मान्यता है कि दिवाली के वक्त गढ़वाल के वीर माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गढ़वाल की सेना ने दापाघाट और तिब्बत का युद्ध जीतकर विजय प्राप्त की थी और दिवाली के ठीक 11वें दिन गढ़वाल सेना अपने घर पहुंची थी. युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दिवाली मनाई गई थी.
एक और कथा भी है: एक और ऐसी ही कथा है कि चंबा का रहने वाला एक व्यक्ति भैलो बनाने के लिए लकड़ी लेने जंगल गया था और ग्यारह दिन तक वापस नहीं आया. उसके दुख में वहां के लोगों ने दीपावली नहीं मनाई. जब वो व्यक्ति वापस लौटा तभी ये पर्व मनाया गया और लोक खेल भैलो खेला. तब से इगास बग्वाल के दिन दिवाली मनाने और भैलो खेलने की परंपरा शुरू हुई.
बता दें कि उत्तराखंड का पर्व इगास को लेकर राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने मुहिम शुरू की है. इसके तहत उन्होंने प्रदेशवासियों से गांव में इगास या बूढ़ी दीवाली मनाने की अपील की है.
किशोर उपाध्याय ने ग्रामीणों के साथ मनाया इगास: टिहरी के भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय ने चंबा में ग्रामीणों के साथ भैलो खेलकर इगास पर्व मनाया. साथ ही ढोल दमाऊ की थाप पर जमकर थिरके, जिसके बाद वो ढोल दमाऊ बजाते हुए दिखाई दिए. इस अवसर पर विधायक किशोर उपाध्याय ने सभी को इगास दिवाली की बधाई दी और कहां इगास दिवाली के उपलक्ष्य में पलायन कर चुके लोगों को अपने घरों की ओर आना चाहिए और अपने घरों को सजा कर अपने पूर्वजों की निशानियां को संभाल कर संरक्षित करना चाहिए.