चेन्नई : अन्नाद्रमुक ने सोमवार को भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया. पार्टी का कहना है कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव को अपने दम पर लड़ेगा. अन्नाद्रमुक के उप समन्वयक केपी मुनुसामी ने कहा, "अन्नाद्रमुक ने बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया. प्रस्ताव के अनुसार, पार्टी आज से भाजपा और एनडीए से सभी संबंध तोड़ रही है. भाजपा का स्टेट लीडर लगातार एक साल से हमारे पूर्व नेताओं, हमारे महासचिव ईपीएस और हमारे कैडर के बारे में अनावश्यक टिप्पणी करता आया है."
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K P Munusamy, AIADMK Deputy Coordinator says, "AIADMK unanimously passed a resolution in the meeting. AIADMK is breaking all ties with BJP and NDA from today. The state leadership of the BJP has been continuously making unnecessary remarks about our former leaders, our general… pic.twitter.com/Ho9AZ50VY4
— ANI (@ANI) September 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) September 25, 2023
एनडीए से अलग होने का निर्णय यहां अन्नाद्रमुक मुख्यालय में पार्टी प्रमुख एडप्पादी के पलानीस्वामी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया. बैठक के बाद पत्रकारों को बताया गया कि पार्टी ने सर्वसम्मति से एनडीए से अलग होने का फैसला किया है. अगले साल 2024 के चुनाव को अन्नाद्रमुक समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर लड़ेगी. मुनुसामी ने कहा कि बैठक में सर्वसम्मति से इस संबंधी प्रस्ताव को पारित किया.
प्रस्ताव में किसी का नाम लिए बिना कहा गया है कि भाजपा का राज्य नेतृत्व अन्नाद्रमुक की नीतियों की आलोचना करने के अलावा, द्रविड़ दिग्गज दिवंगत सीएन अन्नादुरई और दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता को बदनाम कर रहा है. यह स्पष्ट था कि द्रविड़ पार्टी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई से नाराज थी, जिनकी अन्नादुरई के बारे में टिप्पणियों ने दोनों पूर्व सहयोगियों के बीच दरार पैदा कर दी थी. इस बैठक में पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों, जिला सचिवों और विधायकों और सांसदों ने हिस्सा लिया. पार्टी के इस बड़े फैसले के बारे में मुनुसामी ने कहा, "हमारे दो करोड़ से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं और आकांक्षाओं को सम्मान देते हुए ये फैसला किया गया है."
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात का समय हासिल करने में विफल रहने के बाद पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की थी, जिसके कुछ दिनों के भीतर अन्नाद्रमुक भगवा गठबंधन से बाहर हो गई.
अटकलें थीं कि प्रतिनिधिमंडल ने भाजपा की राज्य इकाई के नेतृत्व में बदलाव के लिए दबाव डाला था, जो कि एआईएडीएमके आइकन, द्रविड़ दिग्गज सीएन अन्नादुराई (अन्ना) और जयललिता के साथ-साथ ईपीएस को खराब छवि में पेश कर रहा था. लेकिन, यह समझा गया कि पार्टी की नाराजगी भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को स्पष्ट कर दी गई थी ताकि वह सुधार कर सके.
क्या कहते हैं राजनीति के जानकार : इस राजनीतिक घटनाक्रम पर दक्षिणपंथी राजनीतिक टिप्पणीकार रवींद्रन दुरईसामी का कहना है कि एआईएडीएमके के साथ गठबंधन से बीजेपी को कोई फायदा नहीं हो रहा है क्योंकि वोट ट्रांसफर नहीं हो रहा है. और पूर्व उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) के निष्कासन के बाद, पार्टी को पता है कि ईपीएस का प्रभाव क्षेत्र पश्चिमी तमिलनाडु, कोंगु बेल्ट तक सिकुड़ रहा है. इसके अलावा, अन्नामलाई और ईपीएस दोनों उस क्षेत्र के एक ही प्रमुख ओबीसी गौंडार समुदाय से हैं और एक म्यान में दो तलवारें नहीं हो सकतीं. अपनी सोशल इंजीनियरिंग के अलावा, भाजपा 2024 के लिए अपने नेतृत्व में छोटी पार्टियों का गठबंधन बना रही है.
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