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ज्ञानवापी मस्जिद में मिला शिवलिंग ढांचा है फव्वारा : AIMIM प्रमुख ओवैसी - ज्ञानवापी मस्जिद और काशी मामला

ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिले जाने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह ढांचा शिवलिंग नहीं बल्कि एक फव्वारा है. बता दें कि कोर्ट के आदेश पर सर्वे करने गई टीम को वजु के इलाके में शिवलिंग मिला है.

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
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Published : May 17, 2022, 6:46 AM IST

Updated : May 17, 2022, 9:35 AM IST

हैदराबाद (तेलंगाना) : वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि यह ढांचा शिवलिंग नहीं बल्कि एक फव्वारा है. बता दें कि कोर्ट के आदेश पर सर्वे करने गई टीम को वजु के इलाके में शिवलिंग मिला है. एक याचिकाकर्ता के इस दावे पर कि ज्ञानवापी मस्जिद में मिला 'शिवलिंग', एआईएमआईएम प्रमुख ए ओवैसी ने कहा, "यह एक फव्वारा है, 'शिवलिंग' नहीं. हर मस्जिद में यह फव्वारा है. कोर्ट के आयुक्त द्वारा दावा क्यों नहीं उठाया गया? एरिया को सील करने का आदेश 1991 के अधिनियम का उल्लंघन है."

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अदालत द्वारा आदेशित वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के तीसरे दिन सोमवार को संपन्न हुआ, मामले में हिंदू याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने दावा किया कि समिति को परिसर में एक शिवलिंग मिला. मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए अदालत आयोग के साथ गए आर्य ने कहा कि उन्हें "निर्णायक सबूत" मिले हैं. ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से एक दिन पहले यह फैसला आया है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की याचिका पर आज यानी 17 मई को सुनवाई करेगी. इसी बीच तीन दिवसीय सर्वेक्षण पूरा हो चुका है. मस्जिद के अधिकारियों की आपत्तियों के बावजूद सर्वेक्षण जारी रखने के वाराणसी सिविल कोर्ट के आदेश के अनुसार सर्वेक्षण किया गया.

सर्वेक्षण के समापन के बाद, वाराणसी की अदालत ने वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा को आदेश दिया, “जहां शिवलिंग पाया गया था, उस क्षेत्र को सील करने ताकि लोगों उस स्थान पर जाने से रोका जा सके.” कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सील किए गए इलाके की सुरक्षा की जिम्मेदारी डीएम, पुलिस आयुक्त और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कमांडेंट वाराणसी की होगी. दीवानी अदालत ने स्थलीय सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने के लिए एक आयुक्त की नियुक्ति की थी और इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसे हाई कोर्ट ने 21 अप्रैल को खारिज कर दिया था. उच्च न्यायालय के 21 अप्रैल के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी.

पांच महिलाओं ने अदालत में याचिका दायर कर श्रृंगार गौरी मंदिर में दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर स्थित है. परिसर में सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने के लिए सिविल कोर्ट का आदेश बाद में अदालत द्वारा दिया गया था. इसके अलावे विजय शंकर रस्तोगी द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि पूरा परिसर काशी विश्वनाथ मंदिर का है और ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर परिसर का केवल एक हिस्सा है. जो कि 1991 से अदालत में विचाराधीन है. साथ ही यह भी दावा किया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर दो हजार साल पहले बनाया गया था और मंदिर को मुगल सम्राट औरंगजेब ने ध्वस्त कर दिया था. वाराणसी में कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष सहायक आयुक्त एडवोकेट विशाल सिंह ने कहा कि सर्वे बिना किसी बाधा के किया गया.

यह भी पढ़ें-ज्ञानवापी मस्जिद में 'शिवलिंग', फिर चर्चा में आए सुब्रमण्यम स्वामी

एएनआई

हैदराबाद (तेलंगाना) : वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि यह ढांचा शिवलिंग नहीं बल्कि एक फव्वारा है. बता दें कि कोर्ट के आदेश पर सर्वे करने गई टीम को वजु के इलाके में शिवलिंग मिला है. एक याचिकाकर्ता के इस दावे पर कि ज्ञानवापी मस्जिद में मिला 'शिवलिंग', एआईएमआईएम प्रमुख ए ओवैसी ने कहा, "यह एक फव्वारा है, 'शिवलिंग' नहीं. हर मस्जिद में यह फव्वारा है. कोर्ट के आयुक्त द्वारा दावा क्यों नहीं उठाया गया? एरिया को सील करने का आदेश 1991 के अधिनियम का उल्लंघन है."

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अदालत द्वारा आदेशित वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के तीसरे दिन सोमवार को संपन्न हुआ, मामले में हिंदू याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने दावा किया कि समिति को परिसर में एक शिवलिंग मिला. मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए अदालत आयोग के साथ गए आर्य ने कहा कि उन्हें "निर्णायक सबूत" मिले हैं. ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से एक दिन पहले यह फैसला आया है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की याचिका पर आज यानी 17 मई को सुनवाई करेगी. इसी बीच तीन दिवसीय सर्वेक्षण पूरा हो चुका है. मस्जिद के अधिकारियों की आपत्तियों के बावजूद सर्वेक्षण जारी रखने के वाराणसी सिविल कोर्ट के आदेश के अनुसार सर्वेक्षण किया गया.

सर्वेक्षण के समापन के बाद, वाराणसी की अदालत ने वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा को आदेश दिया, “जहां शिवलिंग पाया गया था, उस क्षेत्र को सील करने ताकि लोगों उस स्थान पर जाने से रोका जा सके.” कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सील किए गए इलाके की सुरक्षा की जिम्मेदारी डीएम, पुलिस आयुक्त और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कमांडेंट वाराणसी की होगी. दीवानी अदालत ने स्थलीय सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने के लिए एक आयुक्त की नियुक्ति की थी और इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसे हाई कोर्ट ने 21 अप्रैल को खारिज कर दिया था. उच्च न्यायालय के 21 अप्रैल के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी.

पांच महिलाओं ने अदालत में याचिका दायर कर श्रृंगार गौरी मंदिर में दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर स्थित है. परिसर में सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने के लिए सिविल कोर्ट का आदेश बाद में अदालत द्वारा दिया गया था. इसके अलावे विजय शंकर रस्तोगी द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि पूरा परिसर काशी विश्वनाथ मंदिर का है और ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर परिसर का केवल एक हिस्सा है. जो कि 1991 से अदालत में विचाराधीन है. साथ ही यह भी दावा किया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर दो हजार साल पहले बनाया गया था और मंदिर को मुगल सम्राट औरंगजेब ने ध्वस्त कर दिया था. वाराणसी में कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष सहायक आयुक्त एडवोकेट विशाल सिंह ने कहा कि सर्वे बिना किसी बाधा के किया गया.

यह भी पढ़ें-ज्ञानवापी मस्जिद में 'शिवलिंग', फिर चर्चा में आए सुब्रमण्यम स्वामी

एएनआई

Last Updated : May 17, 2022, 9:35 AM IST
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