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Age of Consent for Sex : सहमति से बने रोमांटिक संबंध को क्यों बनाएं अपराध ? - 18 year or 16year to make relation

सहमति से सेक्स. क्या इसके लिए आयु घटा देनी चाहिए. 18 साल या 16 साल, क्या होनी चाहिए उम्र. लॉ कमीशन ने केंद्र सरकार से इस पर सुझाव मांगा है.

age of consent for sex
सहमति से बने संबंध
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Published : Jun 16, 2023, 1:28 PM IST

नई दिल्ली : विधि आयोग (लॉ कमीशन) ने केंद्र सरकार से सहमति से सेक्स बनाने के विषय पर न्यूनतम उम्र सीमा पर सुझाव मांगा है. अभी यह सीमा 18 साल है. लॉ कमीशन ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से उनकी राय मांगी है. विधि आयोग ने कर्नाटक हाईकोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की उन टिप्पणियों का भी हवाला दिया है, जिनमें इन अदालतों ने इस विषय पर विचार करने का सुझाव दिया था.

दरअसल, अलग-अलग अदालतों में ऐसे कई मामले पड़े हैं, जहां पर 16 साल से लेकर 18 साल के बीच बने आपसी संबंधों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट लगाए गए हैं. पॉक्सो एक्ट साफ तौर पर कहता है कि लड़की की सहमति होने के बावजूद लड़का पर रेप का मामला चलेगा, यदि लड़की 18 साल से कम की है. पॉक्सो एक्ट में संशोधन के विषय पर जब दिसंबर 2022 में संसद में बहस हो रही थी, तब एनसीपी सांसद वंदना चव्हाण ने सहमति से सेक्स संबंध बनाने के मामले में उम्र घटाने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा कि दो किशोरों के बीच आपसी सहमति से रोमांटिक संबंध बन रहे हैं, तो इससे किसी को क्या हर्ज. चव्हाण ने कहा कि हमारे कानून का उद्देश्य यौन हिंसा से पीड़ितों को बचाना है, न कि घनिष्ठ हुए संबंधों पर तुषारापात करना.

इस पूरी बहस के बीच में पॉक्सो कानून है. इसे 2012 में लाया गया था. इसके तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की संबंध बनाती है, तो उसकी सहमति को नजरअंदाज कर दिया जाएगा और लड़के के खिलाफ रेप का मामला चलेगा. 2019 में पॉक्सो कानून को और अधिक कठोर बना दिया गया. अब इसमें मौत की सजा को भी जोड़ दिया गया है. इतना ही नहीं, इस एक्ट के तहत अगर आपको लाइफ इंप्रिजन्मेंट (उम्रकैद) की सजा मिलती है, तो दोषी को ताउम्र जेल में रहना पड़ेगा.

इस तरह के कई मामलों में कुछ अदालतें भी उम्र घटाने को लेकर सकारात्मक टिप्पणी कर चुकी हैं. कर्नाटक हाईकोर्ट ने 2022 में एक फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि लॉ कमीशन को इस बिंदु पर विचार करना चाहिए. 10 दिसंबर 2022 को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए सहमति से सेक्स की उम्र पर विचार करने का सुझाव दिया था.

नेशनल स्टेकहोल्डर्स कंसल्टेशन ऑन चाइल्ड प्रोटेक्शन विषय पर बोलते हुए सीजेआई ने कहा, 'पॉक्सो के अधीन 18 साल से कम उम्र में संबंध बनाने को आपराधिक माना गया है, फिर चाहे वह संबंध सहमति से ही क्यों न बने हों. एक न्यायाधीश के रूप में मेरा यह मानना है कि कई बार जजों के लिए भी निर्णय कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है. इस मुद्दे को लेकर चिंता बढ़ रही है. इसलिए पार्लियामेंट इस पर विचार कर सकती है कि उम्र की सीमा पर वह कोई फैसला करे.'

पहली बार सहमति से सेक्स बनाने को लेकर 1892 में ही कानून में संशोधन हुआ था. उससे पहले यह सीमा 10 साल की थी. 1892 में इसे बढ़ाकर 12 साल कर दिया गया था. 1949 में इस उम्र की सीमा को बढ़ाकर 15 साल कर दिया गया. 1983 में यह सीमा 16 साल कर दी गई थी. फिर 2012 में कानून में संशोधन हुआ और उम्र सीमा 18 साल हो गई.

कानून में विरोधाभास - सहमति से आपसी संबंध बनाने की आयु 18 साल है. यह लड़का और लड़की, दोनों पर लागू होता है. पॉक्सो एक्ट में साफ-साफ लिखा है कि यदि 18 साल से कम उम्र में संबंध बने तो रेप का मामला चलेगा. लेकिन अगर दोनों के बीच शादी हो गई है, तो फिर संबंध सहमति से बने हों या फिर असहमति से, यह रेप की कैटेगरी में नहीं आएगा. इस कानून में सिर्फ एक सीमा है. वह है लड़की की आयु 15 साल से कम नहीं होनी चाहिए. अगर लड़की की आयु 15 साल से कम हो, तो पति पर रेप का मुकदमा चलेगा. हालांकि, ऐसी स्थिति में उसे अधिकमत दो साल की ही सजा मिलेगी.

इसी तरह से मुस्लिम पर्सनल लॉ की स्थिति कुछ और है. इसके तहत कहा गया है कि लड़का और लड़की दोनों ही प्यूबर्टी में पहुंच गए हैं, और वे दोनों नाबालिग हैं, तो भी उनकी शादी और आपसी संबंध दोनों ही जायज हैं. उन पर रेप का मामला नहीं चलेगा. आपको याद दिला दें कि 2012 में निर्भया कांड हुआ था. उसके बाद जस्टिस जेएस वर्मा कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी ने सहमति से सेक्स बनाने की उम्र 16 साल करने का सुझाव दिया था. लेकिन इस सिफारिश पर कोई फैसला नहीं किया गया. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 की एक रिपोर्ट है. इसमें बताया गया है कि 11 फीसदी महिलाओं ने 15 साल की उम्र में ही संबंध बना लिए थे. 19 फीसदी महिलाओं ने स्वीकार किया कि 18 साल से पहले ही उनके संबंध बन चुके थे.

दुनिया के दूसरे देशों में सेक्सुअल संबंध बनाने को लेकर कितनी उम्र सीमा है.

  • बांग्लादेश, बोलिविया, बोस्निया, हार्जेगोविना, जापान, स्पेन और अर्जेटीना में यह आयु 13 साल है.
  • चीन, ब्राजील, जर्मनी, पुर्तगाल, कोलंबिया और इटली में यह आयु 14 साल है.
  • फ्रांस, डेनमार्क, ग्रीक, स्वीडन, उरुग्वे, थाइलैंड, पोलैंड में यह आयु 15 साल है.
  • रूस, ब्रिटेन, नेपाल, नॉर्वे, इजराइल, द. अफ्रीका, मलेशिया, स्विटजरलैंड, केन्या में यह आयु 16 साल है.
  • अमेरिका के कुछ राज्यों और आयरलैंड में यह आयु 17 साल है.
  • चिली, पेरू, फिलीपिन्स, तुर्की, मिस्र, रवांडा, यूगांडा में यह आयु 18 साल है.
  • पाकिस्तान, सऊदी अरब, यमन और ईरान जैसे देशों में शादी के बंधन के बाहर जाकर संबंध बनाना गैरकानूनी है.

ये भी पढ़ें : Uniform Civil Code : फिर उठ खड़ा हुआ समान नागरिक संहिता विवाद, जानें क्या है यह मामला

नई दिल्ली : विधि आयोग (लॉ कमीशन) ने केंद्र सरकार से सहमति से सेक्स बनाने के विषय पर न्यूनतम उम्र सीमा पर सुझाव मांगा है. अभी यह सीमा 18 साल है. लॉ कमीशन ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से उनकी राय मांगी है. विधि आयोग ने कर्नाटक हाईकोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की उन टिप्पणियों का भी हवाला दिया है, जिनमें इन अदालतों ने इस विषय पर विचार करने का सुझाव दिया था.

दरअसल, अलग-अलग अदालतों में ऐसे कई मामले पड़े हैं, जहां पर 16 साल से लेकर 18 साल के बीच बने आपसी संबंधों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट लगाए गए हैं. पॉक्सो एक्ट साफ तौर पर कहता है कि लड़की की सहमति होने के बावजूद लड़का पर रेप का मामला चलेगा, यदि लड़की 18 साल से कम की है. पॉक्सो एक्ट में संशोधन के विषय पर जब दिसंबर 2022 में संसद में बहस हो रही थी, तब एनसीपी सांसद वंदना चव्हाण ने सहमति से सेक्स संबंध बनाने के मामले में उम्र घटाने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा कि दो किशोरों के बीच आपसी सहमति से रोमांटिक संबंध बन रहे हैं, तो इससे किसी को क्या हर्ज. चव्हाण ने कहा कि हमारे कानून का उद्देश्य यौन हिंसा से पीड़ितों को बचाना है, न कि घनिष्ठ हुए संबंधों पर तुषारापात करना.

इस पूरी बहस के बीच में पॉक्सो कानून है. इसे 2012 में लाया गया था. इसके तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की संबंध बनाती है, तो उसकी सहमति को नजरअंदाज कर दिया जाएगा और लड़के के खिलाफ रेप का मामला चलेगा. 2019 में पॉक्सो कानून को और अधिक कठोर बना दिया गया. अब इसमें मौत की सजा को भी जोड़ दिया गया है. इतना ही नहीं, इस एक्ट के तहत अगर आपको लाइफ इंप्रिजन्मेंट (उम्रकैद) की सजा मिलती है, तो दोषी को ताउम्र जेल में रहना पड़ेगा.

इस तरह के कई मामलों में कुछ अदालतें भी उम्र घटाने को लेकर सकारात्मक टिप्पणी कर चुकी हैं. कर्नाटक हाईकोर्ट ने 2022 में एक फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि लॉ कमीशन को इस बिंदु पर विचार करना चाहिए. 10 दिसंबर 2022 को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए सहमति से सेक्स की उम्र पर विचार करने का सुझाव दिया था.

नेशनल स्टेकहोल्डर्स कंसल्टेशन ऑन चाइल्ड प्रोटेक्शन विषय पर बोलते हुए सीजेआई ने कहा, 'पॉक्सो के अधीन 18 साल से कम उम्र में संबंध बनाने को आपराधिक माना गया है, फिर चाहे वह संबंध सहमति से ही क्यों न बने हों. एक न्यायाधीश के रूप में मेरा यह मानना है कि कई बार जजों के लिए भी निर्णय कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है. इस मुद्दे को लेकर चिंता बढ़ रही है. इसलिए पार्लियामेंट इस पर विचार कर सकती है कि उम्र की सीमा पर वह कोई फैसला करे.'

पहली बार सहमति से सेक्स बनाने को लेकर 1892 में ही कानून में संशोधन हुआ था. उससे पहले यह सीमा 10 साल की थी. 1892 में इसे बढ़ाकर 12 साल कर दिया गया था. 1949 में इस उम्र की सीमा को बढ़ाकर 15 साल कर दिया गया. 1983 में यह सीमा 16 साल कर दी गई थी. फिर 2012 में कानून में संशोधन हुआ और उम्र सीमा 18 साल हो गई.

कानून में विरोधाभास - सहमति से आपसी संबंध बनाने की आयु 18 साल है. यह लड़का और लड़की, दोनों पर लागू होता है. पॉक्सो एक्ट में साफ-साफ लिखा है कि यदि 18 साल से कम उम्र में संबंध बने तो रेप का मामला चलेगा. लेकिन अगर दोनों के बीच शादी हो गई है, तो फिर संबंध सहमति से बने हों या फिर असहमति से, यह रेप की कैटेगरी में नहीं आएगा. इस कानून में सिर्फ एक सीमा है. वह है लड़की की आयु 15 साल से कम नहीं होनी चाहिए. अगर लड़की की आयु 15 साल से कम हो, तो पति पर रेप का मुकदमा चलेगा. हालांकि, ऐसी स्थिति में उसे अधिकमत दो साल की ही सजा मिलेगी.

इसी तरह से मुस्लिम पर्सनल लॉ की स्थिति कुछ और है. इसके तहत कहा गया है कि लड़का और लड़की दोनों ही प्यूबर्टी में पहुंच गए हैं, और वे दोनों नाबालिग हैं, तो भी उनकी शादी और आपसी संबंध दोनों ही जायज हैं. उन पर रेप का मामला नहीं चलेगा. आपको याद दिला दें कि 2012 में निर्भया कांड हुआ था. उसके बाद जस्टिस जेएस वर्मा कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी ने सहमति से सेक्स बनाने की उम्र 16 साल करने का सुझाव दिया था. लेकिन इस सिफारिश पर कोई फैसला नहीं किया गया. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 की एक रिपोर्ट है. इसमें बताया गया है कि 11 फीसदी महिलाओं ने 15 साल की उम्र में ही संबंध बना लिए थे. 19 फीसदी महिलाओं ने स्वीकार किया कि 18 साल से पहले ही उनके संबंध बन चुके थे.

दुनिया के दूसरे देशों में सेक्सुअल संबंध बनाने को लेकर कितनी उम्र सीमा है.

  • बांग्लादेश, बोलिविया, बोस्निया, हार्जेगोविना, जापान, स्पेन और अर्जेटीना में यह आयु 13 साल है.
  • चीन, ब्राजील, जर्मनी, पुर्तगाल, कोलंबिया और इटली में यह आयु 14 साल है.
  • फ्रांस, डेनमार्क, ग्रीक, स्वीडन, उरुग्वे, थाइलैंड, पोलैंड में यह आयु 15 साल है.
  • रूस, ब्रिटेन, नेपाल, नॉर्वे, इजराइल, द. अफ्रीका, मलेशिया, स्विटजरलैंड, केन्या में यह आयु 16 साल है.
  • अमेरिका के कुछ राज्यों और आयरलैंड में यह आयु 17 साल है.
  • चिली, पेरू, फिलीपिन्स, तुर्की, मिस्र, रवांडा, यूगांडा में यह आयु 18 साल है.
  • पाकिस्तान, सऊदी अरब, यमन और ईरान जैसे देशों में शादी के बंधन के बाहर जाकर संबंध बनाना गैरकानूनी है.

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